आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

14 अप्रैल 2017

हर रोज़ मुझे तुम

हर रोज़ मुझे तुम
यूँ ही आज़माते हो ,,
हर रोज़ मुझे तुम
यूँ ही रुलाते हो ,,
कभी इंकार करते हो
तो कभी इलज़ाम लगाते हो ,
खेलते हो तुम
जज़्बातों से रोज़ मेरे
में मोहब्बत हूँ
कोई खिलौना नहीं ,,अख्तर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...