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06 जनवरी 2022

काफ़ी विरोध हुआ,नज़रबंद किया,पर बेटे ने पिता के देहदान की इच्छा को पूरा किया

 

*काफ़ी विरोध हुआ,नज़रबंद किया,पर बेटे ने पिता के देहदान की इच्छा को पूरा किया*

*एक देहदान ऐसा भी,जिसके लिये बेटे ने पूरे गाँव समाज का विरोध सहा,एक महीना नज़रबंद रखा*

*बेटे ने पूरे गाँव समाज का विरोध सहा,गालियां खाई,पर पिता का देहदान कराया*


हम किसान हैं,तो एक एक अनाज के दाने की कीमत को अच्छे से जानते है,उसी तरह हमारे शरीर का भी एक एक अंग बेशकीमती है,फिर कैसे इस बेशकीमती शरीर को व्यर्थ जला दें । हमारी मृत देह भी,चिकित्सा पद्धति को आगे बढ़ाने के लिये काम आ सकती है । यह विचार थे नागौर जिले के मेड़ता  तहसील के छोटे से गाँव ढावा के रहने वाले श्री पाबूराम बाखर के । 

88 वर्षीय,किसान पाबूराम शांत सरल स्वभाव के धनी थे । ईश्वर में आस्था रखने वाले और सभी तरह की रुढ़िवादीता से बहुत दूर रहने वाले पाबूराम जी काफ़ी समय से देहदान का संकल्प लेना चाह रहे थे,परन्तु ग्रामीण क्षेत्र में इसके बारे में न तो पूरी तरह से किसी को कोई जानकारी है,न कहीं कोई फॉर्म की उपलब्धता । 6 माह पहले इन्होंने अपने पुत्र नेमाराम जी के माध्यम से यह देहदान संकल्प पत्र शाइन इंडिया फाउंडेशन से प्राप्त कर भर कर सौंपा था । तभी से उनकी देहदान संकल्प की इच्छा पूरी हुई,तब से वह काफ़ी खुश थे,अपने से जुड़े सभी लोगों को वह अपने देहदान संकल्प के बारे में बताते रहते थे, और उनको भी कहते थे,मरने से पहले कुछ ऐसा काम कर जाओ,की जब दुनिया से जाओ तो कोई दुख: न रहें ।

8 नवंबर को देहदान के लिए संकल्पित पाबूराम जी का निवास स्थान पर ही शाम 8:00 बजे आकस्मिक निधन हो गया था,उनकी अंतिम इच्छा देहदान की थी, तो उनके बेटे नेमाराम बाख़र ने तुरंत ही शाइन इंडिया के संस्थापक डॉ कुलवंत गौड़ को संपर्क किया, नेमाराम ने कहा कि पिताजी का देहांत हो गया है और अब हमें उनकी मृत देह का दान मेडिकल कॉलेज को करना है । पूरी बात सुनने के बाद डॉ गौड़ उनको कुछ जरूरी जांच दो फोटोग्राफ, दो गवाहों और मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ गाँव से 100 किलोमीटर दूर जोधपुर के लिये पार्थिव शव को लेकर रवाना होने को कहा । 

इस बीच में डॉक्टर गौड़ ने जोधपुर के एम्स मेडिकल कॉलेज और डॉक्टर संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज में एनाटॉमी विभाग में संपर्क कर लिया । उधर जैसे ही गांव से नेमाराम जी अपने पिताजी का पार्थिव शव लेकर जोधपुर मेडिकल कॉलेज के लिए रवाना होने लगे तो गांव के कुछ करीबी रिश्तेदारों ने उनको वहीं से रोकना चालू कर दिया वह नहीं चाहते थे कि, देहदान हो । रिश्तेदारों का कहना था कि आज तक कभी अपने गांव में और समाज में ऐसा नहीं हुआ हो कि किसी की मृत्यु हो और उसको पंचतत्व में विलीन ना किया गया हो, परंतु नेमाराम ने उनकी एक न सुनी और वह एंबुलेंस में अपने पिताजी का पार्थिव शव लेकर रवाना हो गया । पीछे पीछे गांव से एक दो गाड़ियां रिश्तेदारों की भी लग गयी ,जो रास्ते भर नेमाराम को देहदान न करने के लिये रोकती रही,पर नेमाराम ने एक नहीं सुनी,आखिर देर रात 1:00 बजे पाबूराम जी का पार्थिव शव एम्स मेडिकल कॉलेज के एनाटोमी डिपार्टमेंट को दान कर दिया गया ।

अपने पिता का देहदान करने के उपरांत जब नेमाराम अपने गांव वापस आया, तो गांव के सभी लोगों ने न सिर्फ उस को गालियां दी,बल्कि उसके साथ धक्का-मुक्की भी की और उसको 1 माह के लिए एक कमरे में बंद कर दिया, सिर्फ दो वक्त की रोटी गेट खोल कर देते थे और वापस गेट बंद कर देते थे इस तरह से पूरे 20 दिन उन्होंने बिना किसी से बात किये और बिना किसी से मिले निकालें ।

अब जब धीरे धीरे गांव के सारे लोगों में देहदान की घटना का गुस्सा कम हुआ,तब जाकर नेमाराम से दोबारा संपर्क हुआ और उनके कहने के उपरांत ही समाचार पत्रों को यह खबर देने के लिए कहा गया,जिससे कि सभी लोग इस खबर को पढ़कर देहदान के प्रति जागरूक हो । नेमाराम जी का कहना है कि,हमारे समाज में देह दान के प्रति अभी लोग जागरुक नहीं है,मैं देहदान के लिए काम करने के लिए काफी उत्सुक हूं और मैं चाहता हूं कि मेरे पिताजी की तरह समाज के ऐसे कई लोग हैं जो देहदान करना चाहते हैं परंतु उनको सही जानकारी और सही तरीका नहीं पता है,परंतु अब मैं शाइन इंडिया फाउंडेशन का एक प्रतिनिधि हूं और जब तक जीवित हूं देहदान के लिए कार्य करता रहूंगा ।

उसके साथ ही मैं संस्था सदस्यों का धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने मुझे उचित समय पर उचित मार्गदर्शन देखकर यह पुण्य कार्य में जो सहयोग किया उससे मेरे समाज में पहली बार यह देहदान का पुण्य कार्य संपन्न हो पाया है,यदि संस्था के लोग मुझे मुसीबत के समय नहीं संभालते और मेरा मार्गदर्शन नहीं करते तो शायद यह देहदान का कार्य संभव नहीं हो पाता, अब जाकर गांव के लोग समाज के प्रतिनिधि और करीबी रिश्तेदार बात करने लगे हैं परंतु परंतु पिताजी के बताए हुए संस्कार मुझमें है और मैं यह देह दान के बारे में अपने समाज में जब तक लोगों को जागरूक नहीं करूंगा तब तक चुप बैठने वाला नहीं ।


डॉ कुलवंत गौड़
8386900102

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