आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

25 सितंबर 2022

कोटा से आयी टीम ने देर रात मोर्चरी में लिया नेत्रदान

  कोटा से आयी टीम ने देर रात मोर्चरी में लिया नेत्रदान

2. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मोर्चरी में देखी नेत्रदान की प्रक्रिया
3. नेत्रदान के लिए आयी टीम को आते-जाते समय करना पड़ा जाम का सामना
4. आते-जाते समय,चार घंटे जाम में फँसे,पर दो लोगों के लिये ले आये रौशनी

शाइन इंडिया फाउंडेशन और भारत विकास परिषद की ओर से पिछले कई सालों से रामगंज मंडी क्षेत्र में नेत्रदान अंगदान और देहदान की जागरूकता का कार्य किया जा रहा है,अनवरत प्रयासों के कारण यह 20वां नेत्रदान कल देर रात शहर के राजकीय अस्पताल की मोर्चरी में संपन्न हुआ ।

कल ऋषभ कॉलोनी,रामगंजमंडी निवासी, केतन शाह (52 वर्ष) जी का आकस्मिक निधन हो गया था,उनके निधन की सूचना थोड़ी देर में शहर के सामाजिक कार्यकर्ताओं और शाइन इंडिया फाउंडेशन के ज्योति मित्र संजय विजावत, दिनेश डबकरा'डिस्को', ईशांक मेहता, राहुल चतर राजकुमार बोथरा  को भी मिली । सूचना मिलते ही सभी ने शोकाकुल परिवार के सदस्यों को नेत्रदान के लिए समझाइश की,तो केतन जी की पत्नी शीतल जी ने तुरंत ही नेत्रदान की कार्य के लिए सहमति दे दी ।

संजय विजावत जी की सूचना पर कोटा से शाम 7:00 बजे डॉ कुलवंत गौड़ कार से रवाना हुए परंतु दरा में 2 घंटे तक जाम में फंसे रहने के कारण रात 10:00 बजे रामगंज मंडी पहुँचे,जिसके बाद शहर के कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में राजकीय अस्पताल की मोर्चरी में केतन भाई शाह का नेत्रदान डॉ कुलवंत गौड़ द्धारा संपन्न हुआ ।

लगातार जागरूकता कार्यक्रम होने के बाद भी आमजन में अभी भी यह गलत धारणा है कि, नेत्रदान में पूरी आंख निकाली जाती है,रक्त आता है,चेहरा विकृत होता है,समय ज्यादा लगता है, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है,नेत्रदान में आँख के सामने का पारदर्शी हिस्सा (कॉर्निया ) लिया जाता है और इसमें किसी तरह का रक्त नहीं आता है ना चेहरे में कोई विकृति आती है, यह प्रक्रिया से 10 मिनट में पूरी हो जाती है ।

रात 11:00 बजे नेत्रदान की प्रक्रिया को पूर्ण करने के उपरांत डॉ कुलवंत और संस्था शाइन इंडिया के सदस्य शोकाकुल परिवार के सदस्यों से और शीतल जी से घर जाकर मिले और उनको नेत्रदान के कार्य में सहयोग करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया ।

संस्था की रामगंज मंडी शाखा के ज्योति मित्र संजय विजावत जी ने बताया कि,शहर के लोग नेत्रदान के प्रति जागरूक तो हैं, परंतु शोक की घड़ी आने पर,लोग धैर्य खो देते हैं, जो स्वाभाविक है,परंतु इससे नेत्रदान के लिए समझाइश में बड़ी परेशानी आती है । हम सभी को यह मानना होगा की, मृत्यु के बाद सिर्फ नेत्रदान ही एक ऐसा माध्यम है,जिससे हम अपने दिवंगत परिजनों को पुनः किसी दृष्टिबाधित व्यक्ति की आँखों में पुनः जीवित कर सकते हैं,और मोक्ष दिला सकते हैं । मरणोपरांत नेत्रदान का कार्य होना,शोकाकुल परिवार का शोक भी कम करता है। 

रामगंज मंडी से वापस आते समय वापस दरा में 2 घंटे के जाम का सामना करके रात 1:30 बजे शाइन इंडिया की टीम कोटा पहुंची ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...