सूरए फातेहा
सूरए फातेहा मक्का में नाजि़ल हुआ और इस की 7 आयते हैं
शुरू करता हूँ ख़ु़दा के नाम से जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है (1)
सब तारीफ ख़ु़दा ही के लिए सज़ावार है (2)
और सारे जहाँन का पालने वाला बड़ा मेहरबान रहम वाला है (3)
रोज़े जज़ा का मालिक है (4)
ख़ु़दाया हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझ ही से मदद चाहते हैं (5)
तो हमको सीधी राह पर साबित क़दम रख (6)
उनकी राह जिन्हें तूने (अपनी) नेअमत अता की है न उनकी राह जिन पर तेरा ग़ज़ब ढ़ाया गया और न गुमराहों की (7)
सूरए फातेहा मक्का में नाजि़ल हुआ और इस की 7 आयते हैं
शुरू करता हूँ ख़ु़दा के नाम से जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है (1)
सब तारीफ ख़ु़दा ही के लिए सज़ावार है (2)
और सारे जहाँन का पालने वाला बड़ा मेहरबान रहम वाला है (3)
रोज़े जज़ा का मालिक है (4)
ख़ु़दाया हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझ ही से मदद चाहते हैं (5)
तो हमको सीधी राह पर साबित क़दम रख (6)
उनकी राह जिन्हें तूने (अपनी) नेअमत अता की है न उनकी राह जिन पर तेरा ग़ज़ब ढ़ाया गया और न गुमराहों की (7)
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