दोस्तों अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्यसमाज के प्रमुख प्रचारक ,,वैदिक वेदों
की शिक्षा अभियान के शिक्षक ,,,एक प्रमुख चिंतक ,,समाजसेवी ,,मज़दूर
,,प्रंबधकों के कुशल समन्वयक ,,एड्स बचाओ अभियान के प्रमुख प्रचारक
,,पत्रकार ,,,भाई अर्जुन देव चड्डा कोटा की वोह शख्सियत है ,,जिनकी पहचान
,,राजस्थान ही नहीं ,,पुरे हिंदुस्तान में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय
स्तर पर देश विदेश में भी है ,,यह कोटा के गौरव है ,,कोटा की प्रमुख
शख्सियत है ,,जी हाँ दोस्तों ,,एक अर्जुन ,,जिसका निशाना सिर्फ और सिर्फ
समाजसेवा ,,लोगों की मदद ,,समाज में सुधार करना ही प्रमुख लक्ष्य है ,,और
इस अर्जुन को ,,,सेवाकार्यों के लिए ,,देवीय शक्ति भी मिली है ,,,इसीलिए तो
यह अर्जुन ,,हर वक़्त हर समय ,,सिर्फ और सिर्फ मानवता की सेवा में जुटकर
,,लोगों में लोकप्रिय हो गए है ,,जी हाँ दोस्तों में बात कर रहा हूँ
पाकिस्तान के जिला केलमपुर में जन्मे हर दिल अज़ीज़ अर्जुन देव चड्ढा साहब की
जिनकी जन्म भूमि चाहे पाकिस्तान हो लेकिन उनकी कर्मभूमि हिंदुस्तान बनी
,,,,और इसीलिए अर्जुन देव चड्ढा हैवानियत के खिलाफ इंसानियत के लिए संघर्ष
कर रहे है ,,,दुश्मनी के खिलाफ दोस्ती की जंग लड़ रहे है ,,मुसीबतो के खिलाफ
खुशियो की ,,खिदमत की ,,मदद की जंग लड़ रहे है ,,,,,,कभी इन्हे गुब्बारे
वाले अंकल कहा जाता है ,,तो कभी चोक्लेट वाले दादा जी कहा जाता है ,,तो कभी
इन्हे आर्यसमाजी खिदमतगार कहा जाता है ,,कभी इन्हे लेखक ,,कभी इन्हे
पत्रकार ,,तो कभी इन्हे श्रमिक नेता ,,,तो कभी इन्हे प्रकृतिक चिकित्स्क
,,तो कभी इन्हे एक सेवक कहा जाता है ,,बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी
,,अर्जुन देव चढ्ढा अपनी इन्हे प्रतिभाओ के चलते बेहिसाब इनामात ले चुके है
,,बेहिसाब पगड़ियाँ इनके सर पर कामयाबी की बाँधी गई है ,,,लाखो लोग इनकी
खिदमत के साक्षी बने है ,,,,अर्जुन देव चढ्ढा के पिता श्री रामलाल चड्ढा
सुसंस्कारित आर्यसमाजी थे ,,इसीलिए इन्हे आर्यसमाज के संस्कार ,,खिदमत ऐ
ख़ल्क़ की खिदमत का जज़्बा विरासत में मिले है ,,,,पहले इनकी आजीविका जीवन
राणाप्रताप सागर से शुरू हुआ फिर अरजून देव चढ्ढा डी सी एम कोटा में आ गए
,,,अर्जुन देव चड्ढा आर्य समाज के प्रचारक रहे है ,,वोह लोगों में वेदो के
प्रति शैक्षणिक जागृति के लिए वेद बांटते है ,,आर्यसमाज का साहित्य और
विचार बांटते है ,,खुद को उन्होंने आर्यसमाजी विचारक ,,खिदमतगार ऐसा बना
लिया है के उनकी जीवनशैली ,,कामकाज के तोर तरीक़ो में सिर्फ और सिर्फ
आर्यसमाज का मुखोटा नज़र आता है ,,एक ईमानदारी ,,एक संघर्ष ,,एक मिठास ,,एक
मधुरता ,,एक राष्ट्रभक्ति ,,सेवाभाव का जज़्बा ,,एक विचारक ,,,हर खूबी इनमे
कूट कूट कर भरी नज़र आती है ,,,यह चलते फिरते आर्यसमाज है ,,,,शादियों में
दहज़ का विरोध ,,,,दफ्तरों में रिश्वत का विरोध ,,समाज में नफरत का विरोध
,,,,,जानवरो से प्रेम ,,दुश्मन को दोस्त बनाने का हुनर इनकी फितरत रही है
,,अर्जुन देव चढ्ढा कोटा आर्यसमाज के पदाधिकारी के साथ साथ वर्तमान में
राजस्थान आर्यसमाज के उपाध्यक्ष है ,,देश के कई महत्वपूर्ण पदो पर यह
निर्वाचित रह चुके है ,,डी सी एम के श्रमिको को इन्होने बिना किसी हड़ताल
,,बिना किसी आंदोलन के मुंह माँगा लाभ दिलवाकर यह उदाहरण पेश किया है के
श्रमिको को अपने हक़ के लिए संघर्ष की नहीं ,,मालिकों का दिल जीतकर उन्हें
खुशकर ,,अपना बनाकर ,, अपने हक़ से ज़्यादा लाभ कैसे हांसिल किया जा सकता है
,,अर्जुन देव चढ्ढा ने दक्षिणी अफ्रीका ,,हॉलैंड ,,डरबन सहित कई प्रमुख
विदेशी शहरो में भी अपनी समाजसेवा और आर्यसमाज के प्रचार की अलख जगाई है
,,,अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अर्जुन देव चढ्ढा ने आर्यसमाज विचार और
समाजसेवा को ज़िंदाबाद कहा है ,,,,अर्जुन देव चड्ढा जब हिंदुस्तान में एड्स
के प्रति लोगों को जागरूक करते थे और वोह वेश्यावृत्ति में लगी महिलाओ को
गुब्बारे बांटते थे तो गुब्बारे वाले अंकल कहलाते थे ,, एड्स को कैसे
सक्रमण से रोक जाए इसके जागरूकता कार्यक्रम के ब्रांड एम्बेसेडर बन गए
,,फिर नशामुक्ति कार्यक्रम की जागरूकता में अव्वल रहे ,,सामाजिक बुराइया
,,दहेज़ प्रथा ,,मृत्युभोज ,,फ़िज़ूलखर्ची ,,भ्रष्टाचार ,,काम में ढीलाई
,,साम्प्रदायिकता का ज़हर इन सभी के खिलाफ अर्जुन देव चड्ढा ने कामयाब जंग
लड़ी है ,,,अपराधी लोगों को अपराध मुक्त कर उन्हें सुधार का संदेश देना
,,नफरत से अलग अलग हुए दो भाइयो या पड़ोसियों को प्यार का संदेश देकर फिर से
एक कर गले मिलाना इनका मक़सद रहा है ,,बच्चो में यह चॉकलेट वाले अंकल
कहलाते है ,,तो महिलाओ में इंसाफ के पुजारी के नाम से इन्हे जाना जाता है
,,अर्जुन देव चढ्ढा जिन्हे देखते है श्रद्धा ,,,,और प्यार से लोगों का सर
झुक जाता है ,,ऐसी शख्सियत जब क़लम उठाती है तो मोहब्बत और प्यार के जुमले
लिखकर समाज में सुधार का काम ,,बुराई के खिलाफ भलाई के लिए इंक़लाब का काम
करती है ,,,विकलांग ,,विधुर ,,विधवा ,,,,यतीम बच्चे ,,, कुष्ठ रोगी ,असाध्य
बीमारियो से पीड़ित लोग ,,सर्दी में ठिठुरते लोग ,,,झोपड़ियो में सुविधाओं
को तरसते लोग ,,किसी भी पीड़ा से परेशान लोग सिर्फ और सिर्फ अर्जुन देव
चढ्ढा का इन्तिज़ार करते नज़र आते है ,,अर्जुन देव चड्ढा ,,मासिक पत्रिका
शहीद जगत के संपादक भी है तो कोटा प्र्रेस क्लब के फाउंडर सदस्यों में से
एक होने के कारण कोटा प्रेस क्लब के ईमानदाराना चुनाव के एक मात्र साक्षी
भी यही बनते है ,,,,,आर्य सेवा श्री से सम्मानित अर्जुन देव चढ्ढा ,,,,घर
घर जाते है ,,समस्याएं पूंछते है ,,,इनकी मधुरवाणी में इतना प्यार होता है
के सामने वाले की अधिकतम परेशानी तो इनके बोलने का प्यारा अंदाज़ ही हर लेता
है ,,,,,,देश विदेश में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हज़ारो हज़ार प्रुस्कार
प्राप्त करलेना इनके लिए सुकून की बात नहीं है ,,,यह तो जब किसी बिछड़े हुए
को मिलाते है ,,किसी रोते हुए को हँसाते है ,,किसी ठिठुरते शख्स को गर्म
कपड़े पहनाते है ,,,भूखे को रोटी खिलाते है ,,निरक्षर को पढ़ाते है ,,,,नफरत
में जुदा हुए लोगों को मिलाते है ,,,,असाध्य बीमारी से पीड़ित शक्स की खिदमत
कर जब यह उसे फिर से स्वस्थ करने में कामयाब हो जाते है तब इनके चेहरे की
मुस्कान किसी पद्मश्री ,,किसी नोबल पुरस्कार की जीत से कम नहीं होती है
,,अर्जुन देव चढ्ढा समाजसेवा का एक अनुकरणीय उदाहरण है
,,,,,,,,,,,,,,,,इन्हे बधाई मुबारकबाद ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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