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25 फ़रवरी 2011

लोक अदालत और वोह भी मेघा लोक अदालत

राजस्थान में आज मुकदमों के आपसी समझाइश के लियें मेघा लोक अदालत का आयोजन किया गया इस वर्ष की यह दूसरी बढ़ी लोक अदालत हे यहाँ हजारों मुकदमें इस नाम पर लेट लतीफ जज और लेट लतीफ वकीलों पक्षकारों को निपटाना पढ़े हें लेकिन लोक अदालत का खर्च भी खूब हुआ हे ।
दोस्तों राजस्थान में चेक अनादरण के मुकदमे बहुत हें सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश में अगर समय निकलने के बाद समझोता होता हे तो १५ प्रतिशत स्थाई लोक अदालत में जमा कराना होता हे वेसे भी इस अदालत के नाम पर सरकार खासा बजट दे रही हे लेकिन अभी मेघा लोक अदालत के लियें कोटा सहित सभी स्थानों पर बढ़े देनिक अखबारों में रंगीन विज्ञापन दिए गये जो लाखों के थे इन विज्ञापनों से पक्षकार या वकील पर कोई फर्क नहीं पढ़ा लेकिन यह फ़िज़ूल खर्ची कोटा में की गयी हे । कोटा में थोक में मामले निपटने की कोशिशें की गयी हें लेकिन लोक अदालत और समझाइश का मिजाज़ जजों और वकीलों का अभी नहीं बन पाया हे वकील डरते हें के पक्षकार को राज़ी नामे के लियें कहेंगे तो पक्षकार भाग जाएगा और दुसरा वकील कर लेगा ताज्जुब हे के दंड प्रकिर्या संहिता में साफ़ लिखा हे के कोई भी वकील मुकदमों के निस्तारण के लियें जज के साथ नहीं बेठेगा लेकिन राजथान में न जाने किन प्रावधानों के तहत क्षेत्रीय वकीलों को जज के साथ लोक अदालत में बताया गया हे खेर कोई बात नहीं इस लोक अदालत के कार्यक्रमों में अदालतें विधिक साक्षरता और विधिक सहायता का प्रमुख काम भूल गयी हे और स्थाई लोक अदालत के कम भी ठप्प हुए हे खेर अभी इस बहाने ही अदालतों के मुकदमे कम हो रहे हें सम्मन तामिल के मामलों में पुलिस की बन आई हे और वोह परेशान हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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