कोचिंग के नाम पर स्कूली शिक्षा खत्म करने के मामले में शिकायत, सुझाव मामले में शिक्षा मंत्रालय गम्भीर, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के निजी सचिव का ,ज़िला कलेक्टर कोटा को उचित कार्यवाही के निर्देश
कोटा 14 जून, कोचिंग के नाम पर स्कूली शिक्षा को खत्म करने के मामले में ह्यूमन रिलीफ सोसायटी के महासचिव एडवोकेट अख्तर खान अकेला की शिकायत ओर सुझावों को राजस्थान सरकार ने गम्भीरता से लेते कोटा ज़िला कलेक्टर को नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं,
मंत्री विद्यालय शिक्षा, सँस्कृत ,एवं पंचायत राज विभाग ने अख़्तर खान अकेला के सुझाव , शिकायत के ज्ञापन को शिक्षा मंत्री के निर्देश पर उनके निजी शासन उप सचिव गोविंद नारायण दाधीच ने कोटा ज़िला कलेक्टर को आवश्यक निर्देश के साथ कार्यवाही के लिए भेजा है,
ज्ञापन में अख्तर खान अकेला ने कहा है कि,, कोटा कोचिंग , स्कूलों को अज़गर बनकर निगलने लगे है ,, यहां राजस्थान में स्कूली शिक्षा राष्ट्रिय स्तरीय रेंक में छब्बीसवें नंबर पहुंच गई है , जबकि भारत में कुल 28 राज्य हैं ,,,राजस्थान सी बी एस ई शिक्षा स्तर के लिए यह शर्मनाक बात है , अभी तो माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का रिज़ल्ट आना बाक़ी है , ,कोचिंग देश भर में स्कूली शिक्षा से छेड़छाड़ किये बगैर चलें तो किसी को ऐतराज़ नहीं , लेकिन स्कूली शिक्षा को खत्म कर , स्कूल के वक़्त में , कोचिंग में ,डमी एडमिशन के बच्चे को पढ़ाना ,अपराध तो है ही , साथ ही , देश में भविष्य के कर्णधारों के साथ खिलवाड़ भी हैं , यह एक चिंतन , मंथन का विषय है , लेकिन नेताओं के लिए बढ़ी बढ़ी मदद , अधिकारीयों के लिए मेज़बानी और स्वागत ,,,दान ,,अख़बारों ,, मीडिया के लिए विज्ञापन , वगेरा वगेरा कई ऐसे मामले है , के इस मुनाफा इंडस्ट्रीज़ के खिलाफ कोई बोलने की हिम्मत राष्ट्रहित का मुद्दा होने पर भी नहीं कर प् रहा है , राजस्थान हाईकोर्ट निरंतर आदेश देती रही हैं , गाइडलाइन बनाकर ठंडे बास्ते में डाल दी गई है , क्लासरूप टॉपर या रेंकर के विज्ञापन है , पहले के भी हैं ,व्ही टॉपर ,, रेंकर कोचिंग में भी पढ़ा और स्कूल में भी पढ़ा , यह सम्भव कैसे हुआ इसकी जांच आज तक पुराने विज्ञापनों के आधार पर किसी केंद्रीय एजेंसी ने इसलिए नहीं की , क्योंकि यह पब्लिक है सब जानती है , ,खेर गत पांच वर्षों से इस व्यवस्था के खिलाफ है , मेरा मानना है , के स्कूली शिक्षा जीवित रहेगी तो ही देश के कर्णधार ,तहज़ीब के दायरे में , भारतीय संस्कृति के साथ आगे बढ़ पाएंगे वर्ना कोचिंग संस्कृति आने वाली पीढ़ी को मशीन , सिर्फ मशीन , पैकेज ,, और प्रोफेशनल बना रही है , जो देश के भविष्य के लिए खतरनाक है , मेने पहले भी कई सुझाव दिए , कई सुझाव कोचिंग गाइड लाइन में शामिल हुए , तो आदेशित भी हुए , लेकिन फिर मेने अपने सुझाव ,,, देश के सर्वोच्च पद पर बैठे लोगों ,, राजस्थान के सर्वोच्च पद पर बैठे लोगों ,, क़ानून विदों , हाईकोर्ट , सुप्रीमकोर्ट ,,,देश के सभी मीडिया ,, अखबार के दफ्तरों को भेजे है , में जानता हूँ , यह सब कचरे की टोकरी में जाएंगे , कुछ पढ़ेंगे ,, कुछ नहीं ,पढ़ेंगे लेकिन स्कूली शिक्षा की हत्या ,कर कोचिंग संस्कृति के ग़ैरक़ानूनी ,भारतीय संस्कृति , अस्मिता के विरुद्ध ,, मेरी यह जंग इन सुझावों के साथ मरते दम तक जारी रहेगी ,,,दुआ कीजिये के राष्ट्रहित में में अकेला तो चल रहा हूँ , लेकिन यह कारवां भी बन जाए और राष्ट्रहित में स्कूली शिक्षा फिर से पुनर्जीवित हो जाए , कोचिंग के में हरगिज़ खिलाफ नहीं , लेकिन स्कूली शिक्षा की हत्या कर कोचिंग संस्कृति को पालना देश के लिए घातक है , मेरी यही सोच है ,,, ,स्कूल के बाद कोचिंग ,, स्कूल के टॉपर को , मेरिट के आधार पर , एडमिशन मिले ताकि बिचौलियों , और अपात्र लोगों को अनावश्यक कोर्सों में प्रवेश से रोका जा सके और ओरिजनल स्कूली इंटेलिजेंट बच्चों को ही , डॉक्टर्स , इंजीनियर्स , वगेरा जैसे ओहदों पर बैठाकर देश की संस्कृति ,को बचाया जा सके , ताकि प्रशिक्षित टीचर्स से पढ़े यह बच्चे ,,, संस्कारी भी हों , प्रतिभावान भी हों ,,,,
विषय ,, कोटा सहित देश के कोचिंग संस्थानों के संचालन मामले में राजस्थान हाईकोर्ट गाइडलाइन को दरकिनार करने के लिए , क़ानूनी बचाव का रास्ता निकालकर कथित केंद्रीय गाइड लाइन बनाने , और उसे लागू करने के लिए प्राधिकृत अधिकारी की नियुक्ति नहीं करने , कोचिंग पंजीयन का पोर्टल नहीं बनाने की साज़िशें रच कर कोचिंग के नाम पर स्कूली शिक्षा को खत्म करने की साज़िश रोकने की शिकायत के क्रम में ,
मान्यवर ,
उपरोक्त विषय में निवेदन है की , वर्तमान में कोटा , सीकर , सहित देश भर के बढे शहरों में , कोचिंग शैक्षणिक व्यवस्था ने देश भर के विधिवत संचालित स्कूलों की व्यवस्था छिन्न भिन्न कर दी है , देश में , मिडिल व्यवस्था से लेकर ,,,बाहरवीं तक के बच्चों की स्कूली शिक्षा लगभग लगभग इन कोचिंगों की भ्रामक विज्ञापन निति , दिखावा , और दोहरी हाज़री व्यवस्था खत्म सी हो गई है , ,कोचिंग खुद अपने निजी स्कूल खोलकर बैठे हैं , ताकि स्कूली और कोचिंग दोहरी शिक्षा व्यवस्था की पोल पट्टी को दबाया जा सके ,, इस मामले में , राजस्थान हाईकोर्ट में सो मोटो , बनाम राजस्थान सरकार के नाम से , एक याचिका 2016 से लंबित रही है , जिसमे विस्तृत सुनवाई के चलते , विभिन पहलुओं पर चिंतन ,, मंथन करने के बाद , राजस्थान हाईकोर्ट ने क़रीब , पांच दर्जन से भी अधिक आदेश जारी किये है , जिनमे से , एक दर्जन से भी अधिक विस्तृत आदेश कोचिंग गाइड लाइन के तहत , जिला प्रशासन को ,कोचंग व्यवस्था को कंट्रोल करने के लिए व्यवस्थित किया गया है , लेकिन अफ़सोस इस बात का है , के कोचिंग में पढ़ने वाले छात्र छात्रों के साथ वही , प्रोफेशनल व्यवहार ,, और स्थानीय व्यवस्थापकों द्वारा , सरकार में बैठे ज़िम्मेदारों द्वारा , सिर्फ कोचिंग को बचाने को लेकर ही पैरवी है , नतीजा कोचिंग के नाम पर पढ़ने वाले बच्चों में कॉम्पिटिशन है , पर्तिस्पर्धा का मानसिक दबाव है , बच्चों की भीड़ एक ही शहर में एकत्रित होने से , उनकी यूनियन भी बनने लगी है , और कई चाहत आत्महत्या कर रहे हैं , तो कई छात्र अपराध की तरफ अग्रसर है , ,, राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले में गंभीर टिप्पणियां की है , निर्देश दिए है , लेकिन राजस्थान सरकार ने इस मामले में जब गाइडलाइन जारी की , तो कुछ साज़िशकर्ता केंद्र सरकार के अधिकारीयों से मिलकर , हाईकोर्ट आदेश की क्रियान्विति मामले को गुमराह करने के लिए कथित गाइडलाइन जारी की गई , यह कथित गाइड लाइन जारी तो हुई ,लेकिन इसे लागू करने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं नहीं की , पोर्टल चालु नहीं किया ,पंजीयन व्वयस्था नहीं हुई , शिकायत और जुर्माने , सज़ा के लिए प्राधिकृत अधिकारी को अधिसूचित नहीं किया , इतना होता तो सब ठीक था , कथित गाइडलाइन को , क़ानून बना कर जानबूझ कर लागू नहीं किया गया ,जबकि लोकसभा में पूर्ण बहुमत है , अन्य कई क़ानून लागू किये गये , संशोधित किये गए लेकिन इस गाइड लाइन को क़ानून के रूप में लागू नहीं किया गया , अधिसूचना जारी नहीं की गई , यह सब इसलिए के कोचिंग से जुड़े लोग इस गाइड लाइन को , सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर रोक लगवा सके , ,इधर राजस्थान हाईकोर्ट में लगातार , कठोरतम निर्देशों के साथ सुनवाई को भी गुमराह करने की साज़िश इस कथित गाइडलाईन के ज़रिये हुई है ,ताकि हाईकोर्ट में कहा जा सके के केंद्र सरकार की इस मामले में गाइड लाइन आ चुकी है , इसलिए अब हाईकोर्ट के दिशा निर्देशों की आवश्यकता नहीं है , ,हाईकोर्ट में इस दौरान होने वाली सुनवाई में कोई आदेश भी जारी नहीं हो सके हैं , ऐसे में कोचिंग व्यवस्था के नाम पर स्कूली शिक्षा को तहस नहस , करने ,,, स्कूली शिक्षा को लगभग खत्म करने ,,, कम आयु वर्ग के बच्चों पर अनावश्यक मानसिक दबाव पैदा करने , पर्तिस्पर्धा पैदा करने , उनके अभिभावकों को ,विज्ञापनों और अन्य माध्यमों से , बच्चों के भविष्य के सुनहरे सपने दिखाकर, उन्हें गुमराह कर , प्रवेश देने ,पर्तिस्पर्धा के नाम ,पर बच्चों में अवसाद होने से आत्महत्या करने के लिए हालात बनाने सहित कई अपराधों के लिए ज़िम्मेदार लोगों को चिन्हित कर , सख्त कार्यवाही करने , स्कूली शिक्षा को मज़बूत करने , दोषी लोगों को दंडित करने , कोचिंग गाइडलाइन को ,गाइडलाईन खत्म कर इसे क़ानून बनाकर देश भर में लागू करने के आदेश प्रदान कर , निर्देश जारी कर शत प्रतिशत पालना करवाई जाए ,,
सुझाव नंबर 1 ,,, आदरणीय कोचिंग शिक्षा और स्कूली शिक्षा दोनों के अलग अलग पैटर्न हैं , , स्कूली शिक्षा आठवीं क्लास से बाहरवीं क्लास तक , स्कूलों में प्रशिक्षित टीचर्स , जो बी ऐड होते है , जिन्हे बाल मनोविज्ञान का ज्ञान होता है , विशेष प्रशिक्षित होते है , बच्चों पर कितना बोझा लादना चाहिए , उन्हें कब खेलकूद , मनोरंजन की ज़रूरत है , वोह यह सब जानते हैं , लेकिन कोटा में तो , कोचिंग पढ़ने वाले बच्चों का स्कूल ही छीन गया है , चाहे , राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड हो , चाहे , केंद्रीय उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड हो , सभी स्कूलों में , क़रीब दो लाख छात्र छात्राएं दोहरी पढ़ाई के नाम पर, सिस्टम को धोखा दे रहे हैं , और तनाव ग्रस्त हो रहे हैं ,, एक छात्र ,छात्रा जो , एक ही समय में , स्कूल में भी उपस्थित है , वही , कोचिंग में भी उसी समय में उपस्थित रहता है , इतना ही नहीं , माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में , उनकी उपस्थित भी जाती है , और प्रेक्टिकल नंबर भी जाते हैं , स्कूल के भेजे जाने वाले नंबर भी जाते है , लेकिन यह छात्र छात्राएं स्कूल कभी जाते ही नहीं , सिर्फ एक्ज़ाम देने जाते हैं , और स्कूली शिक्षा , स्कूली अनुशासन , प्रशिक्षित बी ऐड , एम ऐड पढ़े लिखे अध्यापक जो इस आयु वर्ग के बच्चों का मनोविज्ञान समझते हैं , उनके अनुभवों से यह वंचित है , इन बच्चों का स्कूली सिस्टम तो ,, बेईमानी पूर्वक , धोखाधड़ी वाला ,फ़र्ज़ी उपस्थिति वाला है , जबकि रोज़ मर्रा कोचिंग में इन्हे, प्रशिक्षित अनुभवी , बाल मनोविज्ञान के जानकारों के खिलाफ ,, सिर्फ मशीने मिलती हैं, जो पैकेज के नाम पर इंजीनियर , डॉक्टर , भी होते है , यह लोग इन बच्चों को , थोक में , सैकड़ों की तादाद में , एक साथ , पढ़ाते हैं , यह शिक्षक सिर्फ बिना बाल मनोविज्ञान के अनुभव के , बच्चों में कोपीटीशन स्ट्रेस के साथ पढ़ाते हैं , एक मशीन समझते हैं , छोटे बच्चों पर पढ़ाई का वज़न लादते है , कम्पीटिशन के नाम पर नंबरिंग में आगे पीछे होने से , यह अवसाद में होते है , आगे बैठोगे , पीछे बैठोगे , इस बेच में नहीं उस बेच में बैठोगे , निम्न बैच में पढोगे , वगेरा वगेरा ,ऐसी सम्याएं हैं , जिन पर चिंतन होना चाहिए , और ऐसे स्कूल , जो एक बच्चे को कोचिंग में उपस्थित होने पर भी , स्कूल की उपस्थिति भी दे रहे हैं जांच करवाकर , उनके खिलाफ कार्यवाही होना ज़रूरी है , राजस्थान शिक्षा बोर्ड हो, केंद्रीय शिक्षा बोर्ड हो , ऐसे स्कूलों की मान्यता भी रद्द करे ऐसे आदेश हुआ ज़रूरी है , कोचिंग में भी छात्र छात्राओं को पढ़ाकर, स्कूल की शिक्षा को जोड़ने पर , ऐसे कोचिंग वालों के खिलाफ भी कार्यवाही ज़रूरी है , ताकि , डबल लोड बच्चे पर नहीं पढ़े , और बच्चा कॉम्पिटिशन के नाम पर अवसाद में नहीं आये ,
सुझाव नंबर 2 ,, आदरणीय कोचिंग चाहे कोटा में हों ,चाहे सीकर में , हर कोचिंग इंस्टीट्यूट के लिए , उनकी बैठक क्षमता के अनुरूप , ,बेच वाइस समीक्षा करने के लिए , विशेषज्ञ टीम की ज़रूरत है , जबकि , स्वतंत्र विशेषज्ञ टीम द्वारा प्रवेश परीक्षा लेकर , पात्र स्टूडेंट का प्रवेश चयन कोचिंग के लिए तय करें , तो ठीक है , इससे अनवांटेड बच्चे जो , पढ़ना नहीं चाहते या , पढ़ने की उनमे क्षमता नहीं है , वोह खुद ही अलग हो जाएंगे ,और फिर कॉमर्शियल बाज़ारवाद के नाम पर उन्हें एडमिशन देने से रोक होने के कारण ,, अनावश्यक पढ़ने में जो बच्चे इंट्रेस्टेड नहीं हैं , वोह बाहर हो जाएंगे , फिर आपराधिक गतिविधियां नहीं होंगी , निराशावाद में कमी रहेगी , अनावश्यक भीड़ से भी बचाव होगा, दूसरे , कोचिंग या तो , बाहरवीं पास के लिए ही करवाए जाने का नियम हो , इससे स्कूलों के छद्म डमी एडमिशन पर रोक ,लगेगी और बच्चा स्कूली शिक्षा का अनुशासित ज्ञान अनुभव भी प्राप्त करेगा ,, और अगर स्कूल के साथ ही कोचिंग की व्यवस्था हो , तो स्कूल के जो , पढ़ाई का वक़्त है , उस वक़्त कोई भी कोचिंग , शुरू ही ना हो , ताके स्कूली टाइम के बड़ा ,बच्चा स्कूली शिक्षा के साथ , कोचिंग में जाए और , सही मायनों में वोह स्कूली शैक्षणिक अनुभव के साथ मानवता के पाठ , भाईचारे , सद्भावना , एक्स्ट्रा कलिकुलर एक्टिविटी के साथ , पृथक से स्कूल समय के बाद कोचिंग में पढ़ कर , इंजीनियर डॉक्टर बन सके , इससे इन लोगों में हुमिनिटी भी डवलप होगी , और , एक ही समय में कोचिंग , और , स्कूल की झूंठ के दबाव से इन्हे छुटकारा मिलेगा , स्कूली शिक्षा का मनोविज्ञान इन्हे , मशीनी मानव की जगह , इंसान बनाएगा ,, इसलिए , कोचिंग और स्कूली शिक्षा को अलग अलग करना ज़रूरी है , स्कूली शिक्षा में हर हाल में उपस्थिति भौतिक रूप से हो , स्कूल के बाद बच्चा चाहे तो कोचिंग में जाए, इसके लिए , विशेष टीम का गठन हो जो ईमानदार हो , और ऐसी नियमावली के खिलाफ एडमिशन देने पर , चाहे स्कूल हो , चाहे कोचिंग हो , वोह मानयता रद्द होने के साथ साथ , सीज़ भी किया जाने का नियम दिशा निर्देश हों ,,
सुझाव नंबर 3 ,,,आदरणीय कोटा में बाल कल्याण समिति तो है , लेकिन वोह अटेंडिंग एज वाले , कोचिंग , स्कूलों में ,कभी जांच करने , उनकी सुख सुविधाओं के बारे में निष्पक्ष रिपोर्ट के लिए नहीं जाते हैं , ऐसे में बालकल्याण समिति के साथ पत्रकारों , वकीलों , समाजसेवियों की एक स्थाई समिति जो स्वतंत्र हो , कलेक्टर या किसी सियासी पार्टी , या कोचिंग , निजी स्कूल के अधीन ना हो , खुद माननीय हाईकोर्ट उस कमेटी को , कोटा , और सीकर के लिए गठित करे , जो, महीने में , दस बार तो अलग अलग स्कूलों कोचिंगों में उनका शैक्षणिक कार्य बाधित किये बगैर , उनकी सुविधाएँ , उपस्थिति , अध्ययन के तरीके , सहित , अन्य बिंदुओं ओर रिपोर्ट तय्यार कर जिला प्रशासन के अलावा सीधे श्रीमान तक भी नियमित पहुंचवायें ताकि , गड़बड़ कमिया होने पर , कार्यवाही , सुझाव दिए जा सकें ,,
सुझाव नंबर 4 ,,आदरणीय , कोटा हो चाहे सीकर हो , यहां बाहर से पढ़ने आने वाले हर बच्चे , उनके पेरेंट्स का डेटा नाम पते , मोबाइल नंबर सहित कलेक्ट्री में होना अनिवार्य है , जहाँ एक स्टूडेंट का अलग से कंट्रोल रूप हो , जो चौबीस घंटे संचालित हो , इस कंट्रोल रूम में, वकील ,पत्रकार ,चिकित्स्क , शिक्षाविद सहित , प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी भी सहयोगी हो , ,जो ,तत्काल गतिविधियों पर ध्यान रखे , और संबंधित थानाधिकारी , ऐसे मामलों में ,एलर्ट रहें , सी आई डी , सहित , अन्य पुलिस संस्थाओं को भी , सादो वर्दी में , कुछ छात्र छात्रों को चिन्हित कर , उन पर नज़र रखने के निर्देश हों, जिसकी मॉनिटरिंग भी माननीय हाईकोर्ट ही करे ,
सुझाव नंबर 5 , आदरणीय कोटा में कुछ ओयो होटलें , पर्यटन स्थल , और हॉस्टल , होटल्स ऐसे भी हैं , जो , एक घंटे , दो घंटे , तीन घंटे के लिए महंगे दामों पर ,कमरे किराये पर देते हैं , ऐसे में कुछ कोचिंग छात्र छात्राएं भी , इनका उपयोग करते हैं , साफ़ बात है , अकेले में कमरे में , अलग से जो यह आते जाते हैं , किसलिए आते हैं , कई बार कुछ लोगों ने , ऐसे होटलों के खिलाफ शिकायत भी की , मेने खुद ने ,सी एल जी समिति की बैठक में बात उठाई , लेकिन पुलिस अधिकारीयों का इस पर कोई ध्यान नहीं है , सीधा जवाब होता है , लीव इन रिलेशन शिप की वजह से , हम कुछ नहीं कर सकते , हमारे पास कोई अधिकार इन्हे रोकने का नहीं है , इसे वोह स्वेच्छिक व्यभिचार कहकर पल्ला झाड़ लेते है , लेकिन इस की आढ़ में कई अटेंडिंग एज वाले बच्चे भी , इस तरह की गलतियां बहकावे में आकर कर लेते है , जिसका नतीजा ,ब्रेक अप फिर निराशावाद , फिर आत्महत्या की तरफ भी हो सकता है , और हुआ भी है , ,ऐसे में कोटा के हर हॉस्टल , हर होटल,. , हर कोचिंग का एक ही मुख्यद्वार हो , और हर मुख्यद्वार पर, सी सी टी वी कैमरे लगाकर, पुलिस नियंत्रित अभय कमांड सेंटर से उसका जुड़ाव हो , जिस पर पुलिस के अभय कमांड सेंटर के अधिकारी , पूरी नज़र रखें , अवसर होने पर, छोटे बच्चे अगर दिखे तो , संबंधित थाने के ज़रिये , तुरतं कार्यवाही करवा सकें , इससे भी , ब्रेक अप , या अनावश्यक अपमानकारी विचारधारा के कारण होने वाला निराशावाद पर अंकुश लगाया जा सकेगा ,,
सुझाव नंबर 6 ,, आदरणीय श्रीमान के समक्ष यह रिट वर्ष 2016 से विचाराधीन है , इस दौरान , कई कोचिंग इंस्टीट्यूट बंद हो गए , कई बिक गए , कई कोचिंग इंस्टीट्यूट नए बन गए , नए कोचिंग संचालित है , ऐसे में जिला कलेक्टर से , नए सभी संचालित कोचिंग की सूचि , उनके छात्र छात्राओं , उनका अध्ययन समय , बेचेज़ ,, प्रवेश की प्रर्किया , ,छात्र छात्रों की संख्या , पढ़ाने वाले , लोगों के नाम , पते , उनकी शैक्षणिक योग्यता , बालमनोविज्ञान कोर्स का अनुभव जो भी हो मंगवाकर रिकॉर्ड पर लिवायें साथ ही , 2016 से किस किस , कोचिंग के , किस स्कूल के , कितने बच्चों ने , आत्महत्या की , उनकी सूचि भी , उनकी जांच रिपोर्ट भी , अपनी निगरानी में माननीय हाईकोर्ट द्वारा मँगवाना ज़रूरी है , इसी तरह स्कूलों में और कोचिंग में पढ़ने वाले , दोहरे एडमिशन की भी भौतिक समीक्षा करवाकर निष्पक्ष रिपोर्ट मंगवाया जाना ज़रूरी है , ताकि पता लगे , ,की एक ही छात्र , एक ही समय में स्कूल और कोचिंग में कैसे उपस्थित हो रहा है ,,
सुझाव नंबर 6 ,, आदरणीय वर्ष 2016 से आजदिनांक तक , जितनी भी आत्महत्याएं हुई है , उनकी मर्ग रिपोर्ट , जांच रिपोर्ट , पुलिस की जांच कार्यशैली की समीक्षा भी ज़रूरी है , क्योंकि , ऐसे मामलों में जब गंभीर स्थिति है , तो किस बच्चे , बच्ची की आत्महत्या की वजह क्या रही ,भविष्य में आत्महत्याओं को रोकने के अध्ययन के लिए ज़रूरी है , कोटा में अधिकतम बाहर के छात्र छात्राएं हैं , ऐसे में की आत्महत्या हुई , तो परिजन आकर , फॉर्मल पोस्टमार्टम करवाकर , शव को , तुरतं ले जाना चाहते है , फिर जांच 174 सी आर पी सी की हो , या फिर , 176 सीआर पी सी की , फोर्मलिटी हो जाती है , और क्लोज़र रिपोर्ट लगा दी जाती है , ,ऐसे में , कोटा , सीकर में छात्र छात्रों की आत्महत्या मामले में , पुलिस अधिकारीयों ,. जिला मजिस्ट्रेटों को निर्देश हों , हर आत्महत्या करने वाले छात्र छात्रा की पोस्टमार्टम विडिओ ग्राफ़ी , पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मोत का कारण, ऐसी रिपोर्ट में , एफ एस एल रिपोर्ट भी निर्धारित समयावधि में दिए जाने का कठोर नियम बनाया जाए , ,आत्महत्या करने वाले छात्र छात्रा के हॉल वाले , कोचिंग पढ़ाने वाले , प्रबंधक , साथी सहयोगियों , अगर कोई गर्ल फ्रेंड , या ब्वाय फ्रेंड हो तो , हर ऐंगल से जाँच होना ज़रूरी हैं , ऐसे आत्महत्या करने वाले , छात्र छात्राओं के मोबाइल नम्बरों की जांच हो , मोबाइल की जांच हो ,, ताकि ,किनसे उनका सम्पर्क रहा , आत्महत्या की मूल की वजह क्या रही , किसी नतीजे पर पहुंचा जा सके, आदरणीय सभी पुरानी मर्ग रिपोर्टों की क्लोज़र रिपोर्ट , फॉर्मल , पोस्टमार्टम मंगा देखेंगे तो कुछ में तो स्थिति हास्यास्पद ही रहेगी , इसलिए उचित मार्ग दर्शन के साथ माननीय हाईकोर्ट की निगरानी में ऐसे मामलों की सूक्ष्म समीक्षा ज़रूरी है , ,
सुझाव नंबर 7 ,,बच्चों की निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 बना हुआ है , जिसकी धारा 18 में अधिकृत स्कूलों के अलावा मानयता के विपरीत ,, इस आयु वर्ग के बच्चों के लिए पढ़ाई का कार्य नहीं करेगा , अगर ऐसा क्या गया तो वोह जुर्माने और सज़ा का भागीदार होगा , लेकिन कोटा कोचिंग में , अलग अलग आयु वर्ग के बच्चों को , उक्त विधि नियम के खिलाफ डंके की चोट पर , प्रवेश देकर एक ही स्कूल समय में , कोचिंग शुरू रखकर पढ़ाया जा रहा है , यहां की स्कूली व्यसस्था जहाँ बी ऐड , एम ऐड , प्रशिक्षित बाल मनोविज्ञान के जानकार के टीचर्स पढ़ाने के लिए तैनात है , वहां सिर्फ नाम के लिए प्रवेशित है , और एक ही छात्र की एक ही दिन में , कोचिंग और स्कूल में हाज़री लगाई जा रही है , यह बात एक ही शहर में चल रहे स्कूल और , कोचिंग की हो तो भी बढ़ी बात नहीं , लेकिन कोचिंग एक शहर में और कोचिंग में नियमित हाज़री बजाने वाले छात्र की स्कूली उपस्थिति दूसरे शहर में हो रही है , यह छात्रों और स्कूली शिक्षा के साथ खिलवाड़ है , स्कूली शिक्षा खत्म होने के कगार पर होने से बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है , जबकि स्कूलों में भी आर्थिक संकट आने से , स्कूल भी बंद होने के कगार पर हैं ,,,, कोचिंग में स्कूलों की तर्ज़ पर इस मामले में प्रबंधन समिति का गठन नहीं किया जा रहा है,क्योंकि वोह कोचिंग हैं , स्कूल हैं ही नहीं ,
सुझाव नंबर 8 , कोचिंग गाइड लाइन राजस्थान हाईकोर्ट के सख्त आदेश दिनांक 12 अक्टूबर 2023 ,,6 फरवरी 2018 , 10 जनवरी 2024 सहित कई आदेशों में दिशा निर्देश है , उनकी पालना सुनिश्चित नहीं की गई है ,, उसके तुरंत बाद जनवरी 2024 में कथित केंद्रीय कोचिंग गाइड लाईन बनाई गई है, जो क़ानून नहीं है ,सिर्फ गाइड लाइन है ,उक्त गाइड लाइन को लागू करने के लिए राजस्थान सरकर ने कलेक्टर्स को निर्देश दिए , कलेक्टर्स ने , कोचिंगों को निर्देशित किया लेकिन कोचिंग गाइड लाइन को लागू करने के लिए क़ानून नहीं बनाया गया, चलो गाइड लाइन भी है ,तो गाइड लाइन के ,तहत प्राधिकृत अधिकारी नियुक्त नहीं हुए , कोचिंग पंजीयन के लिए पोर्टल नहीं है, इस कोचिंग गाइड लाइन के नाम पर एक तो हायकोर्ट में गुमराही वाली व्यवस्था की गई ,दूसरी तरफ , इसके क़ानून नहीं होने , राजपत्र में प्रकाशित नहीं होने से , इसे कोचिंग से जुड़े लोग ,अपने फायदे के लिए , चुनौती देने की कोशिशों में जुटे हैं ,क्योंकि सुप्रीमकोर्ट के कुछ मामलों में ,निर्देश है,के अगर कोई , क़ानून नहीं बनाया गया है, कोई गाइडलाइन राजपत्र में प्रकाशित नहीं हुई है,तो उसे लागू करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता , ऐसे में कोचिंग गाइडलाइन को ,क़ानून के रूप में और अधिक प्रभावी बनाकर, दंडात्मक प्रावधान बढ़ाकर , स्कूली शिक्षा को बचाने और कोचिंग , स्कूली शिक्षा अलग करने को लेकर सख्त कौन तुरंत बनाकर लागू करना ज़रूरी है ,,
सुझाव नंबर 9 ,जिला स्तर पर कलेक्टर ,, एस पी , वकील , समाजसेवक , प्राइवेट स्कूल के संचालकों के साथ एक कमेटी बनाई जाए , जो कोचिंग में आकस्मिक जांच कर ,, वहां उपस्थित छात्र छात्राओं का स्कूली रिकॉर्ड चेक कर सके , वर्तमान में कोटा कलेक्टर , कोटा पुलिस अधीक्षक , कोटा के कई कोचिंग में बच्चों से संवाद करने गए है , लेकिन किसी भी अख़बार में ,न्यूज़ चेनल्स में , यह खबर नहीं आई के ,कलेक्टर , एस पी ने ,, कोचिंग में पढ़ रहे बच्चों से , ,साक्षात्कार के वक़्त , उनकी स्कूली शिक्षा के बारे में कोई भी सवाल पूंछा हो , या यह जानने की कोशिश की हो , के कोचिंग में पढ़ने वाला छात्र , बाहरवीं , या दसवीं , ग्याहरवी , किस स्कूल से कर रहा है , किस स्कूल में उसका एडमिशन है , वोह स्कूल के वक़्त में , कोचिंग में क्या कर रहा है ,, यह आकस्मिक जांच में छापामार जांच ज़रूरी है ,,, इसका क़ानून बनना चाहिए ,,
सुझाव नंबर 10 , राजस्थान सरकार में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर तो खुद कोटा के है , तेज़ तर्रार है , लेकिन उन्होंने भी आज तक एक भी कोचिंग में जाकर , स्कूलों मे पढ़ने वाले बच्चों की उपस्थिति स्कूल वक़्त में कोचिंग में कैसे है , क्यों है , इस बारे में कोई छापामार जांच नहीं की , उलटे उन्होंने आत्महत्या मामले में अलबत्ता छात्रों की आत्महत्या की वजह, कोचिंग के अलावा दूसरे कारण भी बताये है , ऐसे में , शिक्षा मंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को भी क़ानून के माध्यम से पाबंद किया जाए , के एक ही छात्र दो जगह स्कूल और कोचिंग में कागज़ी उपस्थिति में मिला , तो फिर वोह व्यक्तिगत ज़िम्मेदार रहेंग ,,
सुझाव नंबर 11 दोसा जिला ,कलेक्टर जिला शिक्षा अधिकारी का जांच मॉडल , कोटा सहित सभी कोचिंग बाहुल्य शहरों में लागू करना ज़रूरी है , ,, , राजस्थान के डोसा ज़िले में कोचिंग और स्कूली शिक्षा में टकराव के चलते , एक ही वक़्त में कोचिंग और स्कूली शिक्षा में उपस्थिति , प्रवेश , अन्य वहवस्थाओं को ,लेकर शिकायतों के खिलाफ शिक्षा विभाग ने जांच करवाई हैं , कार्यवाही भी की है , जिला प्रशासन ने भी गंभीर क़दम उठाये ,है कोटा में तो खुद शिक्षा मंत्री कोटा के हैं , यहां अब तक ऐसी कार्यवाही क्यों नहीं हुई , अफसोसनाक बात है , ,कलेक्टर कोटा में जो लगे , है वोह खुद एलेन के स्टूडेंट रहे हैं , उन्हें भी पता है , के स्कूली शिक्षा के साथ कोचिंग शिक्षा कैसे अलग है , ऐसे में यहां स्कूली शिक्षा को जीवित रखने के लिए कोई प्रयास नहीं ,हुए ,,ना ही कोई पूंछ तांछ या जांच हुई है , ,उलटे कोटा में तो मुख्यमंत्री भजन लाल आये तो वोह एलेन कोचिंग में खुद चलकर गए ,, और स्थानीय नेताओं की व्यवस्थाएं तो सभी को पता हैं , ऐसे में , इन लोगों को भी चिन्हित कर इन्हे प्रतिबंधित किया जाना ज़रूरी है ,,
सुझाव नंबर 12 ,, डॉक्टर्स , इंजीनियर्स की प्रवेश परीक्षाओं में यु भी ख़र्चीली व्यवस्था है , स्कूली शिक्षा की हत्या हो रही है , और अब स्कूली शिक्षा की हत्या हो जाने से , बच्चे कोचिंग में इंसान नहीं , मशीन बनकर निकल रहे हैं , जो देश के भविष्य के लिए खतरा है , ऐसे में , देश की संस्कृति ,व्यवस्था , मर्यादाएं , मान सम्मान को जीवित रखने के लिए , स्कूली शिक्षा में जिसके भी , सर्वाधिक अंक हो, उस मेरिट के आधार पर , ही इंजीनियरिंग , डॉक्टर्स सहित अन्य स्थानों पर , एडमिशन की व्यस्थाएं की जाए , ताकि , छात्र छात्राएं स्कूली शिक्षा में टॉपर हों , और स्कूली शिक्षा को ही टॉप करने के लिए वोह अगर चाहे तो ,, स्कूल समय के बाद कोचिंग में स्कूली शिक्षा को ही पढ़े , इसके लिए प्रवेश परीक्षाएं प्रतिबंधित कर , सिर्फ स्कूली अंकों की मेरिट के आधार पर ही अलग अलग कोर्स में प्रवेश का क़ानून फिर से लागू हो , ताकि कम खर्च में , बहतर व्यवस्थाएं भी बने , और स्कूली वातावरण के साथ बच्चों में भारतीय संस्कृति का माहौल पुनर्जीवित हो सके ,,
अतः देश के भविष्य , ,देश के कर्णधार , स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए , उक्त सुझावों सहित अन्य जो भी आवश्यक हो , उन व्यवस्थाओं को लागू करने के निर्देश जारी कर अनुग्रहित करें ,,
प्रार्थी
एडवोकेट अख्तर अली खान अकेला
रशीदा मंज़िल , मैन रोड
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