*असंक्रामक रोगों के बचाव-उपचार के प्रति सभी जागरूक हों : डॉ सोनी*
के डी अब्बासी
कोटा-जयपुर जून। मिशन निदेशक एनएचएम डॉ जितेंद्र कुमार सोनी ने कहा कि लोगों को असंक्रामक रोगों के लक्षण, कारण, बचाव के साथ ही उपचार सेवाओं के बारे में जागरूक किया जाना जरूरी है। इसके लिए स्वास्थ्य क्षेत्र से कार्मिक और स्वयं सेवी संस्थाएं अपनी जिम्मेदारी समझें । डॉ. सोनी मंगलवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के संयुक्त तत्वावधान में जयपुर के एक होटल में आयोजित दो दिवसीय एनपी-एनसीडी कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यशाला में कोटा से सीएमएचओ डॉ जगदीश सोनी, डिप्टी सीएमएचओ हैल्थ डॉ घनश्याम मीना व एनसीडी कार्यक्रम की जिला कोर्डिनेटर प्रियंका जांगिड़ भी मौजूद रहे। मिशन निदेशक डॉ सोनी ने कहा कि एकजुट होकर कैंसर, डायबीटीज, स्ट्रोक, हाईपर टेंशन जैसे असंक्रामक रोगों के नियंत्रण व उपचार के बारे में जागरूकता विकसित की जाए। उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को जयपुर के स्थानीय होटल में असंक्रामक रोग से ग्रसित रोगियों की निरंतर देखभाल में सुधार एवं एकीकृत जनकेन्द्रीत सेवाएं विषय पर आयोजित दो-दिवसीय कार्यशाला के उद्धाटन में यह अपील की। उन्होंने बताया कि अंसक्रामक रोग साइलेंट किलर हैं जिनके होने का सामान्य व्यक्ति को आभास ही नहीं होता और वह जटिल रोग की गिरफ्त में आ जाते हैं। उन्होंने असंक्रामक रोग की स्क्रिनिंग कार्य में अधिक सतर्कता बरतने के साथ प्रारंभिक लक्षण वाले स्क्रिन्ड रोगियों को निर्धारित पूरी दवाइयां, थैरेपी और परामर्श इत्यादि सेवाएं आवश्यक रूप उपलब्ध करवाने के साथ ही निरंतर उपचारत रोगी के फालोअप की आवश्यकता पर जोर दिया।
डॉ. सोनी ने बताया कि उपचार प्राप्त कर चुके ले और रोग मुक्त हो गये लाभार्थियों के फीडबैक समुदाय में संचारित कर अधिक से अधिक अन्य व्यक्तियों को जानकारी देकर प्रेरित करने को कहा। उन्होंने कहा कि समय-समय पर कौशल विकास के लिए अधिकारियों व फिल्ड कार्मिकों के प्रशिक्षण आवश्यक हैं लेकिन प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद परिणाम फिल्ड में स्पष्ट दिखाई तभी इनकी सार्थकता है।
एनएचएसआरसी नई दिल्ली के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर डॉ.अतुल कौथुल ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की प्राथमिकता में शामिल हैं और हैल्थ एंड वेलनेस सेंटर के माध्यम से 12 प्रकार की असंक्रामक रोगों की पैकेज सर्विसेज को गांव-गांव तक पहंुचाया जाना है। इसके लिए यह कार्यशाला आयोजित की जा रही है। इसमें चिकित्सा क्षेत्र के अधिकारीगण आपसी अनुभव साझा करेंगे एवं केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा असंक्रामक रोगों से संबंधित तैयार नवीन गाइडलाईन्स के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे। उन्होंने राजस्थान में संचालित 100-दिवसीस असंक्रामक रोगों की स्क्रिनिंग और उपचार-पराशर्म सेवाओं के अभियान की प्रशंषा की।
निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने बताया असंक्रामक रोग तंबाकू सेवन, अनियंत्रित भाग-दौड़ भरी दैनिक जीवन, मानसिक तनाव, अवसाद इत्यादि विभिन्न कारणों से होते हैं लेकिन इनका उपचार संभव है। उन्होंने बताया कि पहले संक्रामक रोगों से आमजन ज्यादा प्रभावित होते थे लेकिन वर्तमान में लगभग 60 से 65 प्रतिशत आबादी असंक्रामक रोग ग्रसितों में शामिल हो रही है। उन्होंने बताया कि टीम के रूप में एकजुट होकर, लक्ष्य निर्धारित करके, बेस्ट प्रेक्ट्रिेस को स्वीकार करते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी नवीन गाइडलाईन्स के अनुसार असंक्रामक रोगों से पीड़ित लोगों को उपचार सेवाएं उपलब्ध करवाने और इनके बारे में आवश्यक जानकारियों का प्रचार-प्रसार करने के लिए संकल्पबद्ध होकर कार्य किया जायेगा।
कार्यशाला के शुभारंभ सत्र में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ट चिकित्साधिकारी डॉ. अविनाश कुंकर, एनपी-एनसीडी के स्टेट नोडल अधिकारी डॉ.आर.एन.मीना ने भी अपने विचार रखे। कार्यशाला में सभी जिलों के मुख्यचिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों तथा संबंधित अधिकारीगणा भाग ले रहे हैं।
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