आपका-अख्तर खान

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06 मई 2021

अगर हम चाहें तो उसे खारी बना दें तो तुम लोग शुक्र क्यों नहीं करते

 अगर हम चाहें तो उसे खारी बना दें तो तुम लोग शुक्र क्यों नहीं करते (70)
तो क्या तुमने आग पर भी ग़ौर किया जिसे तुम लोग लकड़ी से निकालते हो (71)
क्या उसके दरख़्त को तुमने पैदा किया या हम पैदा करते हैं (72)
हमने आग को (जहन्नुम की) याद देहानी और मुसाफिरों के नफ़े के (वास्ते पैदा किया) (73)
तो (ऐ रसूल) तुम अपने बुज़ुर्ग परवरदिगार की तस्बीह करो (74)
तो मैं तारों के मनाजि़ल की क़सम खाता हूँ (75)
और अगर तुम समझो तो ये बड़ी क़सम है (76)
कि बेशक ये बड़े रूतबे का क़ुरआन है (77)
जो किताब (लौहे महफूज़) में (लिखा हुआ) है (78)
इसको बस वही लोग छूते हैं जो पाक हैं (79)
सारे जहाँ के परवरदिगार की तरफ से (मोहम्मद पर) नाजि़ल हुआ है (80)

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