मै तुमसे ख़ैरख़्वाहाना (भलाइ के लिए) कहता हूँ ग़रज़ मूसा वहाँ से उम्मीद व
बीम की हालत में निकल खडे़ हुए और (बारगाहे ख़़ुदा में) अर्ज़ की परवरदिगार
मुझे ज़ालिम लोगों (के हाथ) से नजात दे (21)
और जब मदियन की तरफ़ रुख़ किया (और रास्ता मालूम न था) तो आप ही आप बोले
मुझे उम्मीद है कि मेरा परवरदिगार मुझे सीधे रास्ता दिखा दे (22)
और (आठ दिन फाक़ा करते चले) जब शहर मदियन के कुओं पर (जो शहर के बाहर था)
पहुँचें तो कुओं पर लोगों की भीड़ देखी कि वह (अपने जानवरों को) पानी पिला
रहे हैं और उन सबके पीछे दो औरतो (हज़रत शुएब की बेटियों) को देखा कि वह
(अपनी बकरियों को) रोके खड़ी है मूसा ने पूछा कि तुम्हारा क्या मतलब है वह
बोली जब तक सब चरवाहे (अपने जानवरों को) ख़ूब छक के पानी पिला कर फिर न
जाएँ हम नहीं पिला सकते और हमारे वालिद बहुत बूढे़ हैं (23)
तब मूसा ने उन की (बकरियों) के लिए (पानी खीच कर) पिला दिया फिर वहाँ से
हट कर छांव में जा बैठे तो (चूँकि बहुत भूक थी) अर्ज़ की परवरदिगार (उस
वक़्त) जो नेअमत तू मेरे पास भेज दे मै उसका सख़्त हाजत मन्द हूँ (24)
इतने में उन्हीं दो मे से एक औरत शर्मीली चाल से आयी (और मूसा से) कहने
लगी-मेरे वालिद तुम को बुलाते हैं ताकि तुमने जो (हमारी बकरियों को) पानी
पिला दिया है तुम्हें उसकी मज़दूरी दे ग़रज़ जब मूसा उनके पास आए और उनसे
अपने किस्से बयान किए तो उन्होंने कहा अब कुछ अन्देशा न करो तुमने ज़ालिम
लोगों के हाथ से नजात पायी (25)
(इसी असना में) उन दोनों में से एक लड़की ने कहा ऐ अब्बा इन को नौकर रख
लीजिए क्योंकि आप जिसको भी नौकर रखें सब में बेहतर वह है जो मज़बूत और
अमानतदार हो (26)
(और इनमें दोनों बातें पायी जाती हैं तब) शुएब ने कहा मै चाहता हूँ कि
अपनी दोनों लड़कियों में से एक के साथ तुम्हारा इस (महर) पर निकाह कर दूँ
कि तुम आठ बरस तक मेरी नौकरी करो और अगर तुम दस बरस पूरे कर दो तो तुम्हारा
एहसान और मै तुम पर मेहनत मशक्क़त भी डालना नही चाहता और तुम मुझे इन्शा
अल्लाह नेको कार आदमी पाओगे (27)
मूसा ने कहा ये मेरे और आप के दरम्यिान (मुहाएदा) है दोनों मुद्दतों मे
से मै जो भी पूरी कर दूँ (मुझे एख़्तियार है) फिर मुझ पर जब्र और ज़्यादती
(देने का आपको हक़) नहीं और हम आप जो कुछ कर रहे हैं (उसका) ख़ुदा गवाह है
(28)
ग़रज़ मूसा का छोटी लड़की से निकाह हो गया और रहने लगे फिर जब मूसा ने
अपनी (दस बरस की) मुद्दत पूरी की और बीवी को लेकर चले तो अँधेरी रात जाड़ों
के दिन राह भूल गए और बीबी सफ़ूरा को दर्द ज़ेह शुरु हुआ (इतने में)
कोहेतूर की तरफ़ आग दिखायी दी तो अपने लड़के बालों से कहा तुम लोग ठहरो मैने
यक़ीनन आग देखी है (मै वहाँ जाता हूँ) क्या अजब है वहाँ से (रास्ते की)
कुछ ख़बर लाऊँ या आग की कोई चिंगारी (लेता आऊँ) ताकि तुम लोग तापो (29)
ग़रज़ जब मूसा आग के पास आए तो मैदान के दाहिने किनारे से इस मुबारक जगह
में एक दरख़्त से उन्हें आवाज़ आयी कि ऐ मूसा इसमें शक नहीं कि मै ही
अल्लाह सारे जहाँ का पालने वाला हूँ (30)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
15 अगस्त 2022
मै तुमसे ख़ैरख़्वाहाना (भलाइ के लिए) कहता हूँ ग़रज़ मूसा वहाँ से उम्मीद व बीम की हालत में निकल खडे़ हुए और (बारगाहे ख़़ुदा में) अर्ज़ की परवरदिगार मुझे ज़ालिम लोगों (के हाथ) से नजात दे
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)