परोक्ष रूप से आतंकवाद का संचालन करने वाले पाकिस्तान की स्थिति ऐसी नहीं होती, यदि 1980 के दौर में भारत और इजरायल संयुक्त रूप से पाक के परमाणु ठिकानों पर हमला करने में कामयाब हो जाते। जी हां, भारत और इजरायल के बीच खुफिया संबंध बहुत पुराने हैं।
"एशियन एज" अखबार ने एक अमेरिकी पुस्तक के हवाले से लिखा है कि, 1982-83 में भारत और इजरायल पाक के परमाणु ठिकानों पर हमला करने वाले थे। उस समय पाकिस्तान परमाणु बम बनाने में लगा हुआ था। इसकी खुफिया सूचना भारत को मिल गई। इस खबर से भारत परेशान हो गया। तब इजरायल ने भारत को पाक के परमाणु ठिकानों पर हमला करने की सलाह दी। दोनों ने गुप्त रूप से इसकी तैयारी शुरू कर दी। 1983-84 में पाक के कहुता परमाणु रिसर्च सेंटर पर हमले की योजना बनाई गई।
किताब के मुताबिक, इजरायल और भारत के पाकिस्तान हमले की सूचना अमेरीका की खुफिया एजेंसी सीआईए के हाथ लग गई। उसने इस बात की जानकारी
पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक को दे दिया। पाकिस्तानी आर्मी भारत और इजरायल के संयुक्त हमले का जवाब देने के लिए तैयार हो गई।
किताब के मुताबिक, पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख के.एम आरिफ ने जवाबी हमले की पूरी तैयारी कर ली थी। उस समय अमेरिका ने भारत को चेतावनी जारी की कि यदि उसने पाकिस्तान पर हमला किया तो वह भी जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान की तरफ से हिस्सा लेगा। पाक की तरफ से अमेरिका को खड़ा देख भारत ने इस ऑपरेशन को रद्द कर दिया। यदि उस समय सीआईए ने जानकारी लीक नहीं की होती, तो आज पाकिस्तान की स्थिति कुछ और ही होती।
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