(ऐ दोनों गिरोहों) हम अनक़रीब ही तुम्हारी तरफ़ मुतावज्जे होंगे (31)
तो तुम दोनों अपने पालने वाले की किस किस नेअमत को न मानोगे (32)
ऐ गिरोह जिन व इन्स अगर तुममें क़ुदरत है कि आसमानों और ज़मीन के
किनारों से (होकर कहीं) निकल (कर मौत या अज़ाब से भाग) सको तो निकल जाओ
(मगर) तुम तो बग़ैर क़ूवत और ग़लबे के निकल ही नहीं सकते (हालाँकि तुममें न
क़ूवत है और न ही ग़लबा) (33)
तो तुम अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत को झुठलाओगे (34)
(गुनाहगार जिनों और आदमियों जहन्नुम में) तुम दोनो पर आग का सब्ज़ शोला
और सियाह धुआँ छोड़ दिया जाएगा तो तुम दोनों (किस तरह) रोक नहीं सकोगे
(35)
फिर तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे (36)
फिर जब आसमान फट कर (क़यामत में) तेल की तरह लाल हो जाऐगा (37) तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से मुकरोगे (38)
तो उस दिन न तो किसी इन्सान से उसके गुनाह के बारे में पूछा जाएगा न किसी जिन से (39)
तो तुम दोनों अपने मालिक की किस किस नेअमत को न मानोगे (40)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
23 अप्रैल 2021
(ऐ दोनों गिरोहों) हम अनक़रीब ही तुम्हारी तरफ़ मुतावज्जे होंगे (31)
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