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01 जून 2015

गो संरक्षण आयोग बने

दोस्तों में मुसलमान हूँ ,,मेरा क़ुरआन मेरा मज़हब गाय को चौपाये का सरदार मानता है इसलिए में गांय को अदब की निगाह से देखता हूँ ,,मेरा मज़हब कहता है के हष्ट पुष्ट दुधारू गांय ,,,काम करने वाला बेल ज़िबह के लाकय नहीं ,,,ऐसे में गांय जो चौपायों का सरदार है उसे कोई भी मुसलमान कैसे नुकसान पहुंचा सकता है ,,,,इस्लामिक बादशाह बाबर हो चाहे बहादुर शाह ज़फ़र सभी ने गांय की हत्या को अपराध क़रार दिया था ,,बहादुर शाह ज़फ़र के वक़्त तो गांय के हत्यारे को तोप से उड़ाने का हुक्म था ,,,,,गांय भारतीय संस्कृति में माँ का दर्जा रखती है वोह दूध ,,मक्खन ,,दही सभी ताक़त की चीज़े हमे देती है ,,गांय बछड़ा देती है जो हमे खेती के लिए बेल बनकर खेती के काम में मदद करते है ,,कृषि उपज को इधर से उधर बैलगाड़ी में लाने ले जाने के काम आते है ,,गांय का गोबर ,,मूत्र ,,सभी जानते है कितना उपयोगी है ,,,,हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है ,,संविधान में इसे आवश्यक भाषा कहा है लेकिन हमने इसकी किस तरह से चिंदी की है आप और हम जानते है ,,,,गांय हमारी माता है ,,सभी जानते है ,,कांग्रेस का चुनाव चिन्ह गांय बछड़ा तो कभी दो बेलों की जोड़ी चुनाव चिन्ह रहा ,,लेकिन अफ़सोस की बात है के सभी पार्टियों की सरकार देश में आयीं ,गयीं फिर भी किसी सरकार ने गांय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा नहीं दिया सिर्फ और सिर्फ सियासत की ,,,,,,,,,,हम गांय का माँ कहते है लेकिन उसका दूध निकाल कर उसे सड़को ,,गलियों ,,चौराहों पर भूखे मरने के लिए छोड़ते है एक तरफ तो ट्रेफिक से परेशान लोग गांय को ताड़ते है तो दूसरी तरफ प्लास्टिक और सड़ी गली चीज़े खाकर गाँउ का स्वास्थ्य खराब होता है ,,गांयों के बेदर्दी से इंजक्शन लगवाकर दूध निकालकर हम नोटों की गड्डियां तो कमाते है लेकिन गांय के रखरखाव के लिए हम कुछ नहीं करते ,,,गो संरक्षण के नाम पर देश में अगर हिसाब लगाया जाए तो अरबों रूपये विभिन्न मदों में खर्च हुए होंगे ,,गो सेवा आयोग ,,गो संरक्षण क़ानून सभी ऐशो आराम ,,,भ्रष्टाचार का मुद्दा बनकर रह गए ,,गोसेवा एक विशिष्ठ पार्टी विचारधारा का चुनावी मुद्दे से ज़्यादा कुछ नहीं रहा ,,,,,आज जब हम और आप गांय के संरक्षण को मुद्दा बना देखकर गांय को सड़कों ,,गलियों में भूखे भटकते देखते है ,,गलियों में चारा डालने वालियों के साथ इन गांयों को उत्पाती हिंसक होकर लोगों को घायल करते देखते है ,,भूख और दर्द से तड़पता देखते है ,,सड़कों पर घायल पढ़ी गांय को देखते है तो किसी मृत गांय को इसे उठाने वाले का इन्तिज़ार करते देखते है फिर हड्डी ठेके वाले के द्वारा इसकी खाल उधेड़ कर ,,इसकी हड्डियां नीलाम करते देखते है तो दर्द होता है तकलीफ होती है ,,,मेने एडवोकेट होने के नाते सड़कों और गलियों से गांयों को उठाकर सुरक्षित स्थान पर रखने के मामले को लेकर सरकार के खिलाफ कई मुक़दमे किये ,,,,,,,रिछपाल पारीक की तरफ से मुक़दमा कर सड़कों पर पोलीथीन फेंकने की रोक लगवाई ताकि गांय इसे खाकर मरे नहीं ,,नगरनिगम को कई बार पाबंद करवाया ,,,गोशाला सेवा समिति का में सक्रिय सदस्य रहा ,,लेकिन गांय को जब माता के स्थान पर केवल पेट पालने का ज़रिया बनाया जाए ,,कमाई का ज़रिया बनाया जाए ,,,चुनावी मुद्दा ,,,,,,देश में नफरत फैलाने का एक मुद्दा बनाया जाए तो निश्चित तोर पर यह मुद्दा मज़ाक बनकर रह जाता है ,,,,सही मायनों में अगर सरकार गोसरंक्षण चाहती है तो एक मज़बूत क़ानून बने ,,गांय पालकों को सज़ा का प्रावधान हो जो गांय पालक गांयों को दूध निकाल कर गांय सड़कों पर छोड़ते है उनके खिलाफ आज़मानतीय अपराध कठोर दंडात्मक प्रावधान हो ,,,,,,,गोशालाएं बने ,,गायों को रखने को रखने इन्हे चारा डालने का स्थान निर्धारित हो ,,गली मोहल्लों से इन्हे दूर रखने का प्रावधान हो ,,,गो सेवा ,,गो पूजा करने ,,,गो दान करने ,,गो आहार सेवा के लिए सभी लोग शहर से अलग एक एकांत स्थान में जाकर गायों की सेवा करे ,,,,अगर कोई भी गांय की मृत्यु हो तो उसे हड्डी ठेकेदार के हवाले नहीं करे उसके मृत शरीर को सम्मानजनक तरीके से किसी अधिकारी की उपस्थिति में पूजा विधि संस्कार के साथ अंतिम संस्कार का प्रावधान बनाया जाए ,,गांय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए ,,,अगर गांय सड़कों और गलियों में लोगों को परेशान करती है रास्ता रोकती ही ,,बच्चों को ,,मुसाफिरों को घायल करती है तो उनके प्रति लोगों का आदर भाव खत्म होता है ,,इसलिए एक पर्याप्त मज़बूत गो संरक्षण क़ानून बनाकर क़त्ल खाने के सभी संचालकों पर नज़र रखी जाए ,,गांय के चमड़े ,,हड्डी ,,मांस ,,बाल ,,की कोई भी वस्तु कोई भी उत्पाद प्रतिबंधित किया जाए ,,तब जाकर एक माँ की तरह से गांय को रखने उसे खाने खिलाने का प्रबंधन करने ,,बीमारी में इलाज ,,मृत्यु पर अंतिमसंस्कार का आदरसम्मान होने से गांय सही मायनों में माता होगी वरना सियासत तो खूब करो एक दिन जनता सच समझेगी और गांय को माता का दर्जा देकर केवल वोटों की राजनीति करने वालों को सड़कों पर सबक सिखाएगी ,,,,इसलिए गांय को उपरोक्त क़ायदे के अनुसार क़ानून बनाकर राष्ट्रीय पशु घोषित कर प्रथम कार्यवाही में अरबों रूपये का बजट रखकर हर ज़िले में गोसेवा केंद्र स्थापित हो और सड़कों ,,गलियों ,,चौराहों पर गांय दिखने पर मालिकों के खिलाफ कठोर कार्यवाही हो ताकि गाय का खोया हुआ सम्मान फिर से उसे दिलाया जा सके ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान  

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