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17 अगस्त 2015

मस्जिद में मोदी: कांग्रेस का तंज, मुस्लिम धर्मगुरु बोले- घरेलू मसले अभी न उठाएं

पीएम नरेंद्र मोदी रविवार को यूएई की शेख जायद मस्जिद में गए थे। यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मस्जिद है।
पीएम नरेंद्र मोदी रविवार को यूएई की शेख जायद मस्जिद में गए थे। यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मस्जिद है।
नई दिल्ली/अबू धाबी. पीएम बनने के बाद नरेंद्र मोदी रविवार को पहली बार किसी मस्जिद के अंदर गए। वह भी भारत में नहीं, बल्कि यूएई की शेख जायद मस्जिद में। वहां उन्होंने प्रोटोकॉल तोड़कर लोगों से मुलाकात की। लेकिन मस्जिद के दौरे से वे नेताओं के निशाने पर भी आ गए। उन पर तंज कसने वालों में सबसे पहले शामिल थे जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम। उन्होंने कहा- ‘मस्जिद में जाना मोदी के लिए टैराकोटा आर्मी वाला मोमेंट था।’ वहीं, कांग्रेस ने कहा- ‘कभी टोपी पहनने से इनकार करने वाले मस्जिद में गए।’ हालांकि, मुस्लिम धर्म गुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने इस पर कहा कि मोदी मुस्लिमों के करीब हैं या नहीं, यह घरेलू सियासी मसला है। इसे अभी उठाना सही नहीं है।
मोदी के मस्जिद जाने पर क्या आईं रिएक्शंस?
1. टैराकोटा आर्मी मोमेंट
जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा- ‘आबू धाबी की मस्जिद बड़ा टूरिस्ट अट्रैक्शन है। यह मोदी के लिए टैराकोटा आर्मी के मोमेंट जैसा था। न उससे ज्यादा, न उससे कम।’
मायने : मोदी ने मई में चीन दौरे के वक्त शियान में टैराकोटा आर्मी म्यूजियम का दौरा किया था। यहां उन्होंने सनग्लासेस पहन रखे थे। एक मूर्ति को छूते हुए उनकी फोटो भी आई थी जो काफी वायरल हुई थी।
2. अयोध्या का जिक्र
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने ट्वीट किया- वाह रे मोदी जी! भले ही भारत की मस्जिद में आप कभी नही गए लेकिन विदेश जाते ही आपको सर्वधर्म समभाव ज्ञान प्राप्त हो गया। भले ही भाजपाइयों ने अयोध्या में मंदिर के नाम पर पूरे देश को मूर्ख बनाया हो लेकिन दुबई में मोदी और भक्त मिलकर भव्य मंदिर का निर्माण करेंगे।
मायने : सिंह के मायने भाजपा और संघ परिवार के राम मंदिर आंदोलन से थे। भाजपा ने कई चुनावों में राम मंदिर को अपने घोषणा-पत्र में शामिल किया था।
3. टोपी पहनने से इनकार
कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा- टोपी पहनने से इनकार करने वाले मस्जिद में गए, इसलिए शुक्रिया। उन्हें बुद्धि आई। उनका दिल बदला। देश में नहीं, विदेश में ही सही, उन्होंने सबको साथ लेकर चलने की शुरुआत की। कांग्रेस के प्रवक्ता मीम अफजल ने कहा, ''मोदी ने कल (रविवार को) पहली बार इस्लाम के बारे में अच्छी बातें कीं। लेकिन लगता है कि वह लोगों को अपनी ओर करने की कोशिश में हैं। बिहार चुनाव को देखते हुए वह ऐसा कर रहे हैं। कुछ दिन पहले कजाकिस्तान में वह एक दरगाह में गए थे लेकिन उसका प्रचार नहीं किया गया था।''
मायने : मोदी ने 2011 में गुजरात में एक उपवास के दौरान मुस्लिम टोपी पहनने से इनकार किया था। अखिलेश सिंह उसी वाकये का जिक्र कर रहे थे। वहीं मीम अफजल कह रहे थे कि बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले पीएम ऐसा कर रहे हैं। बिहार में मुस्लिम वोटरों की अच्छी खासी संख्या है।
4. मस्जिद की तुलना ने करें
बीजेपी नेता नलिनी कोहली मुझे लगता है यह कटाक्ष उमर ने अपने ऊपर किया है। वे एक बड़े मस्जिद की टैराकोटा म्यूजियम से तुलना कर रहे हैं। बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने मोदी के मस्जिद में जाने पर कांग्रेस और आप द्वारा उठाए गए सवालों को नकारा है। उन्होंने कहा, ''कुछ लोगों को हर बात में सकारात्मक चीजें दिखती हैं। पीएम जिस देश में जाते हैं वह भारत के प्रतिनिधि के रूप में जाते हैं। वहां उस देश की संस्कृति का सम्मान रखना होता है। ''
5. घरेलू मसले हैं, इस पर अभी न बोलें
मुस्लिम धर्म गुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने एक चैनल से बातचीत में कहा- मोदी मुस्लिमों के करीबी हैं या नहीं, यह घरेलू सियासी मसला है। इसे इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर नहीं उठाना चाहिए। मोदी उस मस्जिद में यूएई के प्रोटाेकॉल के तहत गए होंगे। अगर वे मस्जिद गए तो यह अच्छी बात है। इसे सियासी पहलू से नहीं देखा जाना चाहिए।
इंटरनेशनल मीडिया ने क्या कहा?
मोदी का दोस्ताना रुख
येरुशलम पोस्ट ने अपनी खबर में कहा- मस्जिद के दौरे से मोदी ने अपने देश के मुस्लिमों को यह संकेत देने की कोशिश की है कि वे उनके करीब हैं। मोदी ने यह जताने की कोशिश की है कि वे हर समुदाय को अहमियत देते हैं। भारत की अनेकता में एकता की छवि को बनाए रखना चाहते हैं।
मस्जिद जाकर दिए नए संकेत
द न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा- पीएम मोदी ने मस्जिद का दौरा किया। यह कदम नए संकेत देता है। गुजरात दंगों के बाद लंबे समय तक यह माना जाता रहा है कि मुस्लिम आबादी के साथ उनके रिश्ते असहज रहे हैं। लेकिन मोदी ने मस्जिद का दौरा कर मुस्लिमों के और करीब होने के संकेत दिए हैं।
मोदी और मुस्लिम
1. सितंबर 2011 : अहमदाबाद के गुजरात यूनिवर्सिटी के कन्वेंशन हॉल में मोदी ने ‘सद्भावना उपवास’ रखा था। खुद को नेशनल लीडर के तौर पर प्रोजेक्ट करने की उनकी यह पहली कोशिश मानी गई थी। एक दरगाह के मौलवी सैयद इमाम शाहिद सईद मंच पर गए। उन्होंने मोदी को मुस्लिम टोपी पहनाने की काेशिश की। लेकिन मोदी ने उन्हें रोक दिया। आलोचना हुई तो भाजपा नेता विजय रूपाणी ने कहा कि मोदी माइनॉरिटी अपीजमेंट में यकीन नहीं रखते। किसी ने भी मोदी से मुस्लिम टोपी पहनने की गुजारिश नहीं की थी।
2. जुलाई 2013 : भाजपा की तरफ से पीएम उम्मीदवार चुने जाने से पहले एक इंटरव्यू में मोदी की टिप्पणी विवादों में आई। उनसे गुजरात दंगों के बारे में पूछा गया था। जवाब में मोदी ने कहा- ‘अगर कार के नीचे कुत्ते का छोटा बच्चा आ जाए और अगर हम कार नहीं भी चला रहे हों, तब भी हमें पीड़ा होती है।’ उनके इस बयान की काफी आलोचना हुई थी।
3. 2014 की शुरुआत : मोदी ने रमजान के दौरान अपने रेजिडेंस 7 आरसीआर पर इफ्तार नहीं दिया। वे राष्ट्रपति भवन में हुए इफ्तार में भी नहीं गए। जबकि उनके पहले करीब-करीब सभी प्रधानमंत्री इफ्तार पार्टी देते रहे थे। इस मुद्दे पर कांग्रेस ने उन्हें जमकर घेरा। मोदी और मुस्लिमों के बीच दूरी तब भी सामने आई जब जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी ने अपने बेटे की दस्तारबंदी की रस्म में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को तो न्यौता दिया। लेकिन मोदी को नहीं बुलाया। इस बीच, भगवा बिग्रेड के नेताओं ने ऐसी कई टिप्पणियां की जिनसे मोदी सरकार संसद के अंदर अौ बाहर बैकफुट पर आ गई।
4. और डैमेज कंट्रोल : मोदी ने भले ही इफ्तार नहीं दी लेकिन इसी साल अप्रैल में उन्होंने अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर चढ़ाने के लिए मुख्तार अब्बास नकवी को भेजा। हर मौके पर भगवा बिग्रेड को संदेश दिया कि उनके बयानों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। बताया जाता है कि जयपुर में हुई मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में जफर सरेशवाला भी मोदी के प्रतिनिधि की हैसियत से पहुंचे थे। अपनी सरकार का एक साल पूरा होने पर भाजपा ने ‘साल एक-शुरुआत अनेक’ के पर्चे उर्दू में भी छपवाए। ये पर्चे उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार,असम और जम्मू कश्मीर के मुस्लिम बहुल शहरों में भिजवाए गए।
5. मुस्लिम रिप्रेजेंटेटिव्स से 2 बार मुलाकात
मोदी ने अप्रैल 2015 में मुस्लिम नेताओं से दिल्ली में मुलाकात की। इसमें मुस्लिम नेताओं ने धार्मिक स्थलों, मस्जिदों और मदरसों की संपत्तियों से जुड़ी समस्याएं उठाई थीं। फिर जून 2015 में 30 मुस्लिम रिप्रेजेंटेटिव्स से मुलाकात की। इनमें सोशल वर्कर्स, धर्मगुरु और एजुकेशनिस्ट शामिल थे। मोदी ने सबसे अलग-अलग मुलाकात की। सबको खुद चाय सर्व की। इसके बाद बातचीत के दौरान मोदी ने कहा, "अगर आपको रात 12 बजे भी मेरी जरूरत पड़ती है तो मैं आपके लिए उपलब्ध हूं।’ मोदी ने उनसे यह भी कहा कि योग को किसी धर्म से नहीं जोड़ें।

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