हाँ
तुम ही बताओं
बार बार
मुझ से तुम
यह क्या कहते हो ......
कहते हो
इमानदार बनो
कहते हो
सीधे सज्जन बनो
कहते हो
भ्रष्टाचार से बचो ..
तुम खुद जानते हो
हम कहां और किस हाल में जी रहे है
हम किन नेताओं के जिम्मे
अपना देश चलवा रहे हैं ..
तुम जाते हो
तुम्हारी यह सिक्ख हमें
इस जिंदगी में
पिछड़ा दुरे दर्जे का नागरिक बना देगा
फिर भी तुम ही बताओं
तुम यह सिक्ख हमें
क्यूँ और किस लियें देते हो
एक तरफ तो
दुदो फलो पूतो नहाओ
कामयाब आदमी बनो की दुआएं देते हो
और दूसरी तरफ ऐसी सिक्ख देते हो
तुम्ही बताओं ऐसा क्यूँ और किसलियें
इन हालातों में तुम
मुझसे कहते हो
तुम कहते हो तो कहते रहो
मुझे तो तरक्की करना है
मुझे तो देश की नेता गिरी करना है
बस इसीलियें
में तुम्हारी बात
इस कान से सुनता हूँ
और दुसरे कान से निकाल देता हूँ .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
15 जुलाई 2011
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सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंsundar abhibykti
जवाब देंहटाएंhardik badhai