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05 जुलाई 2020

कहने को आज पूर्णिमा का गुरु दिवस , गुरु पूर्णिमा गुरुओं का दिवस उर्फ शिक्षक दिवस है ,, इस दिवस पर मेरे महागुरु वालिद हाजी असगर अली की बरसी पुण्यतिथि भी है

कहने को आज पूर्णिमा का गुरु दिवस , गुरु पूर्णिमा गुरुओं का दिवस उर्फ शिक्षक दिवस है ,, इस दिवस पर मेरे महागुरु वालिद हाजी असगर अली की बरसी पुण्यतिथि भी है , नम आंखों में बस उनकी दी हुई शिक्षा , उनकी सीख बाकी है जिसे हम उनकी याद बनाकर जी रहे है , , अल्लाह सब के गुरुओं को सलामत रखे , व्यावसायिकता से दूर रख कर , चेलों को हर तरह के फन की सीख दें , कोई द्रोणाचार्य नहीं बने , एकलव्य के ज़्यादती न हो , गुरु गुरुवर , जीवनशैली में अंगीकार योग्य रहें ,, यानी ऊँगली पकड़ कर चलाना ,कुछ सिखाना ,इसी की प्रेरणा ,,,गुरु दिवस ,शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाती है ,कोटा की तो छोड़िये ,यहां शिक्षा एक व्यापार है ,कोचिंग गुरु के नाम से व्यापारी बैठे है ,उन्हें शिक्षक कहने की जगह शैक्षणिक उद्योगपति कहे तो ठीक है ,खेर ,सबका अपना अपना ज़मीर ,अपनी अपनी स्वतंत्रता ,अपना व्यवसाय है ,इसमें कोई टिप्पणी बेमानी है ,,लेकिंन में आज खुश हूँ ,के मुझे मेरी अम्मी जान रशीदा खानम ,पहली गुरु,, शिक्षिका के रूप में मिली ,जिन्होंने मुझे घुटनों के बल चलना सिखाया ,फिर मुझे ऊँगली पकड़ कर चलना ,दौड़ना सिखाया ,,फिर ,,एक समारोह के साथ बिस्मिल्लाह हिर्राहमा निर्रहीम का सबक़ सिखाकर , पहला कलमा , ला इलाहा , इलल्लाह ,मोहमदुर रसूलअल्लाह बढ़ना सिखाया , दीनी तरबियत दी ,क़ुरआन शरीफ की तालीम दी ,मुझे स्कूल में दाखिला दिलाया , जहाँ मेडम सहानी ने सेंट्र्ल स्कूल में ,शिक्षा की शुरुआत की ,,मेरे वालिद मरहूम हाजी असगर अली ने मुझे ,,नेकी का सबक़ दिया ,प्लानर बनकर ,ज़िंदगी जीने का सबक़ दिया , तो मुझे मेरा निशानेबाज़ी का शोक पूरा करने के लिए , मुझे ,बंदूक फायरिंग ,पिस्टल फायरिंग का निशानची बनाने में ,, बहुत कामयाब कोशिशें की ,, उनका कहा आज भी याद है ,सिर्फ टारगेट देखो ,घबराओ नहीं ,टारगेट पर वार करो ,टारगेट ध्वस्त एक ही निशाने में होकर रहेगा ,, बस आज उनकी यादे ,उनकी सीख शेष है ,, आज गुरु पूर्णिमा , गुरु दिवस ओर मेरे इस महागुरु वालिद की बरसी , पुण्यतिथी भी है ,मेरी बढ़ी बहन , रफत अनीस ,,उर्फ़ परी बेगम ,, मेरी दूसरी शिक्षिका है ,जिन्होंने स्कूल की किताबें खोलना सिखाई ,फिर मेरे मामा ,कंस मामा नौशे खान ने मुझे होमवर्क करना सिखाया ,, मेरी छोटी बहन कमांडर नाज़िमा खानम उर्फ़ निम्मी ने ,मुझे वादविवाद करना सिखाया ,, मेरे छोटे मामा साबिर खान ने मुझे ,गुस्सा करना ,, मुक़ाबला करना सिखाया ,जबकि मेरे ताया ,अच्छन साहिब ने ,मुझे सियासत के बारे में समझाया ,,, मेरी पत्रकारिता के उस्ताद ओम नारायण सक्सेना रहे ,जबकि इसे तराशने में ,भंवर शर्मा अटल ,मेरे पत्रकारिता के दूसरे उस्ताद रहे ,,मेरी वकालत के गुरु आदरणीय जमील एडवोकेट है ,जिन्होंने मुझे क़ानून की क ख ग सिखाई ,, मेरे अज़ीज़ दोस्त हमदर्द भाई एडवोकेट आबिद अब्बासी ,दुनियादारी से निपटने ,दुनियादारी निभाने के उस्ताद बने ,तो ,मेरी शरीक ऐ हयात ,, गुस्सा कैसे पीते है ,डांट सुनकर भी कैसे चुप रहते है ,, झल्लाहट कैसे बर्दाश्त करते है , सही होने पर भी गलत होना कैसे सुनते है , वोह सब सिखाने वाली गुरु बनी ,, मेरे वली अहद ,इंजीनियर शाहरुख खान ,,ने मुझे ब्लॉग लिखने के लिए इंटरनेट पर गुगल ट्रांस्लिट्रेशन का गुरु बनकर ,मुझे सोशल मीडिया में काम करना सिखाया , ,तो मेरी बिटिया डॉक्टर जवेरिया अख्तर ने मुझे हमदर्दी सिखाई ,,बीवी से सलीक़े से पेश आने की सीख दी ,और मेरी गुरुओं की भी महागुरु बिटिया सदफ का तो क्या कहूं ,, वोह तो आज भी मेरे कान उमेठती है ,रोज़ तरकीब से मुझे पाठ पढ़ाती है ,,, वोह मेरी माहगुरु है ,, मेरे छोटे भाई परवेज़ ने भी मुझे बहुत कुछ सिखाया है ,,,लेकिन एक हिडन गुरु मेरी और है ,जिनके बारे में में क्यों बताऊँ ,,,??? हां हां हां हां ,वैसे अख़लाक़ के गुरु ,इस्लाम के गुरु प्रोफेट मोहम्मद सल्लाह ऐ वस्सल्लम है जबकि इस्लामिक गुरु कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद ,,मरहूम मास्टर नज़ीर साहब भी रहे है ,,भगवत गीता के गुरु ऍन के गुप्ता ,तो रामायण के गुरु शर्मीला जी रही ,जबकि महाभारत के गुरु कोई नहीं रहे और वेदों के गुरु भाई अर्जुन देव चड्डा आर्यसमाजी रहे ,सभी को मेरा सलाम ,सेल्यूट ,, हिडन गुरु को भी सेल्यूट ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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