कोर्ट
में सुनवाई के दौरान जब , जज साहिब की टिप्पणी , फैसले या आदेश का हिस्सा
नहीं होती, तो क्या ऐसी टिप्पणी का कोई न्यायिक हक़ है , न्याय के देवता ने
सुनवाई में जो महसूस किया , वो ऑर्डर शीट पर होना ही चाहिए , बार कौंसिल ,
पूर्व न्यायाधीश साहिब क्या कहते है , सियासत ओर न्यायिक वार्तालाप में
फर्क तो होना ही चाहिए , अख्तर
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
06 मई 2021
कोर्ट में सुनवाई के दौरान जब , जज साहिब की टिप्पणी
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