आपका-अख्तर खान

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15 अक्तूबर 2018

तुम पर क्या इमान लाए

तो हम तुम पर क्या इमान लाए (111)
नूह ने कहा ये लोग जो कुछ करते थे मुझे क्या ख़बर (और क्या ग़रज़) (112)
इन लोगों का हिसाब तो मेरे परवरदिगार के जि़म्मे है (113)
काश तुम (इतनी) समझ रखते और मै तो इमानदारों को अपने पास से निकालने वाला नहीं (114)
मै तो सिर्फ़ (अज़ाबे ख़ुदा से) साफ़ साफ़ डराने वाला हूँ (115)
वह लोग कहने लगे ऐ नूह अगर तुम अपनी हरकत से बाज़ न आओगे तो ज़रुर संगसार कर दिए जाओगे (116)
नूह ने अर्ज़की परवरदिगार मेरी क़ौम ने यक़ीनन मुझे झुठलाया (117)
तो अब तू मेरे और इन लोगों के दरम्यिान एक क़तई फैसला कर दे और मुझे और जो मोमिनीन मेरे साथ हें उनको नजात दे (118)
ग़रज़ हमने नूह और उनके साथियों को जो भरी हुयी कश्ती में थे नजात दी (119)
फिर उसके बाद हमने बाक़ी लोगों को ग़रख़ कर दिया (120)

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