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06 नवंबर 2018

राहुल गांधी संगठन के ज़िम्मेदार बनने के बाद ग्रेट से ग्रेटेस्ट हो गए

सियासत जिसकी विरासत हो,
सियासत जिसके खून में हो,
संगठन के राष्ट्रिय अध्यक्ष के नाते,
राहुल गांधी के लिए,
●देश
●देश की जनता ,
●संगठन के सिद्धांत और
●संगठन उसके लिए महत्वपूर्ण हो जाता है ,
वर्तमान हालातों में
●पैराशूटी लोगो से दूरी बनाकर ,
●संगठन,
●संगठन के ज़िम्मेदार
पदाधिकारियों को
नज़रअंदाज़ कर जो,
संगठन के ज़िम्मेदार
बनाये गए
लोगो ने कारगुज़ारियां
की है ,,
राहुल गाँधी ने राजस्थान सहित सभी राज्यों में हाल ही में हुए उनके सियासी दौरों के बाद जो हक़ीक़त जानी है ,
जो फीडबैक उन्हें मिला है,
उसके बाद प्रत्याक्षियों के चयन में,
संगठन की उपेक्षा कर,
मनमानी सूचियां तैयार करने वालों को भी
उन्होंने नहीं बख्शा है ,
संगठन का वुजूद मज़बूत करने वाला
उनका यह क़दम,
●कांग्रेस पदाधिकारियों ,
●कार्यकर्ताओं का सीना छप्पन इंच का करने के लिए काफी है,
●कांग्रेस का संविधान
—————————— ●दलित ,
●शोषित ,
●उत्पीड़ित ,
●महिलाओं के सम्मान ,
●पर्यावरण संरक्षण,
●सामजिक कुरूतियों,
●भूख
●गरीबी
●अत्याचार के खिलाफ
संघर्ष का है ,
● समाजवाद का है ,
●ईमानदारी का है,
●इसीलिए राजिव गाँधी हो,
इंद्रा गांधी हो ,
सभी के नेतृत्व में संगठन हमेशा सत्ता पर भारी रहा है,
कांग्रेस की सोच है ,
●संगठन के सदस्य होने के नाते ही
●व्यक्ति को सत्ता में भागीदार ,
●विधायक ,
●सांसद ,
●मंत्री बनाया जाता है ,
ऐसे में अगर वो
—संगठन को नज़र अंदाज़ कर ,
●कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करने लगे तो
●ऐसे लोगो को संगठन की कोई ज़रूरत नहीं है ,
●सत्ता में आने के बाद ,
●सत्ता जिनके हाथों में
संगठन देता है ,
-ऐसे लोग अगर
●कार्यकर्ताओं ,
●संगठन के पदाधिकारियों,
●आम जनता की उपेक्षा करते है तो उनके खिलाफ भी सर्वेक्षण करवाकर उन्हें नामज़द करने में
●राहुल गांधी पीछे नहीं हटे है ,
●संगठन के ,
●प्रभारियों पदाधिकारियों का दायित्व है,
— वो अगर किसी क्षेत्र में जाए तो पहले उस क्षेत्र के संगठन कार्यालय को सूचित करे ,
—वहां उपस्थिति दे ,
—कार्यकर्ताओं का दर्द सुने ,
—संगठन के निर्वाचित प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य ,
ब्लॉक अध्यक्ष ,
जिला अध्यक्ष सहित सभी अग्रिम संगठनों के पदाधिकारियों से
क्षेत्र का हाल जाने ,
कोई निर्वाचन के लिए अगर प्रभारी कोई सूचि तैयार करना चाहता है तो ,
ऐसी सूचि संगठन के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य,
ब्लॉक अध्यक्ष,
अग्रिम संगठनों के अध्यक्षों
वरिष्ठ कांग्रेस जनो की संयुक्त बैठक में परामर्श के बगैर
कोई पदाधिकारी अगर ऐसी सूचि तैयार करता है ,
●मनमानी हरकते करता है,
●बढ़ी बढ़ी गाड़ियों में घूमना ,
●विलासिता भोगी जीवन का दिखावा करना,
●कार्यकर्ताओं को सूचित किये बगैर आना जाना,
●उनकी उपेक्षा करना ,
●उनसे वक़्त देकर नहीं मिलना ,
यह सब संगठन को नुकसान पहुंचाने वाली बाते रही है ,
लेकिन संगठन सरकार से कहीं बढ़ा होता है ,
—संगठन के मूल्य सिद्धांत सर्वोपरि है ,
—देश की जनता का दर्द उससे भी सर्वोपरि है ,
●ऐसे में राहुल गांधी की हमेशा संगठन का काम देख रहे लोगो की
●कारगुज़ारियों पर भी क्रॉस वेरिफिकेशन वाले निगरानी रही है ,
आगे भी
●यह निगरानी ,
●परसनल सर्वेक्षण जारी है,
●संगठन की फूट पर वो,
आहत होते है ,लोगो को फिर गले मिलाते है,
इसीलिए तो वो-
●एक संवेदनशील ,
●ईमानदार ,
●बेबाक ,
●बिना लाग लपेट वाले
●एक मात्र #युवा_राष्ट्रिय_अध्यक्ष
के रूप में पहचान बना चुके है ,
●राहुल गांधी यही अदाए संगठन को मज़बूती दे रही है ,
●संगठन कार्यकर्ताओं,
पदाधिकारियों में
उत्सावर्धन और ऊर्जा का
संचार पैदा कर रही है,
जबकि वो खुद संगठन को
अपनी बपौती समझकर जेब में रखने वाले ,
सिर्फ जेबी लोगो तक ही अपनी पहुंच बनाये रखने वाले
कॉर्पोरेट स्टाइल धारकों को भी सबक़ सीखा रहे है,
इसीलिए कहते है कांग्रेस में रहना है तो कोंग्रेसी सिद्धांतो को पुनर्जीवित करते रहो,
दलीतों ,,पीड़ितों शोषितों ,
छत्तीस क़ौमों का दर्द जानो ,
●निष्पक्ष ,●निर्भीक रहकर ,
●प्रतिपक्ष की जनविरोधी हरकतों का मुक़ाबला करो,
●इसीलिए राहुल गांधी संगठन के ज़िम्मेदार बनने के बाद ग्रेट से ग्रेटेस्ट हो गए है ,
और देश उन्हें
●जनता के सच्चे हमदर्द ,
●एक तेज़तर्रार ,
●बेबाक रणनीतिकार के
रूप में अपना
—प्रधानमंत्री बनाने का सपना साकार करने के प्रयासों में जुट गया है।
©®#अख्तर_खान_अकेला कोटा राजस्थान।

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