वकालत में हमेशा वेल ड्रेस एण्ड वेल एड्रेस के सिद्धांतों पर चलकर , सत्यमेव जयते को ज़िंदाबाद रखने वाले ,,अहमद बख्श क़ानून के बब्बर शेर की पहचान रखते थे , आज ही के दिन 2016 में उनका निधन हुआ था ,,
कोटा 10 फरवरी ,कोटा क़ानून के उस्ताद मरहूम अहमद बख्श एडवोकेट की बरसी पर आज उन्हें खिराज ऐ अक़ीदत पेश है ,, मरहूम अहमद बख्श एडवोकेट की वकालत की विरासत उनके सुपुत्र भाई सलाहउद्दीन एडवोकेट बखूबी संभाले हुए है , कोटा संभाग में उस्तादों के उस्ताद कहे जाने वाले अहमद बख्श एडवोकेट चाहे हमारे बीच नहीं रहे हों , लेकिन न्यायिक अधिकारी से विधि नियम और सिद्धांतों के तहत वकीलों को कैसे पेश आना चाहिए , एक वक़्त में न्यायिक अधिकारी एक ही काम करेगा , उसकी पाबंदी कैसे की जाए , जिरह में किन सवालों की स्वीकृति और किन सवालों की अस्वीकृति हो , ,क़ानून को कैसे , तथ्यों और गवाह की बारीकियों के अवलोकन के साथ अपने पक्ष में पेश किया जाए , हारी हुई बाज़ी कैसे जीती जाए , वकील कोर्ट ऑफिसर है , ऐसे में उस पर कोई भी पीठासीन अधिकारी हावी ना हो सके , उनकी सीख आज भी कोटा के उनके शागिर्दों को याद हैं , , आज़ादी के 17 वर्ष पहल 1930 में अहमद बख्श जी का जन्म कोटा में हुआ , ,उनके वालिद का ट्रांसपोर्ट का कारोबार था , ,, उनकी पहचान पूर्व मंत्री वरिष्ठ वकील रिखब चंद धारीवाल से होने के कारण अहमद बख्श ने , रिखब चंद जी धारीवाल के सानिध्य में वर्ष 1954 से वकालत शुरू की , और बस फिर अहमद बख्स क़ानून और और इतिहास सहित सामजिक अध्ययन के उस्ताद होते चले गए , ,क़ानून की बारीकियों को पकड़ना और , उनको अपने मुक़दमे में अपने पक्षकार के हक़ में विधि सम्मत तरीके से पेश करना ही उनकी उस्तादी थी , हारे हुए मुक़दमे को जीत में बदल देने का उनका हुनर सभी जानते थे इसीलिए , अहमद बख्स एडवोकेट अपने पक्षकारों की तरफ से , ताल्लुका ,, जिला न्यायालयों के अलावा हाईकोर्ट , सुप्रीमकोर्ट में पैरवी करते थे , वोह देश की सभी बढ़ी अदालतों में पैरवी कर चुके थे , ,कांग्रेस से उनका जुड़ाव होने के कारण अहमद बख्श एडवोकेट 1957 में छबड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकिट पर चुनाव लड़े लेकिन भितरघात के चलते वोह कम वोटों के अंतर् से हार गए ,, अहमद बख्श एडवोकेट रिखब चंद धारीवाल के सानिध्य से स्वतंत्र वकालत करने लगे , और उनके पूर्व मंत्री भुवनेश चतुर्वेदी , रमेश सक्सेना सहित कई उस वक़्त के जनसंघ के , सोशलिस्ट और कांग्रेस से जुड़े वकील साथी उनके मित्र रहे , साफ गोई , निर्भीकता उनकी पहचान थी , रविंद्र विजय ,,दीनानाथ गालव , राजेश अड़सेला कई वरिष्ठ वकील उनके सानिध्य में वकालत सीख चुके है , वर्तमान में उनकी वकालत की विरासत उनके पुत्र तीस वर्षों के वकालत के अनुभव के साथ , बखूबी संभाले हुए हैं ,, क़ानून के स्तम्भ ,,क़ानून की आवाज़ ,,क़ानून को क़ानून से चलने और चलाने वाले ,,वरिष्ठ एडवोकेट अहमद बख्श का कोटा में इन्तिक़ाल होने के बाद बस उनकी यादें , उनकी क़ानूनी दलीलें ही यादों में शेष हैं ,, ,,अहमद बख्श राजस्थान के नामचीन और वरिष्ठ अभिभाषकों में से एक थे ,,,जिन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट ,,सुप्रीम कोर्ट ,,जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट सहित ,,देश की सभी बढ़ी अदालतों में पैरवी की थी ,,अहमद बख्श वर्तमान में आल इण्डिया मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय महासचिव भी थे ,,,,,,अहमद बख्श एडवोकेट कोटा में ही जन्मे ,,उनका परिवार मध्यप्रदेश माण्डू से कोटा आया था ,,उन्होंने कोटा से ही क़ानून की डिग्री ली ,,फिर कोटा में ही वकालत शुरू की ,,1954 में अहमद बख्श को कोटा ज़िले की छबड़ा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस से विधायक का टिकिट दिया ,,फिर अहमद बख्श एडवोकेट सियासत छोड़कर वकालत पर ध्यान देने लगे ,,,फिर खुद चलता फिरता क़ानूनी एन्साइक्लोपीडिया बन गए ,,अहमद बख्श एडवोकेट के सहयोगी वकीलों की भी एक लम्बी फहरिस्त है ,,,,वकालत में राजस्थान के शेर के नाम से पहचान बना चुके ,एडवोकेट अहमद बख्श् ने कभी किसी भी पेचीदा मुक़दमे में हार नहीं मानी ,,,अनेक मुकदमो विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी उन्होंने विधिक रुख मोड़ कर कई मुकदमो के फैसले बदलवाने में कामयाबी हांसिल की ,,वकालत में हमेशा वेल ड्रेस एण्ड वेल एड्रेस का उनका सिद्धांत रहा है ,,,वकालत में हमेशा यूनिफॉर्म पहन कर आना ,,वक़्त पर आना ,,पूरी फ़ाइल सभी बारीकियों और बचाव के नज़रिये से पढ़कर आना ,,हर फ़ाइल में संबंधित क़ानून पढ़कर आना ,,,हर क़ानून अपनी डायरी में लिखकर रखना ,,,वकालत के वक़्त सिर्फ वकालत करना ,,वक़्त पर अदालत में उपस्थित होना ,,और अदालत में सिविल रूल्स ,,क्रिमनल रूल्स ,अदालत आचार संहिता ,,एडवोकेट एक्ट के प्रावधानों के तहत ही वकालत करना ,,,आज अदालत में एक तरफ बहस ,,एक तरफ गवाही ,,एक तरफ दूसरे काम होते रहना आम बात है ,,लेकिन अहमद बख्श ने अदालत में कभी भी समझोता नहीं किया ,,अगर गवाह से जिरह होना है तो जज का कननसट्रेशन गवाही पर ही रहे ,,बहस हो तो जज का कन्सट्रेशन बहस पर ही हो ,,जो भी कार्यवाही हो सिर्फ एक हो और जज के कनसट्रेशन के साथ हो ताके विधिक कार्यवाही हो सके ,,अनेको बार उन्होंने कई जजो से इस मामले में मोर्चा भी लिया ,,निर्भीकता से अपनी बहस करना ,,फैसला कुछ भी हो लेकिन अपनी तरफ से पूरी महनत कर हवाओ का रुख बदलने का उनका हुनर खूब था ,,अहमद बख्श एडवोकेट का एक सीक्रेट मेरे सामने था ,,एक ऍन डी पी एस एक्ट का मामला ,,जिसमे जज सजा देने का मानस बना चुके थे ,,तकनीकी कई खामिया थी ,,कई विरोधाभास थे फिर भी जज साहब कहीं सज़ा नहीं दे ,,इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने ,,जज साहब की अदालत के बाहर एक ठेले में सैकड़ों किताबे लाकर रखी और बहस शुरू कर दी ,,एक के बाद किताबे ,,आखिर जज साहब ने कहा के आपकी किताबे पढ़ी हुई मानी ,,आप किताबों का ठेला वापस भिजवा दो ,,बाद में उनका मुल्ज़िम उनके इसी हुनर के कारण दोषमुक्त हो गया ,,,,,,,,,,,,,,हिंदी ,,उर्दू ,,अरबी ,,अंग्रेजी ,,राजस्थानी ,,हाड़ोती भाषा में मास्टरी रखने वाले अहमद बख्श बढ़ो में बढे ,,बच्चे हो जाते थे ,,उनको इतिहास का शोक था ,,वोह एक मुखर वक्ता होने से राजनीति में जब भाषण देते थे तो लोग उन्हें सुनने के लिए उमड़ पढ़ते थे ,,उनकी पार्टी का समझोते के तहत एक या दो केंद्रीय मंत्री हमेशा सत्ता में रहते थे ,,इसलिए वोह सत्ता में भी अपने लोगों के मनचाहे काम करवा लिया करते थे ,,,,अहमद बख्श एडवोकेट की राजनीति में , वकालत में , क़ानून के जानकारों में राष्ट्रिय पहचान थी , कोटा के कई वरिष्ठ वकील वक़्त पढ़ने पर उनसे सीख लेने जाते थे , में खुद भी उनसे बहुत कुछ सीखता रहा हूँ , इतिहास सहित क़ानून के हर पहलु के जानकर अहमद बख्श एडवोकेट अपने कोट की जेब में , आधा दर्जन नए अलग अलग डिज़ाइन के पेन लगाकर रखने के शौक़ीन थे , उनकी यह आदत अब , उनके सुपुत्र एडवोकेट सलाहुद्दीन साहब ने बरक़रार रखी है ,, ,,,,,नव्वे साल की उम्र में 10 फरवरी 2016 को अहमद बख्श एडवोकेट हमे छोड़कर चले गए ,,उनके पुत्र सलाउद्दीन कोटा अदालत में ही वकालत कर रहे है ,,अल्लाह अहमद बख्श साहब को जन्नत नसीब करे और उनके घर वालों को सब्र अता फरमाये ,,आमीन ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
10 फ़रवरी 2024
वकालत में हमेशा वेल ड्रेस एण्ड वेल एड्रेस के सिद्धांतों पर चलकर , सत्यमेव जयते को ज़िंदाबाद रखने वाले ,,अहमद बख्श क़ानून के बब्बर शेर की पहचान रखते थे , आज ही के दिन 2016 में उनका निधन हुआ था ,,
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