आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

30 दिसंबर 2024

सानी नहीं मिला, टोंक की बेटी शाहजहां ने भी किया नाम रोशन

 

सानी नहीं मिला, टोंक की बेटी शाहजहां ने भी किया नाम रोशन
---------------‐
एम.असलम टोंक
----------------
कैलीग्राफी के फन में टोंक का नाम हमेशा से ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बुलंद रहा है। नवाबी नगरी की इस हैसियत को आज भी माहिरेफन हज़रात ने बनाएं रखने में अपनी नुमाया ख़िदमात को अंजाम दिया है। उम्मीद है कि सदियों पुरानी हमारी इस विरासत को इसी तरह उरुज मिलता रहेगा।
हाल ही में औरंगाबाद में राष्ट्रीय स्तरीय कैलीग्राफी प्रतियोगिता आयोजित हुई। इसमें हैदराबाद, महाराष्ट्र, कश्मीर, राजस्थान सहित कई राज्यों के कैलीग्राफिस्टों ने भाग लिया। इसमें टोंक में संचालित मरकज-तालीमुल-ख़ुतूत" के उस्ताद ज़फर रज़ा ख़ान और संस्थान की एक छात्रा शाहजहां ने हाल ही में औरंगाबाद में आयोजित होने वाली सैकंड ऑल इंडिया कुरानिक कैलीग्राफी कॉम्पिटिशन में भाग लिया। यह प्रतियोगिता मौलाना आज़ाद कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स, औरंगाबाद और ईरान कल्चर हाउस मुंबई और नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित की गई थी। इसमें पहले देशभर के कैलीग्राफिस्ट से उनकी कला के नमूने ऑन लाइन मंगवाए गए थे। उसके बाद चयनित होने के बाद उनको बुलाया गया। ऑनलाइन चयनित होने पर इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए टोंक से भी कैलीग्राफिस्ट पहुंचे। जिसमें टोंक के दो कैलीग्राफिस्ट ने पहला एवं दूसरा इनाम हासिल कर टोंक का नाम रोशन किया। उल्लेखनीय है कि फन-ए-खुशनवीसी के माहिरेफन उस्ताद ज़फर रज़ा की वहां निर्णायकों ने तारीफ की। लेकिन वो अंतर्राष्ट्रीय नियम के कारण दूसरे नंबर पर आए। जबकि उनकी कैलीग्राफी कला वहां मौजूद सबसे बेस्ट कहीं गई।
यहां एक बात वाज़े करना भी ज़रूरी है कि
अंतरराष्ट्रीय जजों के अनुसार, नस्तालीक़ लिपि में जफर साहब के अलावा कोई और योग्य नहीं हो सका, इसीलिए उन्हें दूसरा पुरस्कार दिया गया। अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार यदि प्रतियोगिता में केवल एक ही व्यक्ति शेष रह जाए, तो पहला पुरस्कार नहीं दिया जाता, बल्कि दूसरा पुरस्कार दिया जाता है। इसी नियम के कारण उस्ताद ज़फर रज़ा ख़ान को दूसरा पुरस्कार दिया गया।
इस प्रतियोगिता का आयोजन 27 दिसंबर 2024 को हुआ। इस प्रतियोगिता में उस्ताद ज़फर रज़ा ख़ान और शाहजहाँ दोनों ने अपनी मेहनत और अपनी आलातरीन खुशनवीसी के बूते पुरस्कार प्राप्त किए। उस्ताद ज़फर रज़ा ख़ान ने नस्तालीक़ लिपि में दूसरा पुरस्कार और शाहजहाँ ने नसख़ अरबी (उस्मानी नसख़) लिपि में पहला पुरस्कार प्राप्त किया। गौरतलब है कि मरकज़-तालीमुल-ख़ुतूत" टोंक में स्थित एक नया संस्थान है। जहाँ बच्चों को ख़त्ताती (हस्तलेखन) और कला की शिक्षा दी जाती है। इस संस्थान की नींव 1 जनवरी 2024 को रखी गई, और यहाँ बच्चों को ख़त्ताती की शिक्षा देने के लिए दो अंतरराष्ट्रीय स्तर के माहिर उस्ताद अपनी सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं।
संस्थान के माहिरों में उस्ताद ज़फर रज़ा ख़ान और उस्ताद ख़ुर्शीद आलम साहब शामिल हैं, जो न केवल भारत में बल्कि दुनिया में खुशनवीसी के बड़े माहिरेफन उस्तादों में शुमार किए जाते हैं। उनकी मेहनत और लगन ने इस संस्थान को सफलता की नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है, और यहाँ के छात्र-छात्राएँ ख़त्ताती के फन में महारत हासिल कर रहे हैं।
संस्थान के जिम्मेदारों और उस्तादों ने इस सफलता को न केवल अपने संस्थान की मेहनत का परिणाम माना, बल्कि ख़त्ताती की इस प्राचीन कला को जीवित रखने और उसके फरोग़ के लिए अपनी कोशिशे जारी रखने का पुख़्ता इरादें का इजहार किया। इस संस्थान की यह सफलता न केवल टोंक, राजस्थान बल्कि पूरे देश के लिए फक्र का बाइस है।
मरकज-तालीमुल-ख़ुतूत" में छात्र-छात्राएँ ख़त्ताती की आर्ट की नियमित प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं और इस प्राचीन कला को आधुनिक तरीकों से सीखकर इसे अपने देश और दुनिया के कोने-कोने तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...