बेटी ने की पहल,तो अब पिता रहेंगे दो आंखों में रोशन
2. छोटे-छोटे बच्चों ने सामने देखी, नेत्रदान की प्रक्रिया वीडियो भी बनाये
शाइन
इंडिया फाउंडेशन के अनवरत जागरूकता अभियान के कारण, अब नेत्रदान का कार्य
शोक की घड़ी में हिम्मत दिलाता है । आज सुबह 4:00 सुकेत रोड,रामगंज मंडी
निवासी पत्थर व्यवसायी सरदार निर्मल कुमार सलूजा का हृदयघात से आकस्मिक
निधन हुआ ।
दुख की यह
सूचना उदयपुर निवासी निर्मल जी की बेटी अमरप्रीत कौर को भी मिली,उसने बिना
समय बिगाड़े, तुरंत ही पिताजी के नेत्रदान करवाने के लिए अपनी माँ महेन्द्र
कौर,और भाइयों हरजीत,गुरजीत और कमलदीप को कहा ।
10
साल पहले अमरजीत ने भी शाइन इंडिया फाउंडेशन के साथ नेत्रदान का संकल्प
पत्र भरा था, तभी से वह समझती थी की,मृत्यु के बाद नैत्रदान ही एक ऐसा
माध्यम है,जिससे हम अपने दिवंगत परिजनों को मृत्यु के बाद भी जीवित रख सकते
हैं । इस सोच के कारण,उसने तुरंत ही पिता के नेत्रदान के लिए सबकी समझाइश
की ।
परिवार के सभी लोगों
की सहमति होते ही,सुबह 5:00 बजे ही भारत विकास परिषद के दिनेश डबकरा,
अर्हम जैन सोशल ग्रुप के संजय बिजावत और शाईन इंडिया के मोनू माहेश्वरी ने
कोटा में संस्था सदस्यों को संपर्क किया, तुरंत ही कोटा से टीम भी रवाना हो
गयी । ईबीएसआर-बीबीजे चैप्टर के कॉर्डिनेटर डॉ कुलवंत गौड़ के नेतृत्व
में,टेक्नीशियन उत्कर्ष मिश्रा के परिवार की सभी सदस्यों के बीच में
नेत्रदान की प्रक्रिया संपन्न की गयी ।
नैत्रदान
प्रक्रिया में खास बात यह थी कि, प्रक्रिया को परिवार के सभी रिश्तेदारों
और बड़े सदस्यों ने तो देखा ही सही,साथ ही घर परिवार के छोटे छोटे बच्चों
(इकमीत, इकप्रीत, जपीश, रहत,जपमन, यशदीप, पवित,हरनूर,गुरनूर, कटरीना,और
जपनीत) ने भी नेत्रदान की प्रक्रिया को देखा समझा और वीडियो बनाकर अपने
दोस्तों में भेजा ।
संस्था
के ज्योति मित्र संजय विजावत ने बताया कि, निर्मल जी का नेत्रदान सिख समाज
से पहला नेत्रदान है,और इस वर्ष में अभी तक 17 नेत्रदान रामगंज मंडी
क्षेत्र से हो चुके हैं ।
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