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12 अक्तूबर 2011

उच्च राशि ‘तुला’ में आएंगे शनि



इंदौर। नवग्रह में सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली ग्रह शनि इस बार अपनी उच्च राशि ‘तुला’ में आएंगे। 29 साल एक माह नौ दिन में 12 राशियों का चक्र पूरा कर तुला राशि में प्रवेश करेंगे। हालांकि शनि के राशि परिवर्तन को लेकर पंचांगों में मतभेद है। देशभर के कम्प्यूटर गणना आधारित अधिकांश पंचांग 15 नवंबर 2011 को शनि का राशि परिवर्तन बता रहे है वहीं पारंपरिक गणना वाले कुछ पंचांगों ने यह परिवर्तन 2 नवंबर को बतलाया है।

पंडितों के अनुसार 9 सितंबर 2009 को शनि ने कन्या राशि में प्रवेश किया था। अब 15 नवंबर को सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर कन्या से तुला राशि में प्रवेश कर, 2 नवंबर 2014 तक इसी राशि में रहेंगे। पूर्व में ६ अक्टूबर 1982 को शनि ने तुला राशि में प्रवेश किया था। आगे सन् 2041 में शनि पुन: तुला राशि में आएंगे।

शनि की प्रसन्नता के लिए उपाय

> शनि प्रतिमा पूजा व तेल दान, शनि स्तोत्र पाठ करें।
> ऊं शं शनैश्चराय नम: या ऊं प्रां, प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: का जप करें।
> हनुमानजी की आराधना। मंदिर में प्रतिदिन या शनि-मंगलवार को तेल का दीपक लगाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।
> शिवपूजन और पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना।
> नीलम धारण करना।
> शनिवार को काली वस्तुओं का दान
> शनि यंत्र पूजन व धारण आदि।

साढ़े साती और ढैय्या

> वृश्चिक राशि वाले जातकों को साढ़े साती शुरू होगी।
> कर्क-मीन राशि को ढैय्या शुरू होगा।
> तुला राशि को साढ़ेसाती का दूसरा और कन्या को तीसरा चरण प्रारंभ होगा।
> सिंह राशि की साढ़ेसाती खत्म और मिथुन-कुंभ ढैय्या शनि से मुक्त होंगे।

राशि और प्रभाव

श्रेष्ठ: मिथुन, सिंह, तुला, मकर, कुंभ।
मिश्रित: मेष, वृषभ, कन्या, धनु।
ठीक नहीं: कर्क, वृश्चिक, मीन।

अच्छा रहेगा परिवर्तन

शनि का तुला में प्रवेश अच्छा रहेगा। शनि स्थिरता का कारक है। देश के लिए यह समय उपलब्धियों भरा रहेगा। अ.भा. ज्योतिष संस्था संघ नईदिल्ली के अध्यक्ष अरूण बंसल के अनुसार कन्या, तुला और वृश्चिक राशि वाले जातकों पर साढ़े साती का प्रभाव रहेगा। इनमें तुला राशि के लिए साढ़े साती अच्छी रहेगी।

मंद गति है शनि की

तुला राशि में शनि उच्च के होते है और मेष राशि में नीच के। शनि का शाब्दिक अर्थ है- ‘शनै: शनै: चरति इति शनैश्चर:’ अर्थात धीमी गति से चलने के कारण यह शनैश्चर कहलाए। पं. अरविंद पांडे के अनुसार नवग्रहों में शनि की सबसे मंद गति है। एक राशि में ढाई वर्ष और सभी 12 राशि के भ्रमण में शनि को लगभग 30 वर्ष का समय लगता है। चंद्र के गोचर से शनि जब 12वीं राशि में आते है तब साढ़े साती शुरू होती है।

नवग्रह के राशि परिवर्तन का समय

सूर्य-बुध 30 दिन
चंद्र सवा दो दिन
मंगल 45 दिन
गुरु करीब एक वर्ष
शुक्र 27 दिन
शनि 30 माह
राहू-केतू 18 माह

1 टिप्पणी:

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