नियम क़ायदे ,क़ानून ,देश ,,संविधान ,मर्यादाये ,,परम्पराएं सब ताक में सिर्फ
सनक ,सिर्फ सनक ,,जी हाँ मेरे भाइयों ,,में सवर्ण ,मुझे आरक्षण का लाभ
मिलेगा ,लेकिन में इस तरह की सनक का पैरोकार नहीं बन सकता ,,,आधी रात ,बहनो
,भाइयों ,नॉट बंद ,,आधी रात ,बहनों भाइयों रिज़र्व बैंक का गवर्नर हटा दिया
,आधी रात ,बहनों भाइयों सी बी आई चीफ हटा दिया ,अजीब बात है , आधी रात को
अचानक देश से पूंछे बगेर पाकिस्तान चले जाना ,,खेर यह सारी बातें अचानक
,कोई बात नहीं लेकिन ,,124 वे संविधान संशोधन के नाम पर ,,अचानक
,संसद के चलते ,,चुनावी दिनों के नज़दीक ,सवर्ण आरक्षण ,का सनकी फैसला
,,सभी जानते है ,किसी भी संविधान संशोधन में पहले प्रारूप सांसदों को पढ़ने
के लिए दिया जाता है ,,उस पर चर्चा होती है ,संशोधन होते है ,,क़ानूनी बहस
होती है ,वक़्त मिलता है ,लेकिन ऐसा नहीं ,कल घोषणा ,आज लोकसभा में पेश और
चर्चा शुरु ,चुनावी बुखार ऐसा ,के कोई भी पार्टी इस गैर क़ानूनी, गैर
संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ आवाज़ नहीं उठा रही ,भाड़ में जाए ऐसे वोट जो
देश के संविधान ,की परम्परा को तोड़ते हो ,भाड़ में जाए ऐसा सिसटम जो देश की
लोकसभा को गैर विधिक काम करने को मजबूर ,करदे ,आरक्षण सवर्णों का हक़ है
उन्हें मिलना ,चाहिए ,लेकिन जल्दबाज़ी के नाम पर बिना बहुकोणीय चर्चा के
,मनमाना आरक्षण ,हमे बर्दाश्त नहीं ,जब दलितों को बिना किसी क्रीमीलेयर
सिद्धांत के आरक्षण का पूरा हक़ है ,तो फिर सवर्णों के आरक्षण के नाम पर
,,आय सीमा ,,प्लाट की पैमाइश ,मकान ,वगेरा वगेरा की शर्तें ,,वर्गभेद करने
जैसा नहीं ,या तो हर आरक्षण का एक क़ानून एक नियम बने ,जब दस वर्षो में
आरक्षण खत्म होना था ,तो फिर आरक्षण का जवाब आरक्षण से क्यों ,जब जाति
,,धर्म ,ऊंच ,नीच का भेदभाव खत्म कर ,,सिर्फ ,और सिर्फ आर्थिक आधार पर
आरक्षण की बात हो रही थी तो फिर अचानक यह जातिगत ,यह सामाजिक ,यह सवर्ण
,,दलित के आरक्षण का खेल क्या साबित करता है ,,एक दिन में ,एक दिन की
चर्चा में देश के एक सो तीस करोड़ लोगो का फैसला ,देश के संविधान जो देश की
गीता ,देश का क़ुरआन ,देश का स्वाभिमान है ,पवित्र ग्रंथ है ,उसे सिर्फ दो
दिन में अचानक ,बिना प्रस्तावित सुझावों ,बिना प्रस्तावित भरपूर चर्चा के
बदल दोगे ,,फिर दिक़्क़ते होंगी ,कमिया रहेंगी ,आखिर कब तक यह अचानक ,,करते
रहोगे ,जो भी करो सोच कर करो ,,देश के लिए करो ,गरीबों के लिए पीड़ितों के
लिए ,शोषितों के लिए करो ,सिर्फ वोट के लिए ,सिर्फ वोट के लिए ,बहनों
भाइयों ,,मत करो यार ,,हार जीत चुनाव में होती है ,,लेकिन बुरे रहो चाहे
,बस इतने भी बुरे मत बनों यार ,के देश के संविधान को चुटकियों में संशोधित
करने के प्रयासों में जुट जाए , ऐसा मत करो यार ,,थोड़ा वैधानिक परम्पराये
बनाये रखो यार ,,देश को सुकून से जीने दो यार ,देश में सिर्फ दो वर्ग एक
गरीब ,एक अमीर का रहने दो यार ,गरीबों का आरक्षण ,,सुविधाएं ,,दो ,पढ़ने ,की
सुविधाएं ,शिक्षा ,,छात्रवृत्ति ,पेंशन ,अपने पैरों पर खड़े होने तक
सुविधाये तो ,,लेकिन बुराई को बुराई से बढ़ावा मत दो यार ,,,इंसाफ ,करो
,इंसाफ दो यार ,,मेहनत का हक़ सभी को बराबरी का मिले ,,जब सवर्ण वर्ग को एक
नंबर लाने वाले ,,इजीनियर ,डॉक्टर ,अधिकारी पसंद नहीं तो फिर सवर्णों में
यह कमज़ोरी ,यह बुराई ,,उनकी प्रतिभाओं को यूँ खत्म मत करो यार ,,यह खायी और
मत बढ़ाओ यारों,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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