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03 अक्तूबर 2022

कोटा मेले दशहरे , सर्कस , खतरनाक झूलों की व्यस्थाओं में , जोखिम भरे कार्यों में , बालकों का शोषण तो नहीं हो रहा , इसके लिए बाल आयोग , बाल कल्याण समितियां को औचक निरीक्षण करना ज़रूरी ,

  कोटा मेले दशहरे , सर्कस , खतरनाक झूलों की व्यस्थाओं में , जोखिम भरे कार्यों में , बालकों का शोषण तो नहीं हो रहा , इसके लिए बाल आयोग , बाल कल्याण समितियां को औचक निरीक्षण करना ज़रूरी ,
सुनो बाल आयोग के चेयरमेन , सदस्यों , बाल कल्याण समिति के कारकुनों , जिला कलेक्टर जी , पुलिस अधीक्षक जी  बालकल्याण अधिकारी जी , बालकल्याण मंत्री जी , कोटा के सांसद , विधायक , पत्रकार साथियों , मेला अधिकारी जी , नाबालिग बच्चों को , जोखिम भरे करतब के लिए , ,उनकी कला का मुफ्त प्रदर्शन अलग बात होती है , लेकिन उनके जोखिम भरे कृत्य सर्कस , में अगर टिकिट लगाकर,  उससे कमाई करके, ऐसे बच्चों को नियोजित करके , अगर ऐसे  जोखिम भरे प्रदर्शन हों ,तो यह भारतीय दंड संहिता , और  इंडियन चिल्ड्रन एक्ट की धारा 75 , 79 में कठोर से भी कठोर दंडात्मक अपराध होता है ,,
कोटा में मेला दशहरा अपने यौवन पर है , यहां मेले दशहरे में , चाट , पकोड़ी , चाय की होटल , दुकानों , खिलौनों थडियों , सहित सभी जगह , बालकों को नियोजित कर , उनसे खुलेआम कमाई की जाती है , आम तोर पर , बाल कल्याण समितियां , पुलिस ज्वेनाइल यूनिट , बच्चों की संस्थाएं , चाइल्ड हेल्प लाइन , किसी भी दूकान , थड़ी , चाय की दूकान पर कप प्लेट धोते हुए मिलने  पर, भी बच्चों को रेस्क्यू कर,  नियोक्ता के खिलाफ रिपोर्ट लिखाकर कार्यवाहियां करते रहे हैं , खुद  कोटा बाल कल्याण समिति की चेयरमेन  कनीज़ जी फातिमा  सेवानिवृत्ति के पूर्व , इसी काम में लगी थीं , और पूर्व बालकल्याण समिति अध्यक्ष गुरुबक्षाणी के कार्यकाल में , ऐसी कार्यवाहियां रोज़ हुई है , अभी , मेले दशहरे कोटा में , ऐसा खुलकर उलंग्घन है , खेर थड़ी , गुब्बारे , खिलोने  चाय , पकोड़ी , चाट , होटल पर तो ऐसा नियोजन कोई जोखिम भरा नहीं है , होने दो , चुप हो जाओ , खामोश रहो , लेकिन झूलों पर , सर्कस में , तो ऐसा नियोजन शुद्ध रूप से जोखिम भरा है , नियोजन करके , नियोजक द्वारा प्रतिफल के बदले , ऐसे बच्चों , को , जोखिम भरा कार्य करने के लिए मजबूर किया जाना प्रमाणित है , अफ़सोस इस बात पर है , कोटा मेले दशहरा प्रांगण में , ,पुलिस  कंट्रोल रूम है , पृथक से , बच्चों की गुमशुदगी वगेरा की सहायता के लिए , कंट्रोल रूम है , मेला प्रांगण में , विधिक सहायता समिति , विधिक न्यायिक प्राधिकरण, विधिक साक्षरता बाबत ,, प्रदर्शनी है , जहाँ रोज़ मर्रा जज स्तर के अधिकारी ऐसी व्यवस्थाओं को मनीटरिंग करते  है , रोज़ नियमित न्यूज़ चेनल्स , प्रिंट मिडिया के लोकल , राष्ट्रिय , अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार मेले दशहरे , मेर्ले दशहरे के कार्यक्रमों , मनोरजंन की व्यवस्थाओं पर रिपोर्टिंग के लिए  मौजूद रहते हैं , जिला  कलेक्टर,पुलिस अधीक्षक , विधायक , सांसद , सभी तो यहां मौजूद रहते है , लेकिन सर्कस में , जोखिम भरे करतब दिखाने पर बच्चियों , बच्चों की उम्र , के बारे में कोई अनुसंधान, नहीं है, पूरी तरह से , बाल कल्याण के लिए बने क़ानून को , इस मामले में , दंडात्मक प्रावधान को , ताक में रख दिया गया है , ,यहां , झूलों के काम में लगे , सभी बच्चों का आकस्मिक सर्वेक्षण होना चाहिए , सर्कस के सभी कार्यक्रमों की रिकॉर्डिंग करवाकर , उसमे काम कर रहे छोटे बच्चे , बच्चियों के बारे , में उनके अनुबंध , उनकी आयु के बारे में प्रमाण पत्र लेना चाहिए , एक बढे अनुसंधान की ज़रूरत हैं , सर्कस के मालिक , सर्कस के प्रबंधकों के खिलाफ , बच्चों से जोखिम भरे करतब दिखाने के मामले में , औचक निरीक्षण कर , कार्यवाही करना ही चाहिए , ,क्या फायदा  राजस्थान में , केंद्र में , बाल अधिकारिता विभाग का , मंत्रालय का , क्या फायदा राजस्थान में , बाल आयोग , केंद्र में राष्ट्रिय बाल आयोग का , क्या फायदा ,. ,राजस्थान के सभी ज़िलों में ,बाल कल्याण समिति , बाल कल्याण अधिकारी , चाइल्ड हेल्प लाइन , समाज कल्याण विभाग का, इन सभी पर ,हर साल , ऐसे बच्चों को रेस्क्यू कर , पढ़ाने , लिखाने,  उनके कल्याणकारी कार्यक्रम , शैक्षणिक कार्यक्रम करवाने के लिए , वेतन , भत्तों पर , अरब रूपये खर्च होते है , राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक जी गहलोत तो ऐसे बच्चों के कल्याण , ऐसे बच्चों के संरक्षण के लिए खुलकर , कार्ययोजनाएं तय्यार कर रहे हैं , लेकिन फिर भी , राजस्थान के ही कोटा ज़िले में , सर्कस , झूलों , वगेरा में , जोखिम भरे कार्यों में ,बच्चों को , नियोजित कर  उनके जोखिम भरे करतबों को टिकिट लगाकर, सर्कस के नाम पर , रुपयों की कमाई की जा रही है, और बाल कल्याण समिति , दूसरे ज़िम्मेदार कह सकते है के यह तो कला का प्रदर्शन है , तो जनाब,अपने  कर्तव्यों की प्रति ईमानदारी से , ऐसे कृत्यों का औचक निरीक्षण  कर दस्तावेजों को खंगालना ज़रूरी है , जिला प्रशासन की भी यह ज़िम्मेदारी है, चाय , खिलौनों की थड़ी , चाट , पकोड़ी , पर बच्चों के नियोजन को तो रहने तो , उसमे कोई खतरा नहीं है, लेकिन , इन खतरनाक , जोखिम भरे ऊपर से उछल कूद , ऊंचाई पर उछल कूद , जान के लिए जोखिम है , यह तो दूध पीता बच्चा भी जान लेता है , ऐसे में एक क़दम , बच्चों के कल्याण के लिए , सर्कस की तरफ , झूलों की तरफ अचानक बढ़ाओ तो सही , देखो तो सही , अनुबंध पत्रों को खंगालो तो सही , बच्चों को हो सकता है , औचक निरीक्षण का वक़्त लीक होने से वोह गायब कर दें , लेकिन इनके कार्यक्रमों की पुराने विडिओ , पुराने रिकॉर्डिंग , पुराने फोटोग्राफ्स , उद्घाटन विडिओ करतब कार्यक्रमों को खंगाले तो सही , फिर अगर जोखिम भरा कृत्य है , तो मुक़दमा दर्ज करवाकर  सर्कस का लाइसेसं , झूलों का लाइसेंस , रद्द करवाए , मुक़दमा दर्ज करवाए , गिरफ्तार करवाएं , आकस्मिक जांच से , कम से कम , बच्चों को ऐसे जोखिम भरे कृत्य से बचाने में मदद तो मिलेगी ,  कोशिश कीजिये तो सही , ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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