हर रोज़ मुझे तुम
यूँ ही आज़माते हो ,,
हर रोज़ मुझे तुम
यूँ ही रुलाते हो ,,
कभी इंकार करते हो
तो कभी इलज़ाम लगाते हो ,
खेलते हो तुम
जज़्बातों से रोज़ मेरे
में मोहब्बत हूँ
कोई खिलौना नहीं ,,अख्तर
यूँ ही आज़माते हो ,,
हर रोज़ मुझे तुम
यूँ ही रुलाते हो ,,
कभी इंकार करते हो
तो कभी इलज़ाम लगाते हो ,
खेलते हो तुम
जज़्बातों से रोज़ मेरे
में मोहब्बत हूँ
कोई खिलौना नहीं ,,अख्तर
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