दिल्ली में स्थित यह क़िला ,, क़िला नहीं , आतंकी , हमलावर आतताई मुगलों के शासन की यादगार है , अंग्रेज़ों के खिलाफ भारत की जंग , और फिर आज़ादी की जंग हारने के बाद ,, भारत में अंग्रेज़ों के शासन की गुलामी की भी यादगार है , अब यह लालकिला भारत की सम्पत्ति है , इसके निर्माण के नीचे भी क्या कुछ है इसका भी पुरातत्व विशेषज्ञों से सर्वेक्षण करवाना चाहिए ,, क्योंकि गुलामी के कार्यकाल में बनाई गई इस इमारत के निर्माण में भी कुछ तो गड़बड़ हुई ही होगी ,,
भारत की पुरानी राजधानी , शाहजहांबाद ,, जो अब दिल्ली कहलाती है ,वहां ,, आतताई हमलावर , मुग़ल शासक द्वारा बनवाया गया सफेद क़िला जो ,अब लाल क़िले के रूप में अपनी पहचान रखता है , उसे देखते ही ,वर्तमान न्यूज़ चेनल्स की लाइव बहस , लोगों की सोच और अख़बारों के बयांन के बाद तो मुझे , उस लालकिले में ,,मुगलों का आतताई चेहरा और अंग्रेज़ों का आतंक नज़र आता है , भारत में हमलावर आतताई शासक , शाहजहां ने भारत की राजधानी आगरा से हटाकर , शाहजहांबाद बनाई , जो आज दिल्ली कहलाती है , वहां शासन चलाने के लिए विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल दुनिया के इस सर्वश्रेष्ठ किले के निर्माण काम की शुरुआत मुगल सम्राट शाहजहां द्धारा 1638 ईसवी में करवाई गई थी,, भारत के इस भव्य लाल किले का निर्माण काम 1648 ईसवी तक करीब 10 साल तक चला,, जो पहले सफेद चूने पत्थर से बना था , जिसे बाद में अंग्रेज़ों ने लाल करवाया ,, आपको बता दें कि शाहजहां, इस किले को उनके द्वारा बनवाए गए सभी किलों में बेहद आर्कषक और सुंदर बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने 1638 ईसवी में ही अपनी राजधानी आगरा को दिल्ली शिफ्ट कर लिया था, और फिर तल्लीनता से इस किले के निर्माण में ध्यान देकर इसे भव्य और आर्कषक रुप दिया था,,मुगल काल के प्रसिद्ध वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी को इस किले की शाही डिजाइन बनाने के लिए चुना था,, इस भव्य किला बनने की वजह से भारत की राजधानी दिल्ली को शाहजहांनाबाद कहा जाता था, साथ ही यह शाहजहां के शासनकाल की रचनात्मकता का मिसाल माना जाता था। मुगल सम्राट शाहजहां के बाद उसके बेटे औरंगजेब ने इस किले में मोती-मस्जिद (Moti Masjid) का भी निर्माण करवाया था,,,वहीं 17वीं शताब्दी पर जब लाल किले पर मुगल बादशाह जहंदर शाह का कब्जा हो गया था, तब करीब 30 साल तक लाल किले बिना शासक का रहा था,,, इसके बाद नादिर शाह ने लाल किले पर अपना शासन चलाया ,, सके बाद 18वीं सदी में अंग्रेजों ने लाल किले पर अपना कब्जा जमा लिया और इसे किले में जमकर लूट-पाट की। भारत की आजादी के बाद सबसे पहले देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इस पर तिरंगा फहराकर देश के नाम संदेश दिया था,, 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद, किले को ब्रिटिश सेना के मुख्यालय के रूप में प्रयोग किया जाने लगा था। इस सेना ने इसके करीब अस्सी प्रतिशत मण्डपों तथा उद्यानों को नष्ट कर दिया,, इन नष्ट हुए बागों एवं बचे भागों को पुनर्स्थापित करने की योजना सन 1903 में उमैद दानिश द्वारा चलाई गई,, लाल किला दिल्ली शहर का सर्वाधिक प्रख्यात पर्यटन स्थल है, यह लाखॉ पर्यटकों को प्रतिवर्ष आकर्षित करता है,, यह किला वह स्थल भी है, जहाँ से भारत के प्रधान मंत्री स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को देश की जनता को सम्बोधित करते हैं,, यह दिल्ली का सबसे बडा़ स्मारक भी है,,
एक समय था, जब 3000 लोग इस इमारत समूह में रहा करते थे,, परंतु 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद, किले पर ब्रिटिश सेना का कब्जा़ हो गया, एवं कई रिहायशी महल नष्ट कर दिये गये,, इसे ब्रिटिश सेना का मुख्यालय भी बनाया गया,, इसी संग्राम के एकदम बाद बहादुर शाह जफर पर यहीं मुकदमा भी चला था,, यहीं पर नवंबर 1945 में इण्डियन नेशनल आर्मी के तीन अफसरों का कोर्ट मार्शल किया गया था,, यह स्वतंत्रता के बाद 1947 में हुआ था। इसके बाद भारतीय सेना ने इस किले का नियंत्रण ले लिया था,,बाद में दिसम्बर 2003 में, भारतीय सेना ने इसे भारतीय पर्यटन प्राधिकारियों को सौंप दिया,, लाल किले पर 1739 में फारस के बादशाह नादिर शाह ने हमला किया था और वह अपने साथ यहां से स्वर्ण मयूर सिंहासन ले गया था, जो बाद में ईरानी शहंशाहों का प्रतीक बना.,,वर्तमान में लाल क़िला का रख रखाव ठेके पर , देश के सबसे अमीर आदमी को दिया गया है ,, यह लाल क़िला चाहे भारत के इतिहास में अंग्रेज़ों के खिलाफ आज़ादी की जंग का हेडक्वार्टर रहा हो , जब इस लालकिले की योजना के ज़रिये देश भर में अंग्रेज़ों के खिलाफ जंग चल रही थी , तब , कुछ लोग अंग्रेज़ों के मुखबिर , थे कुछ शासक अंग्रेज़ों के मददगार बने हुए थे , कुछ सरकारी गवाह और मुखबिरी कर रहे थे , लेकिन लाल क़िले की जंग हारने के बाद , बहादुर शाह ज़फ़र को रंगून में फांसी दी गई ,, अंग्रेज़ों ने बाद में इसी लालकिले से भारत पर शासन चलाया , जो राजा , नवाब अंग्रेज़ों के खिलाफ थे , उनके महल , उनकी सम्पत्तियाँ , सोने , चांदी के खज़ाने उन्ही के पास रहने दिए , उनके ऐशो आराम में कोई कमी नहीं आने दी , जिन राजा महाराजा या फिर नवाबो आज़ादी चाही उन्हें अंग्रेज़ों ने या तो मरवा दिया , या फिर गिरफ्तार कर लिया , फांसी दे दी , और उनके महल , हवेलियां , सोना ,चांदी , वगेरा सभी क़ब्ज़े के कर लिया ,,, बात साफ़ है , जो आज लुटा पिता शासक परिवार है वोह अंग्रेज़ों के खिलाफ रहे और वैभवशाली तो वैभवशाली हैं ही सही , कुछ लोग ऐसे भी थे जो अंग्रेज़ों के खिलाफ जंग लड़ने वालों की मुखबिरी कर रहे थे , उन्हें सज़ा दिलवाने के लिए अंग्रेज़ों की तरफ से गवाह बन रहे थे , तो उन्हें पेंशन मिली , इनामात भी मिले ,,,, लाल क़िला चाहे हज़ारों हज़ार जंग की दास्ताँ अपने गर्भ में समोए हुए है , लेकिन आज यह लालकिला , विश्व की ऐतिहासिक धरोहर में है , ऐतिहासिक इमारत है , दिल्ली का दिल है , और इसके आसपास , ठसा ठस दिल्ली है , रास्ते जाम हैं , गंदगी है , बदबू है , ,ट्रेफिक अस्त व्यस्त है , ,वजह साफ़ है , आज़ादी का जश्न यहां साल में एक बार होता है , फिर तो सैलानियों के ज़रिये इसे सिर्फ ठेके पर देकर कमाई का ज़रिया बना दिया गया है , वास्तुकला , ,इतिहासविद वगेरा ज़रूर शोध के संबंध में यहां आते जाते रहते है ,जबकि विदेशी पर्यटकों का यह आकर्षण है , लेकिन जो भी है , है तो यह इमारत आतताई ,, देश पर हमलावर रहे मुगलों द्वारा बनाई गई है , आगरा से दिल्ली राजधानी बनाने के नाम पर इसका निर्माण हुआ , इतिहास को खंगालना तो चाहिए , के यहां इस लालकिले को बनाने के पहले , मुगलों ने क्या क्या किन बस्तियों , इमारतों का सत्यानास किया होगा ,फिर अंग्रेज़ों ने यहीं से देश भर में हुकूमत चलाई है , तो फिर ,,,,,,,,,,,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
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