यकीन मानिए सूरज पनाह मांगेगा ..उतर गया कोई जर्रा अगर बगावत पर .....भाई देवेन्द्र गोतम के तीखे तेवर की ब्लोगिंग में उनका यह अपना विचार है ...झारखंड की रांची से पत्रकारिता से जुड़े भाई देवेन्द्र गोतम खुद को पत्रकारिता और ब्लोगिंग लेखनी में बेलेंस कर चलाना चाहते हैं .वोह खुद को घड़ी का पेंडुलम बताते हुए कहते हैं, के पेंडुलम की तरह से घड़ी की ध्रुवीकरण बन कर, वक्त की टिक टिक के साथ ,लेखन करते रहो ,बस यही देश की सेवा और राष्ट्रीयता है, उनका मानना है, के यत्र तत्र बिखरी पढ़ी समस्याओं को उठाओं उनका निदान करवाओ और जो बिखर गया है उसे संवार लो . जो बिछड़ गया है उसे ढूंढ़ कर अपनाओ, जो बिगड़ गया है ,सुधारकर मुख्यधारा में जोड़ लो, और बस इसी लियें अपनी पत्रकारिता ,अपनी लेखनी, अपनी ब्लोगिंग के माध्यम से जनाब देवेन्द्र जी बिगड़े इस देश को बदलने की कोशिश में जुटे है ,खुदा उनकी कोशिश, कामयाब करे उनका सपना, साकार करे ..............
भाई देवेन्द्र गोतम युवा तुर्क लेखक के रूप में, अपनी पहचान बना चुके है, और पत्रकारिता ने इनकी ब्लोगिग्न के तेवर और तीखे कर दिए हैं, इनकी पेनी निगाह , पेनी कलम से कोई बच सकेगा ऐसा सोचना बेकार सी बात है, थोडा लिखा लेकिन मर्यादित और इबरतनाक लिखो बस यही धुन इन देवेन्द्र भाई को सवार है ,और वोह बिना पीछे मुड़े अपना काम देश को सुधारने के लियें करे जा रहे हैं ....इनके प्रमुख ब्लॉग खबर गंगा ...चोथा खम्भा ... गज़ल गंगा ....जनोपयोगी सूचनाएं ....... अरे भाई साधो ..शमिल हैं .इनका ब्लॉग जनोपयोगी सेवाए बनाया तो गया है लेकिन उस पर पोस्ट नहीं लिखी गयी है ,मेरा उनसे निवेदन है की, ब्लोगिंग को इस वक्त जनोपयोगी सेवाओं की ज़रूरत है और ब्लोगिंग की यह कमी आप देवेन्द्र जी दूर करने में सक्षम है,इसलियें इस कमी को ,अपने इस ब्लॉग पर सूचनाएं देना शुरू कर वोह जल्दी पूरा करें .......खबर गंगा उनका पत्रकारिता से जुड़ा ब्लॉग है, जिसपर घटनाए आचार विचार रिपोर्ताज आलेखित किये जा रहे है, हर मुद्दे पर इनकी कलम इस ब्लॉग पर चल रही हैं ,इनकी लेखनी में देश के प्रति चिंतन जताता है ...खबर गंगा का सार कुछ इस तरह से है भाई देवेन्द्र जी लिखते हैं ...एक चोराहे पे कबसे चुप खड़ी है ....यह सही एक लम्हे की तलब है बेकरारी के लियें ...गज़ल गंगा जिस ब्लॉग पर देवेन्द्र भाई ने गजलों की गंगा बहा दी है उस पर लिखते हैं यकीन मानो के सूरज पनाह मांगेगा .उतरत गया अगर कोई ज़र्रा बगावत पर .....अरे भाई माधो पर देवेन्द्र जी कहते हैं किस किस्से कहते ,खामोशी का राज़ अपने अन्दर ढूंढ़ रहे हैं हम अपनी आवाज़ ....वर्ष २०१० से ब्लोगिंग में आये जनाब देवेन्द्र भाई ने अपनी पहली पोस्ट नक्सल समस्या कारण और निवारण को समर्पित की है ,राष्ट्रीय,अंतर्रराष्ट्रीय और स्थानीय मुद्दों पर इनका अपना लेखन है, जो देश और देश की समस्याओं के प्रति इनका चिंतन दर्शाता है .............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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