कोटा सहित पुरे राजस्थान में ,, ट्रांसफ़रों की उथल पुथल से खलबली मची हैं , ,खेर कांग्रेस तो चुप है , लेकिन इस बार भाजपा की सरकार में , ट्रांसफर लिस्ट में भाजपा का राजनितिक चेहरा दागदार हुआ है , खासकर कोटा के शीर्ष नेतृत्व के बारे में जो ,, निष्पक्ष , उदार ,, सहयोगात्मक रुख की धारणा बनी हुई थी, वोह तार तार हो गई , उनके साथ रहने वाले , उनके गुणगान करने वाले , मुस्लिम समाज के कुछ चहेते अब उनसे मुलाक़ातों के नाम पर , उनके भक्त होने के बाद भी , समाज के लोगों में बात चीत के दौरान पल्ला झाड़ते नज़र आ रहे हैं , कोटा में , हर विभाग चाहे सार्वजनिक निर्माण विभाग हो , चिकित्सा विभाग हो , या फिर नगर निगम हो , दूसरे विभाग हों , ,ट्रांसफर लिस्ट में , मुस्लिम समाज के कर्मचारियों , अधिकारीयों को टारगेट करते हुए , दूर दराज़ इलाक़े में फेंका गया , इनमे वोह कर्मचारी भी शामिल है , जो इन शीर्ष नेतृत्व के नेता जी , इनके परिवार और कार्यर्कताओं की टीम के एक फोन पर , खड़े हो जाते थे , सभी तरह के काम करते थे , और नेता जी के निकटतम होने का दम्भ भरते थे , लेकिन कोटा में एक तरफा ,, टार्गेटिव ट्रांसफर लिस्टों से ,,भाजपा सरकार का एक नया चेहरा सामने आया है ,, भाजपा का चेहरा तो अलग है , लेकिन उदार, निष्पक्ष नेता की छवि वाले शीर्ष लीडरशिप पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है , हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं , जो टार्गेटिव ट्रांसफर समाज के लोगों के होने के बावजूद भी इस सच को स्वीकार नहीं कर रहे हैं , और चम्पी गिरी के दौरान , सिर्फ एक ही जुमला कह रहे हैं , के यह लिस्ट , कोटा के एक कटटरपंथी कहे जाने वाले मंत्री जी की है , इससे हमारे लीडर का क्या लेना देना , जबकि उक्त लीडर महोदय को सभी जानते हैं वोह कहते है फिर करते हैं, लॉजिकली करते हैं, ,एक साहब कहते हैं , में तो उनसे दूर दूर ही था , ,, खेर सभी जानते हैं , जिन नेता को कटटरपंथी कहकर वोह अपना पल्ला झाड़ कर आरोपित कर रहे हैं , वोह नेता जी कोटा की किसी भी पचड़े में पढ़ने वाले नहीं हैं , उनका विभाग तो अलग है , अभी तो उनके विभाग में ट्रांसफर शुरू ही नहीं हुए , ट्रांसफर तो अलग बात है , लेकिन अब वक़्फ़ सम्पत्तियों पर भी हमले हो रहे हैं ,, ,, वक़्फ़ की करोड़ों की सम्पत्ति पर जहाँ कुछ कारोबारियों के पास किराये पर थी , कुछ क़ब्ज़ेदार जो वक़्फ़ की सम्पत्ति खुद को मालिक बताकर क़ब्ज़े में रखे हुए हैं , वोह सम्पत्ति तक ,, नगर निगम ने ताले लगाकर सील कर दी है , लेकिन ,,शीर्ष नेतृत्व की उदारता को फिर से पुनर्जीवित करने के लिए कुछ बुद्दिजीवी समाज के लोग , सम्भवत उनसे मिलकर , इस दर्द , इस पीड़ा के बारे में चर्चा करने की योजना बना रहे हैं , क्योंकि शीर्ष नेतृत्व की उदारता ऐसी निष्ठुरता , टार्गेटिव हो सकती है , इस मामले में बुद्धिजीवी वर्ग को अभी भी यक़ीन नहीं हो पा रहा हैं , देखते हैं , एक ब्रेक के बाद , वैसे एक सुझाव भी बार बार आ रहा है , के शीर्ष नेतृत्व से तो मिलो ही सही , पीड़ा बताओ , लेकिन हज़ार हज़ार का समूह बनाकर, जो लोग उदार शीर्ष नेतृत्व के प्रचारक , समर्थक होकर खुले रूप से साथी हैं , उनके घरों पर ,, पारिवारिक , सामाजिक सदस्य होने के नाते , जाकर बैठें , दिन भर ,,,धरनार्थी की तरह बैठकर , उन्हें मजबूर करे के वोह अपने समाज की आवाज़ अपने शीर्ष नेतृत्व जिसे वोह मानते हैं , वहां तक पहुंचायें तो सही , मानना ना मानना तो उनके हाथ की बात है, वोह स्वीकार तो करें के गलत , हुआ है , ना इंसाफ़ी हुई है , राजनीति में , पार्टियां होती हैं , विचारधाराएं होती है , ,चुनाव होते हैं , वोटिंग होती है , प्रचार होते हैं , हार जीत होती है , लेकिन टार्गेटिव बदला , वोह भी कर्मचारियों से ,,दो पांच दस प्रतिशत तक तो होता है , लेकिन एक वर्ग विशेष के साथ सो फीसदी टार्गेटिव बदला , ट्रांसफर ,,राजनीति की अच्छी शुरुआत नहीं है ,,कुछ लोग मुस्लिम वर्ग के इन लोगों को उकसाते नज़र आते हैं , कहते हैं के आपके चहेते नेता, आपके वोटों से जीतने वाले नेता की उगाई हुई यह फसल है, कोंग्रेस कार्यकाल में यह नेता जी, वर्तमान शीर्ष भाजपा नेतृत्व के ट्रांसफर सहित सभी काम बिना ना नुकुर के करते रहे हैं , ऐसे में उनसे भी कहलवा कर तो देखें, कुछ कहते हैं, ज़मीन से जुड़े शेर दिल कहे जाने वाले नेता जो लोकसभा उम्मीदवार रहे हैं, वोह भी सार्वजनिक रूप से इस मुद्दे पर दहाड़ तो सुनाएं, ,खेर देखिये , कांग्रेस की लीडरशिप तो शायद इस बारे में , पूर्व की तरह एक शब्द भी नहीं कहेगी , विधानसभा में भी कोटा के लीडर शायद इस अन्याय , टार्गेटिव गुस्से को चर्चा का विषय नहीं बनाएं , लेकिन ,,,,,,,,,,,शीर्ष नेतृत्व की उदारता की ,, उन्हें याद दिलाकर फिर से , पुनर्जीवित करने के सात्विक , लोकतान्त्रिक , अपनेपन की व्यवस्था के तहत जो भी प्रयास हों , वोह तो लोग कर ही सकते हैं ,, देखते हैं एक ब्रेक के बाद , ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
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