दोस्तों इबादत का पाक महीना ,,रमज़ानुल मुबारक की आमद के सभी मुंतज़िर है
,,इस माह में इबादत भी होती है और सियासत भी अब होने लगी है ,,लेकिन इस्लाम
के आदाब अखलाक इस सियासत की भागदौड़ में खत्म हो गए है ,,सियासी और
गैरसियासी रोज़े इफ्तार होते है ,,,इफ्तार की दावत ऐरे गेरे से कार्ड भेजकर
,,मेसेज देकर ,,व्हाट्स ऐप फेसबुक पर मेसेज डालकर ,,अखबारों में विज्ञापन
देकर ,विज्ञप्ति देकर और होल्डिंग बोर्ड लगाकर दावत दी जाती है ,,अफ़सोस तो
यह है के ऐसी दावतों में रोज़ा इफ्तार के नाम पर लोग इकट्ठे भी
होते है ,,इसीलिए एक बुलाओ सो आते है वाले कहावत के साथ यह सियासी लोग अब
रोज़ेदार को ,,या महमान को सम्मानपूर्वक बुलाना ही भूल गए है ,,हालात यह है
के चीफ गेस्ट को देखकर या आयोजक को देखकर कई लोग ,,इसी तरह के गेर
इस्लामिक बद्त्मीजाना बुलावे पर आने जाने भी लगे है ,,आज एक बढ़ी चर्चा के
बाद अख्तर खान अकेला ,,साजिद जावेद ,,इक़बाल खान ,,रशीद क़ादरी ,,तबरेज़ पठान
, गुल्लू भाई इटावा वाले ,,बाबा रज़ाक अहमद खान सहित कई सदस्यों ने फैसला
किया की अब जब तक आयोजक सम्मान पूर्वक रोज़ा इफ्तार कार्यक्रम में निमंत्रण न
दे तब तक किसी भी कार्यक्रम में मात्र संदेशों ,,विज्ञापन के आधार पर कोई
भी न जाए ,,चाहे आयोजक कोई भी वी आई पी हो ,,इस आयोजन में कोई भी वी आई पी
क्यों न आये ,देखते है कितने लोग आयोजकों के निमंत्रण स्वभाव् को प्रेमभरा
इस्लामिक ऐतबार का बनाने के लिए उपेक्षा के बुलावे के खिलाफ इस मुहीम का
हिस्सा बनते है ,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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