क़ाज़ी ऐ शहर कोटा ने इस बार भी ईद का ऐलान इस्लामिक क़ानून ,,परम्परा ,,शरई
क़ानून के तहत ,,चाँद की तस्दीक़ आने पर ही ईद का ऐलान किया ,,,,कोटा में आज
अचानक बादलो की घटा छा जाने से ,,चाँद कोटा में नहीं देखा गया ,,लेकिन
मांगरोल ,,बूंदी से चाँद देखने की जानकारी आने के बाद ,,चाँद नहीं दिखने
पर ,,किस तरह की शहादत और किस तरह की इस्लामिक तसदीक के साथ ऐलान होगा
,,की शरीयत क़ानूनी की जानकारी के अभाव में लोगो का उतावलापन बढ़ गया ,,कुछ
लोग जानकारी के अभाव में उतावले होकर अफवाहे फैलाने लगे ,,कुछ
लोग दिल ही दिल में और नाराज़ गुटों में ग़ीबत करने लगे ,,लेकिन क़ाज़ी ऐ शहर
के ऊपर तो पुरे मुसलमानो की शरीयत और इस्लामिक क़ानून की ज़िम्मेदारी थी
,,वोह पहले भी कई बार शहादत यानी गवाही के अभाव में इस्लामिक क़ानून को
बचाने में कामयाब रहे ,, कुछ नाराज़ लोगो की शरारतों के बाद भी ,,कोटा के
सभी लोगो ने हर बार ,,दूसरे दिन भी ईद मनाना क़ुबूल किया ,,इतिहास गवाह है
के कई बार क़ाज़ी ऐ शहर के पास पहुंची शहादत कुछ सवालों के बाद ही गड़बड़ा गयी
,,इस बार क़ाज़ी ऐ शहर कोटा ने अपने नोजवानो की टीम के साथ सूचनाओं की तस्दीक़
के लिए तुरत फुरत शहादत जुटाने की कोशिशे भी की ,,और बूंदी के शहर क़ाज़ी का
लिखित शहादत नाम ,,ऐलान ऐ ईद ,,पहुंचने के बाद क़ाज़ी ऐ शहर कोटा ने ,,चाँद
देखे जाने की इस्लामिक तहक़ीक़ के बाद ,,सोमवार को ईद मनाने का ऐलान किया
,,सही मायनों में अपने निजी फायदों को अलग थलग रखकर ,,बेबाकी से ,बिना
किसी दबाव के इस्लामिक शरीयत और शहादत के तरीके को एक बार फिर क़ाज़ी ऐ शहर
कोटा ने ,,क़ानूनी परम्परा क़ायम रखी है ,,जबकि कुछ भड़काऊं ,,नादाँन
,,बेसब्रे इस्लामिक भाइयों को कुछ लोग जब भड़काते है तो वोह उकसाने में तो
आते है ,,लेकिन आखिर में कोटा शहर क़ाज़ी की दयानतदारी ,,ईमानदारी ,,साफगोई
और इस्लामिक जानकारी के आगे खामोश होकर उन्हें के इस्लामिक आदेश निर्देशों
को मानते है ,,क़ाज़ी ऐ शहर के ईद मनाने की शहादत की पुष्ठि कर जैसे ही
,,ईद का हुक्मनामा जारी किया ,,नो जवानों ने खुशियां मनाकर ईद के ऐलान का
इज़हार किया ,,पटाखे फोड़े और ,,ईद की खुशियां मनाई ,,अलग अलग मस्जिदों में
एतेकाफ़ में बैठे लोगो को भी खुशियों की दुआओं के साथ ईद की ख़ुशी के लिए
बाहर निकाला गया ,,,,,ईद की सभी को बधाई ,,मुबारकबाद ,,,एक बात ध्यान रखे
,,इस्लाम के क़ानून जो जानता है ,,उसकी तस्दीक़ ,,तहक़ीक़ उसी पर छोड़े ,,किसी
के बहकावे में आकर ,,बेसब्री न दिखाए ,,क़ाज़ी ऐ शहर के कांधो पर जो
ज़िम्मेदारी है उसे वोह बखूबी निभा रहे है ,,इंशा अल्लाह हमेशा आपकी दुआओं
के साथ निभाते भी रहेंगे ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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