कोटा अभिभाषक परिषद सहित राजस्थान बार कौंसिल के आने वाले सभी चुनाव इस बार
जुमलों ,,वायदों पर नहीं ,,सिर्फ और सिर्फ स्वाभिमान के मुद्दे पर होंगे
,,जो कोई भी शख्स ,,जो कोई भी वकीलो का नेतृत्व ,,वकीलों का खोया हुआ
स्वाभिमान लौटाएगा ,,न्यायिक अधिकारियो से उनका लगातार हो रहा अपमान
ससम्मान लोटा सकेगा ,,इस बार बस वही नेतृत्व चुनाव में विजयभव का हक़दार
होगा ,,,ऐसा हर स्वाभिमानी वकील सोच रहा है ,,लेकिन आँकड़े कुछ और है ,,कुछ
तो भाईसाहबो के पीछ लग्गू है ,,,कुछ पार्टियों में बंट गए है ,,और जो पचास
फी सदी से ज़्यादा घरो में बैठकर अपना व्यापार कर रहे है ,,एक साल में जो
सिर्फ वकील बनकर वोट डालने ,,,वकीलों के स्वागत भोज कार्यक्रम और सिंपोजियम
भोज कार्यक्रम में आते है ,,वोह हर बार स्वाभिमानी नेतृत्व के निर्वाचन की
गणित बिगाड़ते है ,,,,लेकिन फिर भी सामान्य अनुक्रम में इस बार
प्रेक्टिसिंग वकील ,,अदालतों के आचरण ,,व्यवहार ,,अव्यवस्थाओं को लेकर
हतोत्साहित है ,,,हम हमारे वकील साथी की मोत पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने
के लिए परम्परागत तोर पर प्रात ग्यारह बजे शोकसभा नहीं कर सकते ,,साहिब की
मर्ज़ी है इसलिए हम ,हमारे शोकमग्न अभिभाषक परिवार को साहिब की आमद के
इन्तिज़ार में तीन बजे बाद शोक सभा के इन्तिज़ार में रख देते है ,,,वकील
अदालत के न्यायिक अधिकारियो के व्यवहार को लेकर कोई शिकायत नहीं कर सकते
,,,अदालते है के थाने में ज़मानती अपराध में भी गिरफ्तार होकर पेश होने
वाले अभियुक्त की तरफ से ज़मानत का प्रार्थना पत्र पेश होने पर भी 437 सी
आर पी सी में भी उसकी ज़मानत अर्ज़ी ख़ारिज करते है ,,कैसा बौद्धिक स्तर है
का जो 436 सी आर पी सी में ज़मानत अधिकार के रूप में हक़दार होने पर भी 437
सी आर पी सी में भी ज़मानत नहीं होती ,,उसे ऐसी ज़मानत के लिए भी सेशन जज
साहब के यहां दरवाज़ा खटखटाना पढ़ता है ,,यह गलती वकील से होती तो मुक़दमा
दर्ज होता ,,सनद निरस्त करने के लिए लिखा जाता ,,अवमानना का मामला दर्ज
होता लेकिन इस गलती के खिलाफ निरीक्षक जज के पास भी शिकायत नहीं पहुंची
,,एक पुलिसकर्मी सड़क चलते वकील से अबे तबे करता है ,,किसी भी नोटेरी को
अपराधी की तरह से उठाकर गिरफ्तार कर जेल डाल देता है ,,सांसद ,,विधायक
दूसरी संस्थाए , अदालत परिसर में सुविधाएं अपने निजी कोष से सुविधाएं देना
चाहते है लेकिन वोह सुविधाओं का निर्माण महीनो स्वीकृति के नाम पर उलझा
रहता है ,,वकीलों के लिए कोई प्रशिक्षण कार्यक्रम ,,कोई सेमीनार कार्यक्रम
नहीं हो पा रहे ,,,,अदालतों के क्रियाकलापों को लेकर निरीक्षक हाईकोर्ट जज
साहिब से चर्चा नहीं ,,,,हर माह वकीलों की एक सभा जो साधारण सभा न हो सिर्फ
न्यायिक अधिकारियो और वकीलों के क्रियाकलापों में शिकायते उनमे सुधार को
लेकर हो वोह नहीं होती है ,,वकीलों के भी अगर न्यायिक अधिकारियो से आचरण
खराब है तो न्यायिक अधिकारियो से इस पर भी उनका पक्ष सुनवाई कर चर्चा हो
,,,अदालतों में महिला वकीलों की अलग समस्या है ,,तो सेवानिवृत्त होकर आये
वकीलों की अलग समस्या है तो नोटेरी वकीलों की अलग समस्या ,,है ,, युवा
वकिलो की अलग ,,बुज़ुर्ग वकीलों की अलग ,,,नॉन प्रेक्टिशनर वकीलों की अलग
व्यवस्था है तो नियमित अदालतों में उपस्थित होकर पैरवी करने वाले वकील
साथियों की कई प्रमुख समस्याएं है ,,इनका कच्चा चिटठा तैयार होकर उनका
समाधान होना चाहिए ,,वकीलों की सिर्फ यही ख्वाहिश रहती है ,सड़क चलते किसी
वकील को एक पुलिसकर्मी अगर अबे तब कर ले तो फिर उसे नौकरी पर रहने का कोई
हक़ नहीं साथ ही उसे जेल भी होना चाहिए क्योंकि वकील कोर्ट ऑफिसर है ,,कोई
आम व्यक्ति नहीं ,,शायद वकील वोटर अब स्वाभिमान को मुद्दा बंनाने की ठान
चुका है ,,लेकिन वकील वर्ग अब पार्टियों के अग्रिम विधि प्रकोष्ठ होने से
पार्टियों में बंटा है ,,न्यायिक कार्यक्रमों में शामिल होकर वकील साथियों
के पेनल को जो सुविधाएं ,,जो बैठक खर्च ,,जो बैठक भत्ते मिल रहे है उस वर्ग
में से कुछेक क्या सोचते है उसमे भी बदलाव आया है ,,कोटा के वकील हर
शनिवार को हाईकोर्ट की मांग को लेकर हड़ताल करते रहे है ,,अब रस्म है हड़ताल
नहीं ,,,दूसरी हड़तालों में भी अब वकीलों को मशक़्क़त करना पढ़ती है ,,,सिस्टम
के इस बिगाड़ में कोई और नहीं हम खुद ज़िम्मेदार है ,,हमे बदलना होगा
,,हमारे चुनाव के तरीके बदलना होंगे ,,चुनाव में स्वाभिमान को मुद्दा बनाना
होगा ,,,,बार का भी सम्मान हो तो बेंच का सम्मान रहे ऐसे प्रयास करना
होंगे ,,अदालतों में नियमित उपस्थित वकील साथी ही ,,निर्वाचन में वोट के
हक़दार हो इसके लिए प्रमुख सदस्य और सह सदस्य का विभाजन करना होगा ,,वरना हम
नहीं सुधरे ,,हम नहीं बदले तो हमे न्यायिक दबाव ,,हालात बदलने लगे है
,,कोटा के वकील की एक हुंकार से राजस्थान तड़प उठता था ,,राजस्थान कोटा के
वकीलों की मर्दानगी ,,ताक़त को लेकर प्रशंसक था ,,इसीलिए हमे हमारा
स्वाभिमान ज़िंदा रखने के लिए कोटा का स्वाभिमान ज़िंदा रखने के लिए वकीलों
का स्वाभिमान ज़िंदा रखने के लिए अपना निजी स्वार्थ छोड़कर वोटरों की खुद एक
अलग बैठक कर ,,,वकीलों की आम समस्याओं ,,उनके स्वाभिमान की रक्षा की कसौटी
पर खरा उतरने वाले प्रत्याक्षी को ही तलाश कर खड़ा करे ,,उसे जितवाकर
ताजपोशी भी करे ,,और जो वातावरण बदला उसे बातचीत के रास्ते से समूह के
दबाव से फिर से स्वाभिमानी हिस्सेदारी के साथ वकील एकता ज़िंदाबाद करे
,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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