न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर की अध्यक्षता
वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा, ‘हम केन्द्र और राज्यों तथा सभी
प्राधिकारियों से अपेक्षा करते हैं कि वे 23 सितंबर, 2013 के आदेश का पालन
करेंगे।’ न्यायालय ने इससे पहले कहा था कि कुछ प्राधिकारियों ने एक प्रपत्र
जारी करके आधार को अनिवार्य बनाया है लेकिन इसके बावजूद किसी भी व्यक्ति
को आधार कार्ड नहीं होने की वजह से परेशानी नहीं होनी चाहिए।
मामले की सुनवाई शुरू होते ही एक
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि न्यायालय के आदेश के
बावजूद प्राधिकारी पट्टा विलेख और विवाह पंजीकरण आदि के मामलों में आधार
कार्ड के लिये जोर दे रहे हैं और यह ‘गंभीर चिंता’ का विषय है। न्यायाधीशों
ने केन्द्र सरकार की ओर से पेश सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार से कहा कि यह
सुनिश्चित किया जाये कि उसके पहले के आदेश का प्राधिकारी पालन करे।
सालिसीटर जनरल ने बाद में न्यायालय से कहा
कि सभी राज्य इस मामले में पक्षकार हैं और ऐसी स्थिति में उन्हें न्यायिक
आदेश पर अमल सुनिश्चित करने के लिये कहा जा सकता है और जिलाधिकारियों जैसे
अधिकारियों को इस बारे में सूचित किया जा सकता है।
इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों ने
कहा कि इस परिपत्र के अनुसार बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को भी
प्राधिकारियों को आधार नंबर उपलब्ध कराने के लिये कहा गया था। हालांकि एक
वकील ने कहा कि यह मुद्दा अब खत्म हो गया है।
न्यायालय वेतन, भविष्य निधि वितरण ओर विवाह
तथा संपत्ति के पंजीकरा सहित अनेक मामलों में आधार कार्ड को अनिवार्य बनाये
जाने के कुछ राज्य सरकारों के निर्णय के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर
रहा है। इस मामले में न्यायालय अब जुलाई के दूसरे सप्ताह में आगे विचार
करेगा।
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