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06 अप्रैल 2011

एक हैं किलर झपाटा , और एक हैं कुंवर कुसुमेश

एक हैं किलर झपाटा , और एक हैं कुंवर कुसुमेश दोनों के स्वभाव और दोनों  की लेखनी उत्तर दक्षिण है मामूली सा परिचय इन भाइयों का में आपसे कराना चाहता हूँ .............
किलर झपाटा जी जेसा नाम ऐसा ही काम इनकी ब्लोगिंग में किसी का भी कान पकड़ों और प्यार से दो चार चपत लगा दो बस यही इनका अंदाज़ हे और टिप्पणी का अंदाज़ तो माशा अल्लाह निराला हे जो इनकी पहलवानी गुण को ना जाने वोह तो बिना वजह के नाराज़ होकर ही बेठ जाए , भाई नाराज़ होने की बात नहीं हे बात थोड़ा डरने की हे किलर झपाटा भाई छोटे मोटे आदमी नहीं अरे भाई पहलवान हैं पहलवान समझ गए ना बस इसीलियें इनका फोटू लगाने में  में थोडा में डर गया , खेर यह तो हुई हंसी मजाक और भाईचारे की बात लेकिन हकीकत यह हें के होन्कोंग में मजे ले रहे भाई किलर झपाटा जी खिलाड़ी हैं और खेल के सामानों का ही इनका व्यसाय भी है यह किलर हैं और सिर्फ किसी को भी किलिंग करने के लियें निर्भीकता से अपनी वाणी चलाते हैं इनकी सभी पोस्टों में जांबाजी झलकती है कई लोग इनकी पोस्ट और टिप्पणियाँ पढ़कर नाराज़ होने का भी मन बनाते हैं लेकिन जब इन जनाब के पहलवानी के किस्से आते हैं तो मेरे जेसे लोग तो डर जाते हैं और कुछ सोच लेते हैं चलो छोड़ों क्या फर्क पढ़ता हे बेचारा पहलवान है......  भाई किलर झपाटा जी ने होन्कोंग और हिन्दुस्तान एक कर दिया है इनको किलकिल काँटा खेलना अच्छा लगता हे दीवाने बकवास जो में लिखता हूँ इनका मनपसंद ग्रन्थ है वर्ष २०१० में इन्होने ब्लोगिंग शुरू की और इस वर्ष कुल छ ब्लॉग लिख कर अब यह मजेदार ब्लोगिंग में हैं इनकी पोस्टें और टिप्पणियाँ पढ़कर जी करता है के इनके साथ मिलें इनके साथ बेठें इनके साथ घूमें इनके साथ  फिरें तो जनाब किलर झपाटा भाई क्या हमें बुला रहे हों हांगकांग घुमने फिरने और थोड़ा खुबसूरत चेहरा खुबसूरत नाम सभी तो लोगों के सामने लाओ यार वरना हम तो तुम्हारी याद में तडप तडप कर ही मर जायेंगे . ........................................................ 
जनाब यह तो हुई हंसी मजाक की किलर झपटा साहब की लेकिन एक ब्लोगर भाई धीर गम्भीर और कविता गुरु कुंवर कुसुमेश जी हैं जिन्हें अगर में नहीं पढ़ पाता या जिन तक मेरी पहुंच नहीं होती तो शायद में खुद को इस ब्लोगिंग और अध्ययन की दुनिया में अधूरा मानता इनका रोज़ लिखा जाने वाला काव्य साहित्य सीधे आँखों के रास्ते सेकुंवर कुसुमेश जाकर दिल में उतरता है और फिर दिमाग को सोचने पर जमीर को झकझोरने पर मजबूर कर देता है लेखन की जमीर को जगा देने वाली जो ताकत है वोह इन जनाब कुंवर कुसुमेश जी में है . 
आदरणीय कुंवर कुसुमेश जी लखनऊ उत्तर प्रदेश में जीवन बीमा निगम में जिला प्रबन्धक पद से रिटायर है और बीमा कम्पनी में क्लेम देते वक्त फाइनल करते वक्त कई लोगों का दर्द इन्होने नजदीक से देखा हे , कई लोगों के फर्जी क्लेम उठाने का झूंठ इन्होने पकड़ा हे कुशल प्रंबधक के रूप में इन्होने दफ्तर का काम अनुशासन से किया हे इसीलियें अनुशासन और अदब इनकी पहली शर्त हे अदब में साहित्य और तमीज़ दोनों चीजें शामिल हैं .
कुंवर कुसुमेश जी ऐसे पहले ब्लोगर हैं जिन्हें पढ़कर मुझे इनसे जलन हुई हे क्योंकि भाई में टिप्पणी फकीर हूँ और यह टिप्पणी सेठ  टिपण्णी  के धीरुभाई अम्बानी हैं इनकी हर रचना पर कमसेकम सत्तर लोगों की दाद होती हे और अधिकतम तो सो से भी ऊपर होती ही हे इनकी प्रमुख रचना फिर सलीबों पर मसीहा होगा जरा देखें जिंदगी का सच समझ में आ जाएगा इनके अनुभवों की वजह हे जो कुंवर कुसुमेश जी ने मोसम,युद्ध फोजी से लेकर जिंदगी के हर पहलु को अपनी रचना में समेटा हे और इनकी हर रचना पढ़नेवालों के दिल में इस कद्र उतरी है के उसके मुंह से बेसाखता वाह और हाथों की उँगलियों  से कम्प्यूटर पर टिप्पणी निकल पढ़ी हे इन जनाब ने अब तक तीन बहतरीन पुस्तकों का प्रकाशन भी कर दिया है इनकी रचनाएँ कम लेकिन गुणवत्ता वाली  है और  फालतू लफ्फाजी दे दूर और कुछ ना कुछ सोच को लेकर लिखी गयी होती हैं इन जनाब ने जुलाई २०१० से ब्लोगिंग की और आज १०९ लोग इनके फोलोवार्स हैं जबकि सेकड़ों लोग इनके टिप्पणीकार हैं ऐसे साहित्यकार की रचनाएँ पढ़ कर में तो भाई धन्य हो गया ..........
बस मेरी इन जनाब कुंवर कुसुमेश जी से दरख्वास्त है के पहलवान जी किलर झपाटा जी का सर घुमे इसके पहले वोह मुझे बचा लें हाह हाह हां हां हः    .............. अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

7 टिप्‍पणियां:

  1. जनाब अख्तर खान साहब ! आपने एक ऐसे शख्स के बारे में जानकारी दी जो कि शायरी के फ़न में एक आला मक़ाम रखते हैं .
    शुक्रिया आपका भी और कुसुमेश जे का भी .

    आप संतुलन ढूंढ लीजिये आपको धर्म मिल जायेगा या फिर आप धर्म ढूंढ लीजिये आपको सभ्यता के संतुलन का सूत्र मिल जायेगा Balance your life and society

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  2. भाई अख्तर खान अकेला जी, आपने इस लेख के ज़रिये जिस एह्तरामो-इज्ज़त से मुझे नवाज़ा है उसके लिए मैं आपका शुक्र गुज़ार हूँ.मैंने हमेशा दूसरे के दर्द को अपना समझा है,उसे शिद्दत से महसूस किया है,बस इसी की झलक मेरी कविताओं/ग़ज़लों आदि के माध्यम से मुमकिन है आप तक और अन्य पाठकगण तक स्वतः पहुंच पा रही होगी,ऐसा मैं समझता हूँ. किसी के भी दिल से निकली हुई बात एक खुशबू की मानिंद होती है जिसे हर हाल में दूर तक जाना ही होता है, हालात और माहौल चाहे कुछ भी हो . टिप्पणियों का ज़िक्र करते हुए आपने लिखा कि आपको मुझसे जलन होती है,मुझे तो इसमें भी आपका प्यार ही नज़र आता है,जलन ज़रा सी भी नहीं.मुझे जीवन में अभी भी बहुत कुछ सीखना है,मुझे अपने दोस्तों और शुभचिंतकों की हमेशा ज़रुरत रहेगी.मुझे यक़ीन है कि मुझे उनका साथ हमेशा मिलता रहेगा.पुनः आभार.

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  3. शुक्रिया आपका इस परिचय श्रंखला के लिये ।

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  4. आदरणीय अकेला भाई साहब बहुत बहुत धन्यवाद मुझे अपने ब्लॉग में स्थान देने के लिये। भैया मैं हूँ तो हिन्दुस्तान का ही पहलवानी और व्यव्साय के अलावा थॊड़ी सी नौकरी भी करता हूँ ना इसलिये हाँगकाँग जाना पड़ा है प्रोजेक्ट के लिये। अपना देश तो अपना ही होता है। जितनी देर ब्लॉग पर आप लोगों के बीच होता हूँ समझिये घर में होता हूँ। मैं सिर्फ़ मस्ती के लिये ऐसा सब करते रहता हूँ किसी को दुखी करने के लिये नहीं। हाँ मेरे ब्लॉग पर लोगों ने शुरू से ही बहुत गंदी गंदी गालियों का टिप्पणियों में प्रयोग किया है उसका मुझे बहुत दुख होता है मगर मैं मॉडरेशन नहीं लगाऊँगा।
    चलता हूँ
    -आपका दोस्त झपाटा

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  5. आदरणीय कुसुमेश जी से परिचय और उनके लिंक के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

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दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

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