राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के मान सम्मान मर्यादा के विधि, नियम ध्वज संहिता , इतिहास सहित कोटा के आज़ादी के शहीद लाल जयदयाल, महराब खान की वीर गाथा स्कूली पाठ्यक्रम में शामिलनकरने को लेकर शिक्षा मंत्री मदन जी दिलावर को मांग पत्र निवेदन भेजा, जो इस प्रकार है,,
प्रतिष्ठा में ,
माननीय मदन जी दिलावर
शिक्षा मंत्री केबिनेट दर्जा
विषय ,, भारतीय ध्वज संहिता के मान सम्मान के दिशा निर्देश , विधि नियम स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल करवाने , एवं कोटा में 1857 ,की आज़ादी की लड़ाई में जंगजू शहीद जांबाज़ लाला जय दयाल , महराब खान की आज़ादी की जंग का इतिहास शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में शामिल करने के निर्देश देने के क्रम में
मान्यवर ,
उपरोक्त विषय में निवेदन है के , भारत का राष्ट्रिय ध्वज तिरंगा हमारा सबसे प्यारा , सबसे न्यारा हमारा , राष्ट्रीयता ,, राष्ट्रिय एकता , अखंडता , अक्षुणता , मान सम्मान का प्रतीक है , इसके मान सम्मान के लिए पृथक से प्रिवेंशन ऑफ़ नेशनल ऑनर एक्ट भी बना हुआ है , जिसमे उक्त तिरंगे का अपमान करने वाले को कठोर सज़ा देने का प्रावधान भी है , साथ ही , उक्त तिरंगे ध्वज को कब किस तरह से इस्तेमाल किया ,जाएगा कैसे फहराया जाएगा ,, कब चढ़ाया और उतारा जाएगा , स्वतंत्रता दिवस , गणतंत्र दिवस , या किसी राष्ट्रिय खेल वगेरा के वक़्त ,,राष्ट्रिय ध्वज का उपयोग कैसे होगा ,, कागज़ , प्लास्टिक के छोटे ध्वज अगर हुए तो उनको सड़क पर नहीं फेंकने बाबत भी निर्देश है ,
आदरणीय वर्तमान हालातों में केंद्र सरकार ने भी भारतीय ध्वज संहिता , विधि नियम को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रचार , प्रसार और साक्षर करने के निर्देश दिए हैं , लेकिन राजस्थान के परिपेक्ष में यह अभी नाकाफी है , ऐसे में , ,, आप की दृढ़ संकल्पता , राष्ट्रिय धवज और राष्ट्रीयता के प्रति आपका समर्पण , उक्त परिस्थितियों में राजस्थान में छोटे बच्चो सहित बुज़ुर्ग ,, बड़ों को तिरंगे के मान , सम्मान और इस्तेमाल के बारे ,में साक्षर करने में सक्षम साबित होगा ,, ,आपके नियंत्रित शिक्षा विभाग के कार्यकाल में अगर यह नहीं हुआ तो शायद अभी नहीं तो कभी नहीं ,, की कहावत की तरह यह कभी नहीं हो सकेगा , ऐसे में आपसे निवेदन है की , भारतीय ध्वज संहिता ,, तिरंगे के मान , सम्मान , के क़ानून , उसके उलंग्घन पर सज़ा , शिकायत करने का तरीक़ा , तिरंगे का इतिहास वगेरा जो भी आवश्यक है , वोह शिक्षा विभाग की प्राइमरी से लेकर , ,मिडिल , सेकेंडरी , हायर सेकेंडरी स्तर के पाठ्यक्रमों में आवश्यक रूप से शामिल करने के निर्देश जारी कर उसकी पालना सुनिश्चित कर अनुग्रहित करें , साथ ही ,हर ज़िले के विधिक न्यायिक प्राधिकरण विधिक साक्षरता विभाग से शिक्षा विभाग समन्वय स्थापित कर , थाना ,, वार्ड , पंचायत ,,जिला ,, क़स्बा , स्तर पर इस मामले में साक्षरता कार्य्रकम चलाए और जनसम्पर्क विभाग प्रचार प्रसार भी करे ऐसे भी निर्देश जारी कर अनुग्रहित करें ,,
आदरणीय आप कोटा से हैं , कोटा के इतिहास से वाक़िफ़ हैं , कोटा स्वाभिमान , मान सम्मान के संरक्षण के लिए अपनी जान की बाज़ी लगा देने वाले जांबाज़ों का स्थान है , देश भर में जब अंग्रेज़ों का शासन था , राजा , महाराजा , नवाब अधिकतम गुलाम होगये थे , तब 1857 में अंग्रेज़ों के खिलाफ विद्रोह शुरू हुआ , आज़ादी का पहला महासंग्राम था ,, तब कोटा में भी शासन अंग्रेज़ों के अधीन था , और यहां मेजर बर्टन क्वीन एलिज़ाबेथ की तरह से पोलिटिकल एजेंट थे , जिनका बंगला रेज़ीडेंसी हाउस जो वर्तमान में बृजराज भवन है , वोह हुआ करता था , उनके ज़ुल्म , ज़्यादती से , कोटा के लोग बहुत दिखी थे , खौफ का माहौल था , ऐसे में , कोटा के जांबाज़ वकील लाला जय दयाल जो तात्कालिक कोटा दरबार के वकील थे , उन्होंने और फौजी रिसालेदार महराब खान ने कोटा को अंग्रेज़ों के चंगुल से आज़ाद कराने का संघर्ष किया , ,तब , उन्होंने फौजे एकत्रित कीं , और कोटा दरबार से बगावत कर , दरबार की फौज , अंग्रेज़ों की फौज के खिलाफ संघर्ष किया , उक्त जांबाज़ों ने , ,मेजर बर्टन का सर धड़ से अलग कर , उसका खौफ कोटा के लोगों से खत्म करने के लिए उसके सर को , पूरे कोटा में घुमाया ,, इस लड़ाई में कोटा के कई जांबाज़ शहीद हुए , लेकिन कोटा को आज़ाद करा लिया गया ,यहां से अंग्रेज़ों का झंडा हटाकर कोटा की आज़ादी का झंडा फहराया गया और कोटा क़रीब सात महीने तक आज़ाद रहा , बाद में मुखबीर और गद्दारों ने फिर अंग्रेज़ों की मदद की और कोटा फिर उनके क़ब्ज़े में आ गया , लेकिन अंग्रेज़ों ने मुखबिरों की मदद से , लाला जय दयाल , महराब खान को गिरफ्तार किया , मुक़दमा चलाया और बृजराज भवन पूर्व रेसीडेंसी हाउस में एक नीम के पेड़ पर उन्हें ,, बगावत के जुर्म में , फांसी की सज़ा दी ,, जो उन्होंने देश की आज़ादी की जंग के लिए हँसते हँसते फांसी क़ुबूल की ,, आदरणीय आज़ादी की यह गाथा ,, इतिहासकारों ने , बहुत छुपाने की कोशिश की है , यह तथ्य छुपाये जाते है , गलत इतिहास लिखाने की कोशिशें की गईं , लेकिन अब वक़्त आ गया है , के आज़ादी के बहादुर शहीदों की इस गाथा को , राजस्थान में आज़ादी की लड़ाई के पाठ्यक्रम में शामिल कर बच्चों को सच्चाई से वाक़िफ़ कर , कोटा ही अंग्रेज़ों के खिलाफ 1857 की क्रान्ति में अग्रणी था , कोटा ही आज़ाद हुआ था यह सच पूरे राजस्थान और पूरे देश के सामने होना चाहिए ,
अतः मानयवर से निवेदन है के उक्त निवेदन को स्वीकार कर , इतिहास की तस्दीक़ करवाकर , पाठ्यक्रम में शामिल करवाने के निर्देश जारी कर , आवश्यक रूप से इसकी पालना सुनिश्चित हों , ऐसी निगरानी निर्देश भी जारी कर अनुग्रहित करें ,
भवदीय
अख्तर खान अकेला एडवोकेट
महासचिव
ह्यूमन रिलीफ सोसायटी
रशीदा मंज़िल 2 थ 15 विज्ञाननगर कोटा 324005 राजस्थान
मोबाइल नंबर 9829086339
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