राजस्थान में भाजपा से जुड़े अधिकारीयों ने दोसा ज़िले सहित कई गाँव में
,,में गरीब हूँ ,,बी पी एल हूँ की पहचान लिखकर ,,ग़रीबों को ,चयनितों को
,,दलितों को ,अपमानित किया है ,,सरकार का कुतर्क है ,के इससे चयनित
परिवारों की पहचान होती है ,और योजना का दुरूपयोग नहीं होता ,,सही कहा ,,अब
सरकारों को सांसदों ,,विधायकों के घर के बाहर भी ,,संसद संख्या ,विधानसभा
संख्या ,,में सेवा के बदले ,,इतने रूपये प्रतिमाह वेतन लेता हूँ ,,,भत्ते
लाखों के ,,मुफ्त पानी ,,मुफ्त बिजली ,,संसद में दो रूपये में भरपेट
खाना खाता हूँ ,,पेंशन लेता हूँ ,,मुफ्त मकान ,,आने जाने का किराया जनता
के टेक्स से लेता हूँ ,,सरकारी खर्च पर निजी सहायक है ,,स्टेशनरी खर्च
,,टेलीफोन खर्च ,,संसद ,विधानसभा स्तर के भत्ते ,,पेंशन सहित कई भत्ते लेता
हूँ ,,लिखवा देना चाहिए ,,आपात काल में जो लोग बंद हुए थे ,,उन्हें पेंशन
मिल रही है ,,सुविधाये मिल रही है ,,उनके घरो के बाहर भी उनका चयन संख्या
,,पेंशन राशि और सुविधाओं का बखान लिखवा दीजिये ,,,मुख्यमंत्री भवन
,,राष्ट्रपति भवन ,, राज्यपालभवन , प्रधानमंत्री भवन के बाहर भी ऐसे ही
सुचना पट्ट लगाना चाहिए ,,पंचायत सदस्यों ,प्रमुख ,,प्रधानों ,,पार्षदों
,,नगरपलिका चेयरमैनो के घर के बाहर भी ऐसे ही बोर्ड लगवा देना चाहिए ,,और
जो लोग समुदायों में फसादात फैलाकर ,,खुद की सुरक्षा के लिए जेड सुरक्षा या
दूसरी सुरक्षाए लेते है ,,उनके घर के बाहर कितने जवान कितने रूपये
प्रतिमाह के लगे है ,,उनकी सुरक्षा पर कितना खर्च आता है ऐसे बोर्ड लगाने
की परम्परा शुरू करवा देना चाहिए ,,राजस्थान में भाजपा के प्रतिनिधियों
उनके अधीनस्थ अधिकारीयों के इस कुतर्क को अगर इन तर्कों के साथ ,,देश भर
में लागू किया जाए ,,तो राजस्थान में जिस तरह से दलितों और ग़रीबों के घर के
बाहर इस तरह की सूचनाएं लगवा कर उनका अपमान किया गया है उसका बदला पूरा हो
जाएगा ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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