अक्सर बाइक पंक्चर होने से परेशान एक इंजीनियर ने प्रॉब्लम खत्म करने का एक नयाब तरीका निकाला।
बेंगलुरु.
अक्सर बाइक पंक्चर होने से परेशान एक इंजीनियर ने प्रॉब्लम खत्म करने का
एक नयाब तरीका निकाला। बेंगलुरु की सड़कों पर सिस्टम इंजीनियर बेनेडिक्ट
जेबाकुमार कीलें चुनते हुए मिल जाएंगे। अब तक वे 37 किलो से ज्यादा कीलें
चुन चुके हैं। ऐसा वे रोज करते हैं। कई बार तो उनका बैग भर जाता है और
उन्हें अपने कैम्पेन को रोकना पड़ता है। कैसे की इसकी शुरुआत, ये है पूरी कहानी...
- 2012 में जेबाकुमार पहली बार बेंगलुरु आए।
- 44 साल के जेबा की बाइक अक्सर ऑफिस जाते या आते हुए पंक्चर हो जाती थी।
- आउटर रिंग रोड और उसके आसपास सड़क पर होने वाले पंक्चर पर पहले उन्होंने ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब यह लगातार होने लगा तो उन्होंने इसके बारे में सोचना शुरू कर
- 44 साल के जेबा की बाइक अक्सर ऑफिस जाते या आते हुए पंक्चर हो जाती थी।
- आउटर रिंग रोड और उसके आसपास सड़क पर होने वाले पंक्चर पर पहले उन्होंने ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब यह लगातार होने लगा तो उन्होंने इसके बारे में सोचना शुरू कर
दिया।
- जेबाकुमार ने पाया कि ऐसा पंक्चर बनाने वाली दुकान के आसपास ज्यादा होता है।
- जेबाकुमार ने पाया कि ऐसा पंक्चर बनाने वाली दुकान के आसपास ज्यादा होता है।
अथॉरिटी ने नहीं की मदद, खुद चलाया फेसबुक पर कैम्पेन
- जेबाकुमार ने बताया, ''आउटर रिंग रोड पर इसे लेकर मैंने कई बार शिकायत की।''
- ''जानबूझकर पैसे बनाने के लिए कुछ लोगों द्वारा यह किया जा रहा था।''
- ''कई बार शिकायत के बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया तो मैंने खुद इससे निपटने की सोची। ऑनलाइन कैम्पेन शुरू कर दिया।''
- जेबाकुमार ने 2014 में `My Road, My Responsibility' नाम से फेसबुक पेज शुरू किया, जिसमें इसके बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है।
- वे रोज जो कीलें चुन कर लाते थे, उन्हें पोस्ट करते थे। दर्जनों वीडियो और फोटोज देखने के बाद इस ओर लोगों का ध्यान जाने लगा।
- जेबाकुमार हर दिन ऑफिस जाते और आते हुए इस काम के लिए कुछ वक्त निकालते हैं और सड़क को साफ करते हैं।
- अब वे केवल रिंग रोड ही नहीं, बल्कि शहर के कई हिस्सों में ये कैम्पेन चला रहे हैं।
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