ऐ ईमानदारों जब पैग़म्बर से कोई बात कान में कहनी चाहो तो कुछ ख़ैरात अपनी
सरगोशी से पहले दे दिया करो यही तुम्हारे वास्ते बेहतर और पाकीज़ा बात है
पस अगर तुमको इसका मुक़दूर न हो तो बेशक ख़ुदा बड़ा बख़्षने वाला मेहरबान
है (12)
(मुसलमानों) क्या तुम इस बात से डर गए कि (रसूल के) कान में बात कहने से
पहले ख़ैरात कर लो तो जब तुम लोग (इतना सा काम) न कर सके और ख़ुदा ने
तुम्हें माफ़ कर दिया तो पाबन्दी से नमाज़ पढ़ो और ज़कात देते रहो और ख़ुदा
उसके रसूल की इताअत करो और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे बाख़बर है (13)
क्या तुमने उन लोगों की हालत पर ग़ौर नहीं किया जो उन लोगों से दोस्ती
करते हैं जिन पर ख़ुदा ने ग़ज़ब ढाया है तो अब वह न तुम मे हैं और न उनमें
ये लोग जानबूझ कर झूठी बातो पर क़समें खाते हैं और वह जानते हैं (14)
ख़ुदा ने उनके लिए सख़्त अज़ाब तैयार कर रखा है इसमें शक नहीं कि ये लोग जो कुछ करते हैं बहुत ही बुरा है (15)
उन लोगों ने अपनी क़समों को सिपर बना लिया है और (लोगों को) ख़ुदा की राह से रोक दिया तो उनके लिए रूसवा करने वाला अज़ाब है (16)
ख़ुदा सामने हरगिज़ न उनके माल ही कुछ काम आएँगे और न उनकी औलाद ही काम आएगी यही लोग जहन्नुमी हैं कि हमेशा उसमें रहेंगे (17)
जिस दिन ख़ुदा उन सबको दोबार उठा खड़ा करेगा तो ये लोग जिस तरह तुम्हारे
सामने क़समें खाते हैं उसी तरह उसके सामने भी क़समें खाएँगे और ख़्याल करते
हैं कि वह राहे सवाब पर हैं आगाह रहो ये लोग यक़ीनन झूठे हैं (18)
शैतान ने इन पर क़ाबू पा लिया है और ख़ुदा की याद उनसे भुला दी है ये लोग
शैतान के गिरोह है सुन रखो कि शैतान का गिरोह घाटा उठाने वाला है (19)
जो लोग ख़ुदा और उसके रसूल से मुख़ालेफ़त करते हैं वह सब ज़लील लोगों में हैं (20)
ख़ुदा ने हुक़्म नातिक दे दिया है कि मैं और मेरे पैग़म्बर ज़रूर ग़ालिब रहेंगे बेशक ख़ुदा बड़ा ज़बरदस्त ग़ालिब है (21)
जो लोग ख़ुदा और रोज़े आख़ेरत पर ईमान रखते हैं तुम उनको ख़ुदा और उसके
रसूल के दुश्मनों से दोस्ती करते हुए न देखोगे अगरचे वह उनके बाप या बेटे
या भाई या ख़ानदान ही के लोग (क्यों न हों) यही वह लोग हैं जिनके दिलों में
ख़ुदा ने इमान को साबित कर दिया है और ख़ास अपने नूर से उनकी ताईद की है
और उनको (बहिश्त में) उन (हरे भरे) बाग़ों में दाखिल करेगा जिनके नीचे नहरे
जारी है (और वह) हमेशा उसमें रहेंगे ख़ुदा उनसे राज़ी और वह ख़ुदा से ख़ुश
यही ख़ुदा का गिरोह है सुन रखो कि ख़ुदा के गिरोग के लोग दिली मुरादें
पाएँगे (22)
सूरए अल मुजादलह ख़त्म
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