आपका-अख्तर खान

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24 जुलाई 2011

यूँ हर सुबह
जब भी उठता हूँ में
बिस्तर से
तुजे मुझसे हाँ मुझसे
दूर क्यूँ पता हूँ ...
अजाब है यह
तड़पाने का अंदाज़
रात को सोते है तो अप  साथ हो
जागते ही आप खान और क्यूँ चले जाते हो
खुदा या
या तो उन्हें सपने में लाना बंद करदे
और अगर सपने में वोह आते है
तो उन्हें सिर्फ और सिर्फ ह्मेशाना के लिए
मेरे साथ कर दे .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

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