आपका-अख्तर खान

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19 जून 2011

यह आसमान भी है केसा ......

यह आसमान भी है केसा ......
यह कभी 
तपता हुआ सूरज 
तो कभी 
चांदनी बिखेरते 
चाँद को निगल लेता है 
यह आसमान भी अजीब है 
कभी बरफ की चट्टानों को 
यूँ ही 
पानी बनाकर पिघला देता है 
कभी रंगो को मिलकर 
इन्द्रधनुष बना देता है 
फिर भी 
जब दबा देती है 
यह दो गज जमीन 
इन्सान को 
यही आसमान है 
जो इंसान की रूह को 
पनाह देता है ...............अख्तर खान  अकेला कोटा राजस्थान 

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