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25 जनवरी 2013

लादेन और सद्दाम को मौत के घाट उतारने वाले अमेरिका ने किया भारत से धोखा

शिकागो.  डेनमार्क में एक अख़बार पर आतंकी साजिश रचने के मामले में अमेरिका में डेविड कोलमैन हेडली को 35 साल की सुनाई गई है। लश्कर आतंकी हेडली को मौत की सजा देने के बजाय जिंदा छोड़ देना कई तरह के सवालों को जन्म देता है। क्या यह अमेरिका का आतंक के खिलाफ दोहरी नीति है। जबकि इसके साफ था कि हेडली मुंबई हमलों के साजिश में शामिल था। इसके बावजूद अमेरिका ने उसके प्रति नरमी दिखाई। 
 
हेडली को सजा सुनाते वक्त कोर्ट खचाखच भरा हुआ था। वहां मौजूद लोग सजा में इतनी नरमी देख कर हैरान रह गए। वहीं, जज ने भी सजा सुनाने के बाद सिर्फ यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उनके कितनी भी गंभीर सजा देने के बाद भी आतंकियों की फितरत नहीं बदलेगी। 
 
अमेरिका कई बार आतंकियों को सबक सिखाने की बात सार्वजनिक रूप से कह चुका है। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के आरोपी ओसामा बिन लादेन को मार गिराने के लिए उसने दस सालों तक खोजी अभियान चलाया। जैविक हथियारों की अफवाह फैलाकर इराक पर जंग थोपी गई और सद्दाम हुसैन को फांसी पर लटका दिया। लेकिन, मुंबई हमलों के साजिशकर्ताओं में शामिल हेडली के लिए अमेरिका की इतनी नरमी समझ के बाहर है। 
 
 
देश के जाने-माने सरकारी वकील उज्जवल निकम के लिए हेडली को दी गई सजा हजम कर पाना मुश्किल हो रहा है। वे कहते हैं कि मुंबई हमले के आतंकी अजमल कसाब और हेडली की गुनाह एक समान हैं। हमने कसाब को फांसी पर लटकाया, अगर हेडली भारत में होता तो उसे भी यही सजा मिलती। अमेरिका आतंक से सख्ती से निपटने के लिए तो कहता है, लेकिन हेडली जैसे लोगों को जिंदा छोड़ देता है। अमेरिका का यह दोहरापन है, क्योंकि हेडली एक अमेरिकी है।

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