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21 अक्तूबर 2018

पैग़म्बरों को झुठलाया

(इसी तरह क़ौम) समूद ने पैग़म्बरों को झुठलाया (141)
जब उनके भाई सालेह ने उनसे कहा कि तुम (ख़ुदा से) क्यो नहीं डरते (142)
मैं तो यक़ीनन तुम्हारा अमानतदार पैग़म्बर हूँ (143)
तो खु़दा से डरो और मेरी इताअत करो (144)
और मै तो तुमसे इस (तबलीगे़ रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता- मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदाई के पालने वाले (ख़ुदा पर है) (145)
क्या जो चीजे़ं यहाँ (दुनिया में) मौजूद है (146)
बाग़ और चष्मे और खेतिया और छुहारे जिनकी कलियाँ लतीफ़ व नाज़ुक होती है (147)
उन्हीं मे तुम लोग इतमिनान से (हमेशा के लिए) छोड़ दिए जाओगे (148)
और (इस वजह से) पूरी महारत और तकलीफ़ के साथ पहाड़ों को काट काट कर घर बनाते हो (149)
तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो (150)

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