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25 फ़रवरी 2024

मेरा जैसा दिव्यांग,कभी ना हो,इसलिए किया देहदान संकल्प

 मेरा जैसा दिव्यांग,कभी ना हो,इसलिए किया देहदान संकल्प

2. 6 माह से देहदान संकल्प करना चाहते थे,शाइन इंडिया के प्रयास से हुआ पूरा

3. बेहद खुश हैं दिव्यांग विकास,देहदान संकल्प के बाद



अंता निवासी,दिव्यांग विकास अरोड़ा, काफी समय से देहदान का संकल्प पत्र भरना चाहते थे,बीते दिनों छीपाबड़ौद निवासी इनकी बुआ स्व० श्रीमति राजरानी अदलखा का उनके सुपुत्र सुरेश अदलखा के माध्यम से देहदान का कार्य संपन्न हुआ था,तभी से विकास ने भी अपनी माँ संगीता,भाभी आरती और भाई धीरज से एक ही जिद लगा रखी थी कि,उन्हें भी देहदान का संकल्प पत्र भरना है ।


विकास की उम्र 45 वर्ष है करीब 20 सालों से वह मल्टीपल स्क्लेरोसिस नामक बीमारी से ग्रसित हैं । विकास पढ़ाई में काफी अव्वल थे और फैशन डिजाइनिंग से संबंधित एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत थे । अपने कार्य से संबंध में वह काफी समय विदेश में भी रहे । अचानक उनके चलने फिरने में तकलीफ आने लगी और आंखों से भी धुंधला दिखाई देने लगा,लंबे समय तक चिकित्सकों से इलाज़ लेंने के बाद उन्हें बताया गया कि, वह मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस नामक लाइलाज बीमारी से ग्रसित हैं ।


संस्था के ज्योति मित्र सागर पिपलानी के अनुरोध पर शाइन इंडिया की टीम विकास के घर,अन्ता पहुंची और परिवार के सभी सदस्यों के बीच में विकास की इच्छा के अनुसार उनका देहदान का संकल्प पत्र भरा गया । संकल्प पत्र भरने के बाद,उनके चेहरे पर बहुत ही प्यारी मुस्कान थी, उन्हें खुशी थी कि,उनकी बीमारी के बारे में आने वाले चिकित्सक उनकी मृत-देह पर अध्ययन कर सकेंगे, और उनका शरीर किसी के काम आ सकेगा । 


माँ संगीता अरोड़ा का भी कहना है कि, पहले मैं देहदान के लिए तैयार नहीं थी,परंतु बेटे ने बार-बार मुझे समझाया कि,माँ मेरा देहदान होगा तो,नये आने वाले डॉक्टर मेरे शरीर की बीमारी पर अध्ययन कर सकेंगे,कम से कम किसी और का बेटा तो इस बीमारी से परेशान नहीं होगा ।


बड़े भाई धीरज ने भी अपने अपने भाई के संकल्प को पुण्य कार्य बताते हुए कहा कि, एम्स दिल्ली ने भी परीक्षण के लिए हमारे भाई को वहां रखने के लिए कहा था,जिसमें उनकी जान को भी खतरा था, हमने इसलिए मना कर दिया क्योंकि जब तक उनका जीवन है, तब तक तो हम उनका पूरा ध्यान रखेंगे । अब जब भैया ने देहदान का संकल्प पत्र भर दिया है, तो हमें किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं है ।


माँ संगीता अरोरा ने संस्था सदस्यों को कहा कि,चिकित्सक इस बीमारी पर अध्ययन करें,जिससे किसी और का बेटा कम से कम इस तरह की लाइलाज बीमारी से परेशान न हो ।


ज्ञात हो की,संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन, पिछले 13 वर्षों से लगातार नैत्रदान,अंगदान, देहदान के विषय पर लोगों को जागरूक करने का कार्य कर रही है, संस्था के माध्यम से अभी तक 25 देहदान सम्बंधित मेडिकल कॉलेज में हो चुके हैं ।



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