400 km की दौड़-भाग से दो लोगों को मिलेगी रौशनी,मंदसौर जिले के चौमेला से पांचवा नेत्रदान
2. नेत्रदान संकल्प पूरा करने के लिये,कोटा से 200 किलोमीटर जाकर लिया नैत्रदान
3. मध्यप्रदेश के चौमैला में,सुविधा नहीं नेत्रदान की,200 किलोमीटर दूर से आई टीम
संभाग
स्तर पर नैत्रदान-अंगदान-देहदान के लिये विगत 11 वर्षों से कार्य कर रही
संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन और बीबीजे चेप्टर के सहयोग से पड़ोसी राज्य
मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले कस्बा चौमेला से पांचवा नेत्रदान प्राप्त किया ।
संस्था
के रामगंजमंडी शाखा के ज्योति-मित्र संजय विजावत जी ने बताया कि, उनके
मौसाजी चौमेला निवासी केसरीमल जैन का आकस्मिक निधन हुआ है । बेटे कमल ने 2
वर्ष पूर्व अपनी मां धापू बाई के नेत्रदान की तरह अपने पिता के नेत्रदान
की इच्छा जताई है ।
मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में चौमेला के
आसपास के क्षेत्र में एक भी आई बैंक न होने के कारण जब भी कोई परिवार अपने
दिवंगत के नेत्रदान करवाने के लिये शाइन इंडिया फाउंडेशन को संपर्क करता
है,तो कोटा से ही टीम जाकर नेत्रदान संपन्न करवाती है ।
संजय की
सूचना पर कोटा से डॉ कुलवंत गौड़,सहयोगी धीरज शर्मा के साथ नेत्र संकलन
वाहिनी ज्योति रथ लेकर 200 किलोमीटर दूर समीप के राज्य मध्यप्रदेश के
मंदसौर जिले के चौमेला कस्बे के लिए रवाना हुए ।
जाते और आते समय
दोनों समय दरा में काफ़ी लंबा जाम रहा इस वजह से काफी समय बेकार हुआ । आधा
घंटा देर से पहुंचने के कारण स्व केसरीमल का नेत्रदान चौमेला के मुक्तिधाम
में,परिवार,समाज और शहरवासियों के बीच संपन्न हुआ ।
ज्ञात हो कि,
केसरीमल की पत्नी धापू बाई का भी 2 वर्ष पूर्व नेत्रदान संस्था के सहयोग से
संपन्न हुआ था । संस्था के प्रयासों से क्षेत्र से का पांचवा नेत्रदान है ।
इससे पूर्व मोहनबाई जैन,सुधा जैन,सुरेश जैन का नेत्रदान संस्था के सहयोग
से संपन्न हुआ था ।
डॉ गौड़ ने कहा कि दूरी अधिक होने के कारण परिजन
कई बार शंका में रहते हैं कि,नेत्रदान के लिए 200 किलोमीटर दूर से टीम
आएगी या नहीं, पर संस्था ने आज तक कितनी दूरी का कोई नेत्रदान का केस आया
हो, उसको पूरा ही किया है ।
डॉ गौड के अनुसार गर्मी में मृत्यु के 6
से 8 घंटे एवं सर्दी में 8 से 12 घंटे तक नेत्रदान लिया जा सकता है, यदि
डीप फ्रीजर की व्यवस्था है, तो यह 12-18 घंटे तक भी संभव है, किसी भी उम्र
के व्यक्ति का नेत्रदान संभव है,एवं कुछ अपवाद स्वरूप संक्रामक बीमारियों
को छोड़कर सभी प्रकार की मृत्यु के पश्चात नेत्रदान संभव है। इसमें मृतक को
कहीं लेकर नहीं जाना होता है,नेत्र उत्तसरण टीम स्वयं घर पर आकर 10 मिनट
की छोटी सी प्रक्रिया के बाद नेत्रदान प्राप्त कर लेती है, इसमें पूरी आंख
की जगह केवल कॉर्निया निकाला जाता है एवं चेहरे पर कोई विकृति नहीं आती है।
ज्ञात
हो कि,शाइन इंडिया फाउंडेशन, आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान,जयपुर के
साथ,उनके मापदंड और दिशा-निर्देशों पर नैत्रदान जागरूकता व नेत्र-संग्रहण
के लिये कार्य कर रही है। संस्था के सहयोग से अभी तक 2710 नेत्रों का
संग्रह संभाग स्तर पर किया जा चुका है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
20 फ़रवरी 2025
400 km की दौड़-भाग से दो लोगों को मिलेगी रौशनी,मंदसौर जिले के चौमेला से पांचवा नेत्रदान
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