राजस्थान देश भर में ऐसा पहला राज्य होगा,
जिसने महिलाओं को अत्याचार से बचाने के लिए इस तरह के एक प्रभावी कानून
लाने की पहल की। महिला अत्याचार निवारण कानून के तहत आने वाले सभी मामलों
की सुनवाई अलग कोर्ट में होगी। राज्य के हर जिले में अलग से विशेष अदालतों
का गठन किया जाएगा। जिससे मामलों के निपटारे में तेजी आए। इसके लिए सरकार
ने तुरंत आठ करोड़ रूपए भी जारी कर दिए। जब तक हर जिले में कोर्ट नहीं बन
जाता, तब तक ऐसे मामलों के संज्ञान और सुनवाई का अधिकार अतिरिक्त जिला एवं
सत्र न्यायालय को होगा। गौरतलब है कि महिलाओं को डायन अथवा अन्य बुरे शब्द
कहे जाने के खिलाफ महिला संगठनों ने अदालत में याचिका दायर की थी। इस मामले
में जब जवाब तलब किया गया, तो सरकार ने अदालत में प्रस्तावित कानून का
मसौदा पेश किया।
कहने को हमारे संविधान में महिलाओं को
बराबरी का दर्जा और प्रगति के समान अवसर प्रदान करने का संकल्प लिया गया
है। इस संबंध में सकारात्मक कार्रवाई का भी प्रावधान है। बावजूद इसके देश
में महिलाओं के एक बड़े तबके को आज भी संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों का
पूरा फायदा नहीं मिल पाता। समाज में लैंगिक तौर पर उनसे जगह-जगह भेदभाव
किया जाता है। उन पर कई तरह के अत्याचार होते हैं। उन्हें यह अत्याचार,
अपने घर और घर के बाहर दोनों जगह भुगतने पड़ते हैं। कड़े कानून के अभाव में
महिलाएं चुपचाप ये अत्याचार और प्रताड़ना झेलती रहती हैं। मिसाल के तौर पर
हमारे यहां महिलाओं को डायन बताकर प्रताड़ित करने वालों के खिलाफ कोई सख्त
कानून नहीं है। पुलिस मामूली धाराओं में मामले दर्ज करती है। जाहिर है,
सख्त कानून ना होने की वजह से आरोपितों को कभी वाजिब सजा नहीं मिलती। जिसके
चलते समाज में औरत को प्रताड़ित करने का यह घिनौना सिलसिला बदस्तूर चलता
रहता है। खासकर, देश के पिछड़े राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार,
झारखंड, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा आदि में महिला अत्याचार और डायन के
नाम पर प्रताड़ित करने की घटनाओं में लगातार इजाफा हुआ है।
मीडिया में आए दिन इस तरह की खबरें आती
रहती हैं कि फलां-फलां जगह किसी महिला को डायन बताकर उस पर भयंकर अत्याचार
किए गए। उसे सड़कों पर नंगा घुमाया गया और बाद में पीट-पीटकर मार दिया गया।
ऐसी घटनाएं कहीं अकेले में नहीं, बल्कि पूरे समाज की आंखों के सामने होती
हैं, लेकिन मजाल है कि कोई इसके खिलाफ आगे आए और अपनी आवाज उठाए। यहां तक
कि कई बार तो यह देखने में आता है कि जिस परिवार की महिला पर यह अत्याचार
होता है, वह भी उसे बचाने नहीं आता। पीड़ित महिला के प्रति सभी संवेदना
शून्य हो जाते हैं।
बहरहाल, राजस्थान सरकार ने महिला अत्याचार
रोकने के लिए जो कानून बनाया है, उसके अंतर्गत उसने महिलाओं से संबंधित कई
तरह के अत्याचारों को समाहित किया है। मसलन-महिला को अपशब्द या डायन कहना,
बिना सहमति के महिला की फोटो खींचना या फिल्म बनाना, महिला से बेगार लेना,
महिलाओं को सार्वजनिक स्थल पर जाने से रोकना, उसे किसी शब्द या इशारे से
अपमानित करना, अखाद्य वस्तु के सेवन के लिए विवश करना, अपमानजनक सामग्री
प्रकाशित करने के उद्देश्य से डराना-धमकाना, महिला पर तेजाब या विषेला
पदार्थ फेंकना और उसे अश्लील मैसेज भेजना आदि। कानून के अमल में आते ही
महिलाओं के खिलाफ किए गए ये सभी अपराध गैर जमानती होंगे। आरोप साबित होने
पर आरोपी को जमानत नहीं मिलेगी। महिलाओं पर ज्यादती करने वालों के खिलाफ
गैर जमानती धाराएं लगेंगी। जाहिर है, यह कानून समाज में महिलाओं को व्यापक
सुरक्षा प्रदान करेगा। उनका सुरक्षा कवच साबित होगा। उम्मीद है, राजस्थान
सरकार द्वारा महिलाओं को अत्याचार से बचाने के लिए लाया गया यह बेहतरीन
कानून, आने वाले दिनों में देश की बाकी राज्य सरकारों के लिए भी एक नजीर
साबित होगा। वे भी अपने यहां इस तरह के कानून को जल्द लेकर आएंगी।
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