मुझे तुम्हारा
आज भी इन्तिज़ार है
कल भी था
कल भी इन्तिज़ार रहेगा
क्योंकि
में आदत से मजबूर हूँ
मुझ से जो
नफरत करता है
उसे में प्यार बांटता हूँ ,,अख्तर
आज भी इन्तिज़ार है
कल भी था
कल भी इन्तिज़ार रहेगा
क्योंकि
में आदत से मजबूर हूँ
मुझ से जो
नफरत करता है
उसे में प्यार बांटता हूँ ,,अख्तर
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