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07 जुलाई 2022

जीवन भर लोगों के लिए जिये, और मृत्यु बाद आँखें भी दान कर गये

  जीवन भर लोगों के लिए जिये, और मृत्यु बाद  आँखें भी दान कर गये 

2. जीते जी भी की समाज सेवा , मरणोपरांत भी नेत्रदान


इस जीवन में कुछ लोग ऐसे होते हैं,जिनका पूरा जीवन ही समाज सेवा के क्षेत्र में लगा होता है । ऐसा ही एक नाम था अजंता फोटो स्टूडियो के मालिक श्रीमान आनंद कुमार रंगवानी जी का जिनका आज सुबह सिंधी कॉलोनी,वल्लभ नगर, स्थित निवास पर आकस्मिक निधन हो गया ।

उनकी मृत्यु की सूचना पर सिंधी समाज एवं व्यापार मंडल के कई गणमान्य नागरिक उनके निवास पर इकट्ठे हो गए उनके बेटे मनीष कुमार रंगवानी भी,अपने पिता के सामाजिक कार्यों से काफी प्रेरित थे,उन्होंने अपने पिता को हमेशा दूसरों की मदद करते और साधु संतों की सेवा करते ही देखा, उन्होंने स्वयं अपने घर के पास ही अपने पिता स्व० भाई श्री हरिराम जी के नाम से गुरुद्वारा भी बना रखा था । आनंद जी की मृत्यु होते ही, मनीष जी ने तुरंत ही शाइन इंडिया फाउंडेशन की ज्योति मित्र रेणु साँखला को पिताजी के नेत्रदान के लिए फोन किया । 

आनंद जी पिछले 3 वर्षों से अपने बेटे को कह रहे थे कि, जब भी कभी मेरी मृत्यु होती है, व्यर्थ शोक में समय मत बिगाड़ना, और समय रहते मेरे नेत्रदान का कार्य जरूर करवाना ।  आनंद जी का जैसा नाम था, उसी तरह से उनसे जो भी लोग मिलते थे,वह काफी खुश होकर जाते थे । उनके पास कोई भी व्यक्ति तकलीफ या दुख लेकर आता था,उसका वह तुरंत ही निवारण कर देते थे,चाहे वह स्वयं किसी तरह की परेशानी में क्यों न हो, पर दूसरों की सेवा कर उनको जो सुकून मिलता था, वह आनंद के रूप में सदा उनके चेहरे पर रहता था ।


रेणु जी की सूचना पर ईबीएसआर कोटा चैप्टर के टेक्नीशियन और शाइन इंडिया फाउंडेशन के सदस्यों ने,रंगवानी परिवार के सभी सदस्यों व समाज के गणमान्य नागरिकों श्री नरेंद्र सिंह,श्री बाबूलाल पंजवानी, श्री विमल परियानी, श्री बी एस झाला, व डॉ जे पी आहूजा के बीच नेत्रदान की प्रक्रिया को संपन्न किया ।

ईबीएसआर कोटा चैप्टर के अध्यक्ष डॉक्टर के के कंजोलिया ने बताया कि,एक समय था जब शोकाकुल परिवार के सदस्यों को पुण्यात्मा के नेत्रदान करवाने के लिए समझाइश करने में काफी जोर लगता था,परंतु आज संभाग भर की सामाजिक संस्थाओं के साथ सम्मिलित रूप से जागरूकता अभियान आयोजित करने से,शोकाकुल परिवार भी नेत्रदान की अहमियत को अच्छे से समझने लगे हैं ।  सभी के मन में यह भाव रहता है की, पुण्य-आत्मा के नेत्रों से अंधेरी दुनिया का दुखः भोग रहे दृष्टि-बाधित लोगों की आँखों में रौशनी आ सकें ।

शाइन इंडिया के डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि संस्था के जागरूकता अभियान के सहयोग व संकलन से वर्ष 2022 के बीते 6 माह में 230 नेत्रों का संकलन किया जा चुका है ।

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