कोटा कचोरी का आकार छोटा होता गया, क़ीमतें बढ़ती गईं, आम लोग तो चुप हैं, प्रशासन, ने कुछ सोचा ही नहीं,
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल जी शर्मा और कोटा कचोरी ,, का रहस्य क्या है , इसके पीछे अचानक क्या मंतव्य था , कोई राज़ भी हो अगर, तो क्या फ़र्क़ पढ़ता है , लेकिन मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा जी का कचोरी स्वाद ,, और मूल्य नियंत्रण व्यवस्था को लेकर प्रश्न उठाना तो वाजिब है , वोह भी जब ,, तब कोटा में बाहर के लाखों स्टूडेंट कोटा में आकर इस कचोरी के मज़े लेकर ,, कचोरी व्यवसाइयों को माला माल कर देते हों , ,जी हाँ दोस्तों कोटा कचोरी देश भर में अपना अलग स्थान रखती है , मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा जी , भाजपा के प्रदेश महासचिव कार्यकाल में यूँ तो कई बार , कोटा प्रभारी के वक़्त कोटा में , कचोरी का स्वाद चखते रहे हैं , उनके लिए कोटा कचोरी का स्वाद कोई नया नहीं है , इस बार भी वोह अगर चाहते तो कोटा कचोरी सर्किट हाउस , गेस्ट हाउस , कार में , या हवाई यात्रा के वक़्त वोह इसका स्वाद चख सकते थे , लेकिन ऐसा हुआ नहीं , अचानक कचोरी की दुकान पर रुकना , फिर बढ़े प्यार , अदब , खुलूस से एक दूसरे के साथ कचोरी खाना , स्वाद चखना , बढ़ी बात है , कचोरी की दूकान पर क़ाफ़िला रुकते ही , कुछ लोगों ने सोचा था , के कोटा के कचोरी प्रेमियों के पक्ष में अब कचोरी को सस्ता करने , कचोरी पर मूल्य नियंत्रण व्यवस्था लागू करने का कोई फरमान जारी होगा , आम जनता की सोच थी , के एक छोटी कचोरी , ,जिसकी लागत अधिकतम 5 रूपये प्रति कचोरी के लगभग है , उस कचोरी की क़ीमत दस रूपये कैसे वसूली जाती है , कोटा में सभी जानते है , लाख , दो लाख कचोरियाँ , क़रीब तीन सो चार सो , दुकानों ठेलों पर बिकती हैं , कुछ तो सस्ते में दे देते हैं , लेकिन ब्रांड नाम के बदले , महंगी कचोरी परोसने की शुरुआत कोटा में हुई है ,, इधर जोधपुर की कचोरी के नाम पर तो , जोधपुर कचोरी का ओरिजनल टेस्ट परिवार के बटवारा विवाद में खत्म सा हो गया है ,ग्राहक अब पुरानी ओरिजनल जोधपुर की प्याज कचोरी का टेस्ट तलाशता फिर रहा है , कोन सी कचोरी असली है , कोनसी नक़ली कुछ कह नहीं सकते , लेकिन अब तो ओरिजनल दूकान की कचोरी का टेस्ट भी वैसा नहीं है जैसा होना चाहिए था , जबकि इन कचोरियों की क़ीमत , लगभग पंद्रह रूपये लागत के बदले , तीस रूपये कर दी गई है , खेर मुख्यमंत्री भजनलाल ने प्याज की कचोरी तो सार्वजनिक रूप से नहीं चखी , लेकिन दाल की कचोरी तो काफिले को रोक कर चखी है , उन्हें स्वादिष्ट भी लगी होगी ,, यूँ तो पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत , , राहुल गाँधी भी , कोटा की कचोरी का स्वाद कई बार चख चुके हैं , हाल ही में भारत एकता यात्रा के दौरान अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री रहते हुए सुबह सवेरे , राहुल गाँधी के लिए कचोरी की डिमांड की थी जो पूर्व कोंग्रेसी कचोरियाँ , तत्काल लेकर पहुंचे थे , , यह कचोरियाँ मुम्बई तक भिजवाई गई हैं , लेकिन अफ़सोस इस बात का है , के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आम आदमी का पेट भरने वाली इस कचोरी की कीमतें अधिक होने और इसका आकार छोटा होने पर प्रशासनिक स्तर पर कोई शिकंजा नहीं कसा और आम आदमी को लूटने के लिए छोड़ रखा है , अभी भजनलाल जी जो आम जनता से सीधे जुड़े आम आदमी है , वोह खुद के बलबूते पर बनकर आये हैं , किसी व्यापारी किसी उद्योगपति की कोई सिफारिश या चंदा उन्होंने नहीं लिया है , तो आम आदमी को उम्मीद थी के कचोरी की दूकान पर रुक कर वोह कचोरी की साइज़ , कचोरी की लागत और कचोरी बनाने पर आने वाले खर्च और बिक्री की जाने वाली क़ीमत को नियंत्रित करवाने के लिए कोई आदेश ,, कोई निर्देश जारी करेंगे लेकिन जनता , आम आदमी , खासकर बाहर से आने वाले छात्र छात्रों की किसे चिंता है ,, इंद्रा रसोई सोचते हैं पेट भर देगी , ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
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