रायपुर। छत्तीसगढ़ में मां के अंतिम संस्कार की कीमत एक महिला
को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। बहन द्वारा मां के अंतिम संस्कार से गुस्साए
भाई ने कुल्हाड़ी से अपनी बहन की हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार
कर लिया है।
ये है मामला
छत्तीसगढ़ के तिल्दा-नेवरा में मंगलवार को 85 साल की सुरुज बाई की मौत हो गई थी। सुरुज बाई अपनी बेटी गीता के साथ ही रहतीं थीं। परंपरा के उलट गीता ने ही अपनी मां का अंतिम संस्कार किया क्योंकि उसकी मां की यह अंतिम इच्छा भी थी। गीता का एक भाई तेजराम भी है जिसने सुरुज बाई यानी अपनी मां को घर से निकाल दिया था, जिसके बाद से ही वह गीता के साथ रहती थीं। गीता द्वारा मां के अंतिम संस्कार की खबरें यहां के स्थानीय अखबारों में छपी थीं और इससे तेजराम काफी नाराज था।
छत्तीसगढ़ के तिल्दा-नेवरा में मंगलवार को 85 साल की सुरुज बाई की मौत हो गई थी। सुरुज बाई अपनी बेटी गीता के साथ ही रहतीं थीं। परंपरा के उलट गीता ने ही अपनी मां का अंतिम संस्कार किया क्योंकि उसकी मां की यह अंतिम इच्छा भी थी। गीता का एक भाई तेजराम भी है जिसने सुरुज बाई यानी अपनी मां को घर से निकाल दिया था, जिसके बाद से ही वह गीता के साथ रहती थीं। गीता द्वारा मां के अंतिम संस्कार की खबरें यहां के स्थानीय अखबारों में छपी थीं और इससे तेजराम काफी नाराज था।
बेटे के साथ मिलकर की हत्या
मां की मौत के तीसरे दिन गीता के घर तीजनाहवन का कार्यक्रम रखा गया
था। वह परिवार की अन्य महिलाओं के साथ नहाने के लिए तालाब जाने के लिए
निकली थी। महिलाएं बस्ती के बीच में पहुंची थी तभी तेजराम और उसका बेटा
भागते हुए उसकी तरफ आए और उस पर कुल्हाड़ी से एक के बाद एक कई वार करने
लगा। गांव वालों की सूचना पर पुलिस ने तेजराम और उसके बेटे को गिरफ्तार कर
लिया है।
कुछ समझ पाते इतने में ही उसे मार दिया
ग्रामीणों ने बताया कि गीता पर हमले के वक्त कई लोग चौराहे के पस
मौजूद थे लेकिन तेजराम के सिर पर पागलपन सवार था जिसे देख किसी की हिम्मत
नहीं हुई कि उसे रोक सके। सबकुछ इतने अचानक हुआ कि किसी को कुछ समझ नहीं
आया।
प्रॉपर्टी को लेकर भी है विवाद
पुलिस के मुताबिक सुरुज बाई गीता के घर रह रही थी इस कारण तेजराम को
डर था कि वह अपनी संपत्ति भी बेटी के नाम कर देगी। इस बात को लेकर दोनों के
बीच कई बार लडाई भी हो चुकी है। मंगलवार को जब गीता ने अंतिम संस्कार किया
तो वह गुस्से में आ गया कि प्रॉपर्टी के साथ-साथ बेटा होने का हक भी गीता
ने छीन लिया। इसके बाद उसने यह कदम उठाया।
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