12.12.12 यानी 12 तारीख, 12वां महीना और 12वां साल। कहने को तारीख।
लेकिन मानने वालों के लिए दुर्लभ पल। किसी ने इस पल में शादी करने के लिए
बरसों इंतजार किया। तो कुछ ऐसे हैं जो इस खास मौके पर किलकारी सुनने के लिए
सीजेरियन डिलीवरी करा रहे हैं। अस्पताल फुल हो चुके हैं। डॉक्टर डिलीवरी
के केस नहीं ले रहे। लेकिन लोग दोगुनी, चौगुनी फीस देकर भी ऑपरेशन के लिए
डॉक्टर को तैयार करने में जुटे हैं। ऐसा हो भी क्यों न। ऐसा मौका अब 89 साल
बाद आएगा। 01.01. 2101 के रूप में।
12-12-12 यह दिनांक इस वर्ष के बाद अब कभी नहीं आएगी। ज्योतिष अनुसार
इस दिन अनुराधा नक्षत्र रहेगा जिसके स्वामी शनि है तथा चदंमा वृश्चिक राशि
में रहेगा जिसमें अभी शनि की साढ़ेसाती चल रही है। जानिए, उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार आपकी राशि पर कैसा असर होगा-
पं. शर्मा के अनुसार 12-12-12 को पांच ग्रह सूर्य, बुध, शुक्र, चंद्र
एवं राहु वृश्चिक राशि में गोचर होंगे। इस दिन जन्म लेने वाले जातक की राशि
मे जीवन भर बने रहेंगे। चंद्रमा नीच का एवं राहु शत्रु राशि में रहेगा।
पांच ग्रहों का योग एक साथ एक राशि में शुभ नहीं है। हालांकि इस पर गुरु की
दृष्टि बनी रहेगी जिससे कोई बड़ी हानि होने की संभावनाएं नहीं है।
जो लोग शल्य क्रिया द्वारा इस अनोखी दिनांक में अपनी संतान को जन्म
देना चाहते हैं उन्हें इसमे सावधान रहना चाहिए केवल अनोखी तारीख के मोह में
ऐसा नहीं करे तो अच्छा होगा। पं. शर्मा ने बताया कि इस दिनांक को टालने का
प्रयास करना चाहिए। जिनका जन्म प्राकृतिक रूप से होगा वह ईश्वर की इच्छा
है।
12 दिसंबर की रात 8 बजकर 21 मिनट से ज्येष्ठा नक्षत्र शुरू हो जाएगा
और जो शिशु इस नक्षत्र में जन्म लेगा वह मूल में जन्मा माना जाएगा। मूल
नक्षत्र में जन्म लेने वाले शिशु को पिता 28 दिनों तक नहीं देख सकता है, यह
शास्त्रों के अनुसार वर्जित किया जाएगा। इसके साथ ही शिशु के लिए मूल
शांति भी करानी होगी।
पं. शर्मा के अनुसार इस दिन शनि उच्च का रहेगा एवं उसकी तीसरी पूर्ण
दृष्टि धनु राशि पर होगी जिसमें वर्तमान में मंगल का गोचर है। शनि-मंगल की
शत्रुता भी जातक के जन्म से ही कुंडली में विद्यमान हो जाएगी। इसके अलावा
12 दिसंबर का दिन सभी लोगों को सावधानी पूर्वक बिताना चाहिए। किसी भी
प्रकार के निवेश से बचने का प्रयास करें एवं किसी नए कार्य को शुरू करने जा
रहे हो तो उसको टालें। यह दिन कृष्ण पक्ष की चर्तुदशी तिथि का होगा, जो
रिक्ता कहलाती है अर्थात इस दिन किया गया कार्य रिक्त हो जाता है। इस तिथि
के स्वामी भगवान शंकर हैं। इस दिन पूर्ण निष्ठा से भोलेनाथ का पूजन करने से
अकूत धन लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। शाम को शिवालय में दीपक जलाने से
दरिद्रता समाप्त होती है।
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