कर चले हम फ़िदा जाने तन साथियों ....अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों ...जी
हाँ दोस्तों किसी शहीद की यह भावना हमारे देश में आज भी तिरस्क्रत हो रही
है हमने इस वतन को नहीं सम्भाला है अँगरेज़ हमे वतन तो दे गए लेकिन हम खुद
हम वतनों की तरह इस वतन को सम्भाल नहीं सके केवल झूंठी वाह वाही में हम खुद
को शेर समझते रहे .....हमारे हवाले जो वतन है हमने ना तो इस वतन को
सुरक्षित रखा ..न वतन के संविधान को ना वतन के झंडे को ना वतन के गीत को ना
वतन की संस्क्रती और ना ही सरहदों को हम सुरक्षित रख सके है .....हमे वतन
आज़ाद मिला था हमने वतन को चलाने के लियें संविधान बनाया था लेकिन आज वतन
के खिलाफ दुश्मनों का सर बुलंद है हमारे वतन के मुहाफ़िज़ों का सर कलम किया
जा रहा है हम खामोश है ..हम हिन्दू है ..हम मुसलमान है ..हम छोटे है हम बढ़े
है हम पिछड़े है हम हिंदी है हम उर्दू है हम तमिल है हम कन्नड़ है हम बंगला
है हम मराठी मानुष है आज भी हम इसमें बनते है कश्मीर से कन्याकुमारी तक
भारत एक है यहाँ धर्म जाती लिंग भाषा के आधार पर किसी तरह का भेदभाव नहीं
किया जा सकता रोज़गार में स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता लेकिन
महाराष्ट्र में जो नंगा खेल होता है उससे हमारा गणतन्त्र शर्मसार होता है
उससे भी ज्यादा शर्मसार हमारी जनता होती है जो ऐसे लोगों को चुनकर भेजती है
जो लोग कानून की पालना नहीं करते कानून पूंजीपतियों ..सियासी लोगों और
ताकतवर लोगों का गुलाम बना दिया गया है ...हमे शर्म आती है जब वाल्मोर्ट
विदेशी किरन को भारत में लाने के लियें संसद मेनेजमेंट के लियें डेढ़ सो
करोड़ रूपये खर्च करने की बात कहता है ..हम शर्मिन्दा होते है जब तब हम संसद
में ..विधानसभाओं में बलात्कारियों ..हत्यारों और गुंडे बदमाशों की फोज को
भेजने के दोषी होते है ..हम शर्मसार होते है जब दामिनी को सरेआम लुटा जाता
है और महिला नेताएं डांस करती हुई दिखती है ...हमारे देश में गरीबों पर
टेक्स लगाये जाते है लेकिन अम्बानी और टाटा जेसे उद्द्योगपतियों के अरबों
रूपये माफ़ कर दिए जाते है यह केसा राजतन्त्र है यह केसा लोकतंत्र है जहाँ
जीरों नम्बर वाले को डोक्टर इंजीनियर ..कलेक्टर ..अधिकारी बनाना मजबूरी है
और सो में से सत्तर नम्बर वाले को बेरोजगार रखा गया है यह कोन्सा कानून है
जहाँ आतंकवाद अपराध का धर्म बन गया है रंग बन गया है हिन्दू आतंकवाद
..मुस्लिम आतंकवाद यह क्या है क्या कोई जाती ..कोई धर्म ..कोई भाषा
आतंकवादी होती है इससे भी शर्मसार करने वाली बात यह है के यह अलफ़ाज़ एक
गृहमंत्री के होते है भाजपा में गृह मंत्री रहे अपने कार्यकाल में मुस्लिम
आतंकवाद की बात करते है तो कोंग्रेस के गृहमंत्री हिन्दू और भगवा आतंकवाद
की बात करते है ..शोर शराबा होता है तो माफ़ी मांगने की जगह गृहमंत्री जी
कहते है मेरे पास पुख्ता सुबूत है के आर एस एस और भाजपा के नेता आंतकवादी
गतिविधियों में लिप्त है ..यह बयाँ एक गृहमंत्री को और शर्मसार कर देने
वाला है क्योंकि अगर कोई आतंकवाद फ़ेल रहा है और गृह मंत्री की जानकारी में
है तो फिर वोह जेल में क्यूँ नहीं है उसे कोनसी आतंकवादी घटना करने के
लियें आज़ाद रखा गया ह्है या फिर वोह झूंठ बोल रहे है या आतंकवादियों से मिल
गए है ...आज गणतंत्र दिवस है सिर्फ किताबों में है इस गणतन्त्र को ना आप
मान रहे है न में मान रहा हूँ गणतन्त्र दिवस मनाने के पहले किसे परुस्कार
देना है इस पर सिफारिशी दोर चलता है ..किसे सम्मानित करना है ..किसे वी आई
पी कार्ड देना है ...किसे पद्मभूषण किसे परमवीर चक्र देना है योग्यता नहीं
केवल सिफारिशे ही सिफारिशे और यह सब कस्बे से लेकर जिले राज्य और केंद्र
स्तर तक सारा देश देखता है स्कूलों में कोलेजों में पढ़ी के नामा पर लुट है
..कोचिंग माफिया सक्रिय है हमारे देश में बाहरवीं के बाद डोक्टर इंजिनियर
बनाने के लियें अतिरिक्त परीक्षा का प्रावधान रख दिया गया है स्कूली शिक्षा
खत्म कोचिंग माफिया सक्रिय और सरकार का बेहिसाब हिस्सा इसमें शामिल है अरे
जनाब बाहरवीं में जो बच्चा अधिक अंक लाये उसकी मेरिट बनाओं और इंजिनियर
डोक्टर ..सी ऐ वगेरा बनाओ स्कूल की शिस्खा का स्तर भी सुधरेगा और कोचिंग
माफिया से जनता लुटने से भी बच जायेगी लाखों का काम सेकड़ों में हो जाएगा और
फिर निजी मेडिकल ..इंजीनियरिंग ..एम बी ऐ ...सी ऐ कोलेज में फ़ीस के नाम पर
खुली लूट डोनेशन स्कूलों में बच्चों से फीस के नाम पर लुट सभी जानते है
लेकिन इस शिक्षा माफिया को इस गणतन्त्र में रोकने वाला कोई नहीं है इन्ही
संस्थाओं में जब गणतन्त्र दिवस मनाया जाता है तिरंगा फहराया जाता है तो हम
लोग शर्मसार हो जाते है हाँ कोचिंग माफिया का तो कहना क्या वोह लोग तो
बेचारे तिरंगा फहराते भी नहीं .....तिरंगा क्या होता है लोग जानते नहीं
ध्वज संहिता क्या होती है किसी को पता नहीं और स्कूलों में प्लास्टिक के
तिरंगों को मंगा कर बाद में कचरे में फेंका जाता है बच्चों को उसके मान
सम्मान के बारे में समझाया नहीं जाता है .....क्याआअ हमारे संविधान में जो
लिखा है उसे आम जनता जानती है ...क्या आज हमे समानता का अधिकार मिला है
...क्या जाती धर्म भाषा के आधार पर हमारे देश भेदभाव नहीं हो रहा है
....क्या संसद में विधानसभाओं में जो लोग जा रहे है वोह वैधानिक परम्पराए
और शपथ की मर्यादाएं भंग नहीं कर रहे है .....रिश्वत खोर ..घोषित बेईमान
संसद में वोट के नाम पर भारी ..रिश्वत ले रहे है ..वाक् आउट करने की भी
रिश्वत ले रहे है ......जजों की नियुक्ति में सेक्स स्केंडल है ....नोकरी
के नाम पर रिश्वत है अब बताओ यह लोकतंत्र गोरवान्वित करने वाला है या
शर्मसार करने वाला है अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है अभी भी हम एक जुट होकर इस
लोकतंत्र को फिर से पुनर्जीवित कर सकते है ..अगर हां तो आप हम मिलकर फिर से
एक नया हिंदुस्तान बनाये फिर से एक नया लोकतंत्र बनाये मेरे इस भारत को
महान बनाये स्वर्ग सा सुख यहाँ हो इसे सोने की चिड़िया एक बार फिर से बनाये
....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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